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क्या अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित कल्याणकारी योजनाएँ है ? - श्रीनारद मीडिया

क्या अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित कल्याणकारी योजनाएँ है ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण और उत्थान के लिये सरकार द्वारा कार्यान्वित विभिन्न योजनाओं एवं पहलों से संबंधित महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ तथा अंतर्दृष्टि साझा की

भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण के लिये विभिन्न योजनाएँ:

  • शैक्षिक सशक्तीकरण योजनाएँ:
    • प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना:
      • यह सभी राज्यों में छात्रों के लिये एक केंद्र पोषित छात्रवृत्ति योजना है, यह प्रत्येक वर्ष प्रदान की जाती है।
      • इसका उद्देश्य कक्षा 1 से 10 तक की कक्षा में पढ़ने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
      • यह शैक्षिक खर्चों को प्रबंधित करने और अल्पसंख्यक छात्रों को शिक्षा अर्जित करने के लिये प्रोत्साहित करने में मदद करता है।
    • पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना:
      • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है और राज्य सरकार तथा केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है।
      • कक्षा 11 और 12 में पढ़ने वाले तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के  अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
      • छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने तथा उनके कॅरियर की संभावनाओं को बढ़ाने में सहायता करता है।
    • राष्ट्रीय साधन-सह-मेधा छात्रवृत्ति योजना (National Means-Cum-Merit Scholarship- NMMSS):
      • यह केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme- CSS) है जिसे वर्ष 2008 में शुरू किया गया था।
      • इसमें सीमित वित्तीय संसाधनों वाले मेधावी अल्पसंख्यक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
      • यह शैक्षणिक उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करती है तथा योग्य छात्रों के लिये समान अवसर सुनिश्चित करती है।
    • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (NMDFC) द्वारा शिक्षा ऋण योजना:
      • NMDFC जैन समुदाय सहित अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को शिक्षा ऋण योजना प्रदान करता है।
      • अधिकतम 5 वर्ष की पाठ्यक्रम अवधि वाले तकनीकी एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिये रियायती ऋण प्रदान किया जाता है।
      • भारत में 5-वर्षीय पाठ्यक्रमों के लिये 20.00 लाख रुपए तक तथा विदेश में 5-वर्षीय पाठ्यक्रमों के लिये 30.00 लाख रुपए तक के शैक्षिक ऋण उपलब्ध हैं।
  • रोज़गार एवं आर्थिक सशक्तीकरण योजनाएँ:
    • प्रधानमंत्री विरासत का संवर्द्धन (PMVIKAS):
      • इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है।
      • कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के लिये पारंपरिक शिल्प, कला रूपों तथा सांस्कृतिक प्रथाओं का समर्थन करना।
    • NMDFC योजना:
      • अल्पसंख्यकों को उनके आर्थिक उद्यमों तथा उद्यमशीलता का समर्थन करने के लिये रियायती ऋण प्रदान करता है।
      • आर्थिक आत्मनिर्भरता को सक्षम बनाता है एवं स्थायी आजीविका को बढ़ावा देता है।
  • विशेष योजनाएँ:
    • जियो पारसी:
      • यह भारत में पारसी समुदाय की जनसंख्या में गिरावट को रोकने के उद्देश्य से एक अनूठी योजना।
      • या पारसी परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने तथा उनके समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के लिये प्रोत्साहित करने के उपायों को लागू करता है।
    • कौमी वक्फ बोर्ड तरक्कीयाती स्कीम (QWBTS) एंड शहरी वक्फ संपत्ति विकास योजना (SWSVY):
      • अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण के लिये वक्फ संपत्तियों के विकास और उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
      • समुदाय को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिये वक्फ संपत्तियों में बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं को बढ़ाना।
  • अवसंरचना विकास योजनाएँ:
    • प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK):
      • इसका लक्ष्य अल्पसंख्यक-केंद्रित क्षेत्रों में बेहतर बुनियादी ढाँचा तैयार करना है।
      • बेहतर सुविधाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ, शिक्षा केंद्र और कौशल विकास के अवसर प्रदान करना।
  • परिचय:
    • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया है।
      • वर्ष 2014 में जैन समुदाय को भी अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया था।
    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में अल्पसंख्यकों का प्रतिशत देश की कुल जनसंख्या का लगभग 19.3% है।
      • मुसलमानों की जनसंख्या 14.2% है; ईसाई 2.3%; सिख 1.7%, बौद्ध 0.7%, जैन 0.4% और पारसी 0.006% हैं। 
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • भारतीय संविधान में “अल्पसंख्यक” शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। हालाँकि संविधान केवल धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को मान्यता देता है।
    • अनुच्छेद 29: इसमें प्रावधान है कि भारत के किसी भी हिस्से में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग की अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति हो, उसे संरक्षित करने का अधिकार होगा।
    • अनुच्छेद 30: अनुच्छेद के तहत सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार होगा।
    • अनुच्छेद 350-B: मूल रूप से भारत के संविधान ने भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये विशेष अधिकार के संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया है लेकिन 1956 के सातवें संवैधानिक संशोधन अधिनियम ने अनुच्छेद 350-B को संविधान में जोड़ा।
  • संसदीय प्रावधान:

 

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