नियमित टीकाकरण की भ्रांतियों को दूर करने में आशा सुल्ताना खातून ने पेश की जागरूकता की मिसाल
• क्षेत्र में टीकाकरण थी चुनौती
• भ्रांतियों को तोड़कर लोगों की सोच में लायी सकारात्मक बदलाव
• अब बदली गांव की तस्वीर
श्रीनारद मीडिया, गोपालगंज, (बिहार):
समुदाय की हर पंक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यक्रमों को समुदाय तक पहुंचाने में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। आशा कार्यकर्ताओं का काम ही है स्वास्थ्य सेवाओं को समुदाय तक पहुंचाना। लेकिन कुछ ऐसी भी आशा कार्यकर्ता हैं जो अपने कर्तव्यों के प्रति सर्मपण भाव से जुटी हुई हैं। जिसका उदाहरण जिले के मांझा प्रखंड की आशा कार्यकर्ता सुल्ताना खातून हैं। जो अपने कार्यों की बदौलत क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान स्थापित कर चुकी हैं।
एक वक्त ऐसा था जब माझा पश्चिम टोला पंचायत के लोगों में नियमित टीकाकरण के प्रति जागरूकता का काफी अभाव था। टीकाकरण के प्रति कई तरह की भ्रांतियां थी। जिस कारण वे लोग अपने नौनिहालों का टीकाकरण कराने से कतराते थे। टीका बच्चों को लगवाने के लिए अपने क्षेत्र माझा पश्चिम में जाती थी उस वक्त बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता था। सुल्ताना लोगों को समझा-समझा कर परेशान हो जाती थी।
बहुत मुश्किल से लोग अपने बच्चों को टीका लगवाते थे। जब वह अपने क्षेत्र में कार्य करने के लिए निकलती तो सोचती जब मैं घर से निकल गई हूं तो हमें कार्य ही करना है। उसी समय से आशा सुल्ताना अपने कार्यों के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो गई । अब उस गांव के लोगों की सोच बदल चुकी है। स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता आयी है। अब जब आशा उस क्षेत्र में जाती है तो लोग ये पूछते हैं कि मेरे मुन्ना और मुन्नी को टीका कब लगेगा।
उत्कृष्ट कार्य के लिए कई बाार हो चुकी हैं सम्मानित:
आशा सुल्ताना खातून को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है। परिवार नियोजन के तहत अस्थाई गर्भनिरोधक पी. पी. आई.सी. डी. लगवाने से होने वाले फायदे के बारे में घर – घर जाकर महिलाओं को बताती थी। छोटा परिवार सुखी परिवार के विशेषताओं को महिलाओं को घर – घर जाकर समझाती थी। कई महिलाएं अस्थाई गर्भ निरोधक पीपीआईयूसीडी लगवाई थी।
प्राथमिक स्वासथ्य केंद्र माझा के धनंजय कुमार श्रीवास्तव ने 1000 रुपय का चेक पुरस्कार सुल्ताना को दिए थे। इस के साथ ही सुल्ताना 20 ने सितंबर 2012 में अंतरव्यक्ति संवाद में मोबाइल एकेडमी ट्रेनिंग कोर्स पूरी करके अपनी स्किल को इम्प्रूव की थी। वह अब तक 408 प्रसव करा चुकी हैं। 105 महिलाओं को बंध्याकरण करवाई है। आशा सुल्ताना ने गर्भ निरोधक की विशेषताओं को लेकर अपने क्षेत्र की महिलाओं को जागरूक किया। इसके साथ हीं मांझा के तत्कालीन प्रभारी के द्वारा नगद पुरस्कार दिया गया था।
कार्यों के प्रति पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ समर्पित:
कोरोना संक्रमण के दौरान जब लोग करोना से बचाव के लिए अपने घर पर महफूज थे तो दूसरी ओर आशा सुल्ताना खातून लोगों को करोना की वैक्सीन लगवाने के लिए उनके घर – घर जाती थी। आशा सुल्ताना जब से नियुक्ति हुई है तब से आज तक पल्स पोलियो और फाइलेरिया कार्यक्रमों के दौरान कभी भी एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है। वह अपने रजिस्टर को प्रतिदिन अपडेट करती रहती है।
आशा अपने कार्यों के प्रति पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ समर्पित हैं। यदि ज्यादा से ज्यादा आशा अपने कार्यों के प्रति समर्पित हो ग्रामवासियों को अपने स्वास्थय के प्रति ज्यादा समस्या का सामना करना नहीं पड़ेगा। माझा पश्चिम टोला के किसी भी महिला का प्रसव करवाने के लिए कॉल आता है तो आशा सुल्ताना अपने घर से निकल जाती और एंबुलेंस बुलवाती ।गर्ववती महिला को प्रसव करवाने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र माझा लेकर जाती और प्रसव करवाती। मां और बच्चे का पूरा ध्यान रखती है। दिन हो या रात या फिर ठंड हो या बरसात। हर मुश्किल परिस्थितियों में अपने कर्तव्यों का बखूबी निवर्हन करती है।
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