2020 और 2021 के लिए करीब 60 महिलाओं को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

2020 और 2021 के लिए करीब 60 महिलाओं को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य व समाजसेवा के लिए राष्ट्रपति भवन में सोमवार व मंगलवार को वर्ष 2020 व 2021 के लिए तीन श्रेणियों पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए गए। शिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य, कला, साहित्य, संगीत, खेल, समाजसेवा और उद्योग जैसे क्षेत्रों में नामचीन हस्तियों को इन पुरस्कारों से राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने सम्मानित किया। 2020 और 2021 के लिए करीब 60 महिलाओं को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसमें भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से लेकर राजस्थान की मैला ढोने वाली ऊषा चौमार भी शामिल हैं।

राजनीति से जुड़ी इन महिलाओं को किया गया सम्मानित

देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को 2020 के लिए मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अवार्ड सौंपा। वहीं, पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को 2021 के लिए पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कंगना रनोट समेत फिल्म जगत से जुड़ी इन महिलाओं को मिला पुरस्कार

फिल्म एक्टर कंगना रनोट और टीवी सीरियल निर्माता एकता कपूर को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनके अलावा टीवी सीरियल एक्टर सरिता जोशी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सरिता जोशी को यह अवार्ड इस क्षेत्र में सात दशकों में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया। इन तीनों हस्तियों को 2020 के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं, 2021 के लिए गायिका कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्रा को पद्मश्री प्रदान किया गया।

खेल जगत की इन महिलाओं को किया गया सम्मानित

खेल जगत में बैडमिंटन प्लेयर पीवी सिंधू को पद्म भूषण और हाकी खिलाड़ी रानी रामपाल को 2020 के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। महिला बाक्सर मैरी काम को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। भारतीय महिला नेशनल बास्केटबाल टीम की कैप्टन पी अनीता को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनके नाम 30 से ज्यादा मेडल जीतने का रिकार्ड है। आइए जानते हैं और किन महिलाओं को किया गया सम्मानित

डा. पद्मा बंदोपाध्याय (पद्मश्री)

पहली महिला एयर मार्शल डा. पद्मा बंदोपाध्याय को वायुसेना में 37 साल की सर्विस और चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए सम्मानित किया गया है।

ऊषा चौमार (पद्मश्री)

राजस्थान के अलवर की मैला ढोनेवाली ऊषा चौमार को यह सम्मान दिया गया। उन्होंने सुलभ इंटरनेशनल के सहयोग से राजस्थान में स्वच्छता की अलख जगाई, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

तुलसी गौड़ा (पद्मश्री)

कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी गौड़ा को पर्यावरण के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 12 साल की आयु से उन्होंने पौधे रोपने का जो काम शुरू किया था, वह अब तक जारी है। उन्हें लोग इनसाइक्लोपीडिया आफ फारेस्ट कहकर पुकारते हैं।

राहीबाई सोमा पोपरे (पद्मश्री)

महाराष्ट्र के अहमदनगर की रहने वाली आदिवासी महिला राहीबाई सोमा पोपरे को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। ‘सीड मदर’ के नाम से ख्यात राहीबाई ने किसानी के गुर अपने परिवार से सीखे और जंगल में घूमकर पेड़-पौधों व जड़ी बूटियों के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाया। करीब बीस साल पहले उन्होंने देशी बीज संरक्षण और महाराष्ट्र के अलग-अलग क्षेत्रों में उन्हें लोगों को बांटने का काम शुरू किया।

भूरी बाई (पद्मश्री)

भील आर्ट को पूरे देश में प्रसिद्ध करने वाली मध्यप्रदेश की भूरी बाई को ये सम्मान मिला है। भूरी आर्ट्स की दुनिया में एक जाना माना नाम हैं जो झाबुआ की रहने वाली हैं।

संघखुमी बौलचुआक (पद्मश्री)

मिजोराम की सोशल वर्कर संघखुमी ने मीजो सोसाइटी के लिए काम किया और उनके लिए कई पालिसीज के लिए लड़ाई की।

लखीमी बरुआ (पद्मश्री)

असम की एक महिला बैंकर हैं लखमिनी बरुआ, जिन्हें महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की जिंदगी में एक सफल बदलाव लाने के लिए सम्मानित किया गया है।

चुटनी देवी (पद्मश्री)

झारखंड की चुटनी देवी को उनके गांव वालों ने चुड़ैल करार दे दिया था पर उन्होंने हार नहीं मानी और समाज की बुराई के खिलाफ लड़ीं और 55 अन्य लोगों की मदद की।

रजनी बेक्टर (पद्मश्री)

पंजाब की 79 वर्षीय रजनी बेक्टर कई महिलाओं के लिए रोल माडल हैं, जो अपने छोटे किचन को एक बड़े बिक्सिट और ब्रेड प्रोडक्शन बिजनेस में तब्दील कर चुकी हैं।

सिंधुताई सपकल (पद्मश्री)

सिंधुताई सपकल करीब एक हजार अनाथ बच्चों की मां हैं और उनके नाम एक डाक्युमेंट्री भी बन चुकी है।

प्रकाश कौर (पद्मश्री)

जालंधर की प्रकाश कौर को उमके अपने माता-पिता ने चोड़ दिया था। उन्होंने करीब 80 अनाथ और त्याग दी गई लड़कियों की देखरेख की और उन्हें सही दिशा दिखाई।

बिरुबाला रभा (पद्मश्री)

असम की बिरुबाला चुड़ैल बनाए जाने की प्रथा और महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ काम कर रही हैं।

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