क्या आप स्लो पॉइजन खा रहे हैं? सरसों तेल के नामी ब्रांडों के सैंपल में 100% तक मिलावट

क्या आप स्लो पॉइजन खा रहे हैं? सरसों तेल के नामी ब्रांडों के सैंपल में 100% तक मिलावट

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श्रीनारद मीडिया‚ सेंट्रल डेस्कः

Food Adulteration: राज्य की स्पेक्स संस्था ने यह दावा किया है कि राज्य में सरसों का तेल 40% से 100% तक मिलावटी है. और यह मिलावट कई बड़ी कम्पनियों के नाम से बिकने वाले सरसों के तेल में भी मिलावट देखने को मिली है.यह मिलावट इतनी घातक है कि आपको पेट, लिवर या किडनी के रोगों का शिकार बना सकती है. इस सीज़न में अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए इस खबर को ज़रूर पढ़ें और सावधान रहें. जानें कैसे हुआ सरसों यानी कच्ची घानी के तेल में मिलावट का खुलासा.

देहरादून. उत्तराखंड में सरसों के तेल के नाम पर ज़हर बिक रहा है और आपको बेहद सावधान रहने की ज़रूरत है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि राज्य की स्पेक्स संस्था ने यह दावा किया है. संस्था का दावा है कि राज्य में सरसों का तेल 40% से 100% तक मिलावटी है. और यह मिलावट उस तेल में नहीं है, जो अस्थायी या मामूली विक्रेताओं से मिलता हो, बल्कि कई बड़ी कम्पनियों के नाम से बिकने वाले सरसों के तेल में भी मिलावट देखने को मिली है.

आलम ये है कि एक ही कम्पनी के अलग-अलग सैंपलों में इलाकों के हिसाब से अलग-अलग स्तर की मिलावट दिखी है. दावा तो यहांं तक किया जा रहा है कि इस मिलावटी तेल से दीये जलाना भी हानिकारक है.

पहाड़ों में बिक रहा तेल 100% मिलावटी

दरअसल, स्पेक्स संस्था ने खाने में यूज़ किए जाने वाले सरसों के तेल के करीब 469 सैम्पल राज्य के 13 ज़िलों से लिये और उन्हें टेस्ट किया. इस टेस्टिंग में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि राज्य में 200 रुपये से ज्यादा कीमत पर बिकने वाला सरसों का तेल खाने योग्य ही नहीं है. तेल किसी भी कम्पनी का हो, मिलावटी बिक रहा है. देहरादून से तेल के जो सैम्पल लिये गए, उनमें मिलावट कम तो पहाड़ी क्षेत्रों में मिलावट अधिक मिली. यानी जिस सरसों के तेल का उपयोग आम जनता कर रही है, वो स्लो पॉइज़न बताया गया है. पहाड़ी ज़िलों में तो जो भी सरसों का तेल बिक रहा है, वो 100% मिलावटी पाया गया.

किस तरह की मिलावट पाई गई?

स्पेक्स संस्था के सचिव बृज मोहन शर्मा का कहना है कि राज्य के सभी ज़िलों में इस समय बिकने वाले तमाम ब्रांडों के तमाम तेल में मिलावट मिली. सैम्पलों की टेस्टिंग के बाद उनमें पीले रंग यानी मेटानिल पीला, सफेद तेल, कैटर ऑइल, सोयाबीन और मूंगफली, जिसमें सस्ते कपास के बीज का तेल भी है और हेक्सेन की मिलावट की मात्रा ज़्यादा पाई गई.
सरसों के तेल में सस्ते आर्जीमोन तेल की मिलावट पाई जाती है, जिससे जल शोथ रोग होते हैं. इसके लक्षणों में पूरे शरीर में सूजन, विशेष रूप से पैरों में और पाचनतंत्र संबंधी समस्याएं जैसे उल्टी, दस्त और भूख न लगना शामिल है. ऐसे में थोड़ी सी भी मिलावट जलन पैदा कर सकती है, जो कि उस समय तो कोई बड़ी बात नहीं लगती, लेकिन लंबे समय में इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं.

स्पेक्स संस्था के सचिव बृज मोहन शर्मा ने बताया कि सरसों के तेल को घर बैठे कोई भी व्यक्ति टेस्ट कर सकता है. शर्मा ने तेल की शुद्धता चेक करने के लिए 4 आसान तरीके भी बताए.1. सरसों के तेल की कुछ मात्रा लें और 2-3 घंटे के लिए फ्रिज में रख दें. अगर आपका तेल कुछ सफेद (घी जैसा) जम जाता है, तो तेल में मिलावट है.2. सरसों के तेल की गुणवत्ता जांचने के लिए आप रबिंग टेस्ट भी ले सकते हैं. हथेलियों में थोड़ा सा तेल डालकर मलें. यदि आपको रंग का कोई निशान और कुछ रासायनिक गंध मिलती है, तो इसका मतलब है कि तेल में कुछ नकली पदार्थ है.3. थोड़ा सा तेल उबाल लें और अगर ऊपर की परत में झाग स्थायी रूप से रहे तो यह मिलावटी है.4. तेल के कुछ नमूने लेकर उनमें नींबू के रस की कुछ बूंदें डालें. यदि उनकी भौतिक अवस्था बदल जाती है, तो यह मिलावटी है.

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