Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
चुनाव आचार संहिता लगते ही सरकारी और सियासी मोर्चे पर काफी कुछ बदल जाता है. - श्रीनारद मीडिया

चुनाव आचार संहिता लगते ही सरकारी और सियासी मोर्चे पर काफी कुछ बदल जाता है.

चुनाव आचार संहिता लगते ही सरकारी और सियासी मोर्चे पर काफी कुछ बदल जाता है.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान होते ही सरकारी स्तर पर काफी बदलाव आ जाएगा. किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड,पंजाब,गोंवा,मणिपुर में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही ना सिर्फ राजनीतिक हलचल तेज हो जाएगी, बल्कि इन प्रदेशों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। उक्त प्रदेशों में आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक आचार संहिता का पालन किया जाएगा। ऐसे में जानते हैं कि आचार संहिता क्या होती है और जब तक आचार संहिता लागू रहती है, तब तक कौन-कौन से काम नहीं किए जाते हैं।

दरअसल, आदर्श आचार संहिता राजनैतिक पार्टियों और चुनाव प्रत्याशियों के मार्गदर्शन के लिए तय किए गए कुछ नियम होते हैं, जिनका चुनाव के दौरान पालन किया जाना आवश्यक होता है। आदर्श आचार संहिता, चुनाव आयोग की ओर से चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही जारी हो जाती है। लोक सभा चुनाव के दौरान यह पूरे देश में जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में लागू हो जाती है। इससे यह तय होता है कि राजनीतिक पार्टियां या प्रत्याक्षी चुनाव के दौरान क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते हैं।

चुनाव आचार संहिता लगते ही मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को प्रचार कार्य के साथ नहीं मिलाएंगे और ना ही सरकारी तंत्र या कार्मिकों का प्रयोग चुनाव प्रचार में किया जा सकता है। हालांकि, आचार संहिता में प्रधानमंत्री को खास छूट दी गई है। इस दौरान किसी भी सरकारी वाहन का इस्तेमाल किसी पार्टी या प्रत्याशी को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा। इस दौरान सरकारी अधिकारियों को स्थानांतरण भी नहीं किया जा सकता है। साथ ही इस दौरान मंत्री निर्वाचन अधिकारी को नहीं बुला सकता है।

वहीं, मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा। इस दौरान राज्‍यपाल दीक्षांत समारोह में भाग ले सकते हैं और उसे संबोधित भी कर सकते हैं। मुख्‍यमंत्री या मंत्री को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे किसी दीक्षांत समारोह में भाग न लें और न ही उसे संबोधित करें। साथ ही इस दौरान राजनीतिक कार्यकर्ताओं के निवास स्‍थान पर किसी तरह के सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा सकते है।

आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी सरकार किसी भी सरकारी कोष की लागत से विज्ञापन जारी नहीं कर सकती है। साथ ही इस दौरान होर्डिंग आदि पर भी बैन लगा होता है। चुनाव की घोषणा से पहले जारी कार्य आदेश के संबंध में अगर क्षेत्र में वास्‍तविक रूप से कार्य शुरू नहीं किया गया है तो उसे शुरू नहीं किया जाएगा। लेकिन, अगर काम वास्‍तव में शुरू कर दिया गया है तो उसे जारी रखा जा सकता है। साथ ही विकास फंड की किसी योजना के अंतर्गत निधियों को नए सिरे से शुरू नहीं किया जा सकता है।

मंत्री या अन्‍य प्राधिकारी किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान या उससे संबंधित कोई वायदा नहीं करेंगे. हालांकि, पुरानी योजनाओं का क्रियान्वयन जारी रहता है, लेकिन योजना को लॉन्च नहीं किया जा सकता.कुल मिलाकर चुनाव आचार संहिता लागू होन के बाद किसी भी राज्य सरकार की हैसियत एक कामचलाऊ सरकार के रूप में तब्दील हो जाती है। वह कोई नीतिगण निर्णय या घोषणा नहीं कर सकती है।

आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी मंत्री या नेता सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगला का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है। किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने की पूर्व अनुमति पुलिस से लेना अनिवार्य होता है। कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकता है।

इससे पहले उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच चुनाव आयोग ने साफ कर दिया था कि विधानसभा चुनाव टाले नहीं जा सकते हैं। इसी के साथ आयोग ने चुनाव कराए जाने को लेकर तैयारियां शुरू कर दी थीं। इधर राजनीतिक दलों ने वर्चुअल रैली की बात कही है। अब आयोग अधिसूचना लागू करने की तैयारी कर रहा है और वर्चुअल रैली पर भी कोई बड़ा फैसला ले सकती है। क्योंकि पूर्व में पश्चिम बंगाल में रैलियों पर रोक नहीं लगाने के कारण चुनाव आयोग के खिलाफ काफी लोगों ने गंभीर नाराजगी जाहिर की थी।

सवाल यह भी है कि आचार संहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग क्या कर सकता है? तो इसका जबाव बेहद स्पष्ट है। यदि कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है। उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। ज़रूरी होने पर आपराधिक मुक़दमा भी दर्ज कराया जा सकता है.आचार संहिता के उल्लंघन में जेल जाने तक के प्रावधान भी हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!