Article 370: 4 साल में बदल गई कश्मीर की कहानी,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भाजपा के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था, एक देश में दो विधान दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे। उनका यह नारा जम्मू कश्मीर के लिए था। 5 अगस्त 2019 को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार करते हुए जम्मू-कश्मीर में एक विधान, एक प्रधान और एक निशान की कल्पना को हकीकत में बदल दिया।
आर्टिकल 370 (Article 370) के तहत जम्मू–कश्मीर में भारतीय संविधान की ज्यादातर धाराएं लागू नहीं होती थी। चाइल्ड मैरिज एक्ट, शिक्षा का अधिकार और भूमि सुधार जैसे कानून का जम्मू कश्मीर से कोई वास्ता नहीं था।
साल 2019 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवाई में भाजपा ने दोबारा देश के आम चुनाव में सफलता हासिल की। पार्टी ने अपने दम पर 303 लोकसभा सीटें जीत ली। अमित शाह ने गृह मंत्री का पद संभाला और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के लिए रोडमैप बनाने की तैयारी शुरू कर दी।
अमित शाह का ऐतिहासिक जम्मू कश्मीर का दौरा
अमित शाह (Amit Shah) ने 26 जून 2019 को जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। वहां जाकर उन्होंने सरपंचों और कश्मीर पुलिस के शदीह जवानों के परिवार वालों से मुलाकात की। इस तीन दिन के दौरे पर पीडीपी और एनसीपी जैसे राजनीतिक पार्टियां की निगाहें टिकी थी।
जब एनएसए डोभाल पहुंचे श्रीनगर
वहीं, अमित शाह के बाद देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) कश्मीर की राजधानी श्रीनगर पहुंचे। दो दिवसीय कश्मीर दौरे के दौरान उन्होंने खुफिया एजेंसियों के आलाधिकारियों के साथ मीटिंग की और राज्य की सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी ली। डोभाल ने तत्कालीन राज्यपाल के सलाहकार विजय कुमार, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम, डीजीपी दिलबाग सिंह और आईजी एसपी से मीटिंग की।
25 जुलाई को गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में देश के अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों (10 हजार जवान) की तैनाती का आदेश जारी किया गया।
घाटी में जब अचानक बढ़ी सेना की मौजूदगी
अमरनाथ यात्रा के सिलसिले में कश्मीर में 40 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई थी, लेकिन यात्रा को बीच में रोक दिया गया। वहीं, 1 अगस्त को राज्य में 28 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की सूचना सामने आई। हालांकि, तब तक देश में ज्यादातर लोगों को इस बात का अहसास नहीं था कि आखिर देश में क्या होने वाला है।
गौरतलब है कि देश के राजनेताओं के बीच इस बात की सुगबुगाहट थी कि जम्मू कश्मीर को लेकर कुछ बड़ा होने वाला है। लेकिन, सरकार आखिर क्या फैसला लेगी इसकी पुख्ता जानकारी कुछ ही लोगों के पास थी।
5 अगस्त को साकार हुआ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना
5 अगस्त, सोमवार के दिन राज्य सभा में अमित शाह आए और उन्होंने जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन विधेयक 2019 राज्य सभा में पेश किया। इस विधेयक के तहत जम्मू कश्मीर को दो राज्यों में बांट दिया गया। जम्मू और कश्मीर को विधायिका के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया और लद्दाख को विधायिका के बिना एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना।
जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने के 4 साल पूरे हो चुके हैं। आइए, जानते हैं कि आखिर इन 4 साल में कश्मीर की तस्वीर कितनी बदल चुकी है।
- आर्टिकल 370 समाप्त होने के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई।
- राज्य में पैलेट गन के इस्तेमाल में कमी आई है।
- साल 2022 में सुरक्षाबलों और लोगों के बीच झड़प के सिर्फ 20 मामले सामने आए।
आतंकी घटनाओं पर कसी गई नकेल
- आतंकियों की गिरफ्तारी की संख्या में बढ़ोतरी हुई
- आतंकी गतिविधि और घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई।
- सुरक्षाबलों और नागरिकों के हताहत होने की घटना हुई कम
- आतंकवादी संगठनों और घाटी के लोगों के बीच बढ़ी दूरियां
सरकार के सामने चुनौतियां
- पिछले कुछ सालों में राज्य में हिंदू बहुल इलाकों को आतंकियों ने बनाया गया निशाना
- साल 2022 में हिंदू समुदाय के लोगों पर हुए हमले
- सीमा पार से ड्रोन की आवाजाही में हुई बढ़ोतरी
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