No Tobacco Warning: धूम्रपान या तंबाकू सेहत के लिए हानिकारक है. आपने अक्सर सिनेमाघरों और टीवी पर धूम्रपान वाले सीन दिखाए जाने के साथ छोटे अक्षरों में चेतावनी भी लिखी देखी होगी, लेकिन फिर भी लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं. आज पूरी दुनिया विश्व तंबाकू निषेध दिवस मना रही है. इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ओटीटी प्लैटफॉर्म पर तंबाकू विरोधी चेतावनियों के लिए नये नियमों की अधिसूचना जारी की है.
ओटीटी पर तंबाकू के खिलाफ चेतावनी अनिवार्य
विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2004 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया और ओटीटी (ओवर दी टॉप) कार्यक्रमों के लिए थिएटर में फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों की तरह ही तंबाकू के खिलाफ चेतावनी जारी करना अनिवार्य कर दिया है. अधिसूचना के अनुसार, ऑनलाइन सामग्री में तंबाकू उत्पाद या उनके इस्तेमाल को दिखाये जाने के दौरान प्रसारकों को कार्यक्रम के शुरू और मध्य में कम से कम 30 सेकेंड तक तंबाकू के खिलाफ स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी जारी करना होगा.
20 सेकेंड का एक ऑडियो-विजुअल डिस्क्लेमर भी दिखाना होगा
जब कार्यक्रम के दौरान तम्बाकू उत्पादों या उनके उपयोग को दिखाया जाता है तो उन्हें इस दौरान स्क्रीन के नीचे एक संदेश के रूप में तम्बाकू विरोधी स्वास्थ्य चेतावनी दिखाना अनिवार्य होगा. पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम की शुरुआत और मध्य में तम्बाकू के उपयोग के दुष्प्रभावों पर कम से कम 20 सेकेंड का एक ऑडियो-विजुअल डिस्क्लेमर भी दिखाना होगा.
स्पष्ट और पठनीय होनी चाहिए चेतावनी
अधिसूचना में कहा गया है- उप-नियम (1) के खंड (बी) में निर्दिष्ट तंबाकू विरोधी स्वास्थ्य चेतावनी संदेश सफेद पृष्ठभूमि पर काले रंग के अक्षरो में ‘तंबाकू से कैंसर होता है’ या ‘तंबाकू मारता है’ की चेतावनी दिखानी होगी जो स्पष्ट और पठनीय होनी चाहिए. इसके अलावा, तंबाकू विरोधी स्वास्थ्य चेतावनी संदेश और ऑडियो-विजुअल डिस्क्लेमर उसी भाषा में होने चाहिए, जिसका उपयोग ऑनलाइन बनायी गई सामग्री में किया जाता है.
विचार-विमर्श के बाद लिया गया यह निर्णय
ऑनलाइन बनायी गई सामग्री में तम्बाकू उत्पादों का प्रदर्शन या उनका उपयोग सिगरेट या अन्य तम्बाकू उत्पादों के ब्रांड के प्रदर्शन या किसी भी रूप में तम्बाकू उत्पाद का प्रचार और तम्बाकू उत्पादों के प्रदर्शन या प्रचार सामग्री में उनके उपयोग का जरिया नहीं होना चाहिए. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया.