आशा कर्मियों को मिला फाइलेरिया रोगियों की पहचान का प्रशिक्षण
फाइलेरिया की पहचान कर तत्काल उपचार का दिया गया संदेश:
फाइलेरिया रोगियों को उपचार हेतु एमएमडीपी किट उपयोग की दी गई जानकारी:
रोगियों को व्यायाम के तरीकों का उपयोग कर संक्रमण को सुरक्षित रखने का मिला निर्देश:
नेटवर्क मेंबर द्वारा फाइलेरिया के प्रति किया जा रहा लोगों को जागरूक:
श्रीनारद मीडिया पूर्णिया, (बिहार):
फाइलेरिया बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग तत्पर है। इसके लिए विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों तक लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग को विभिन्न सहयोगी संस्था जिसमें डब्लूएचओ, केयर इंडिया, पीसीआई व सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) द्वारा सहयोग प्रदान किया जा रहा है। सीफार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क का निर्माण किया गया है जिसके द्वारा स्थानीय लोगों को फाइलेरिया संक्रमण से सुरक्षा के साथ संक्रमित मरीजों को बेहतर उपचार के लिए जागरूक किया जा रहा है। बुधवार को पूर्णिया पूर्व प्रखंड के रानीपतरा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर चांद ग्रुप के नेटवर्क मेंबर मनवाड़ा खातून और खैरून निशा द्वारा आशा कर्मियों को फाइलेरिया संक्रमण की पहचान करने और संक्रमित मरीजों को तत्काल उपचार के तरीकों की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान वीडीसीओ रवि नंदन सिंह, वीडीएस अजय कुमार सिंह सहित पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के अन्य स्थानीय सदस्य भी उपस्थित रहे।
फाइलेरिया की पहचान कर तत्काल उपचार का दिया गया संदेश:
प्रशिक्षण में सभी आशा कर्मियों को फाइलेरिया बीमारी के लक्षण की जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि फाइलेरिया बीमारी एक परजीवी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसके शुरुआती लक्षण के रूप में बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। आशा कर्मियों से कहा गया कि ऐसे मरीजों की जानकारी मिलने पर उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल में जांच कराते हुए आवश्यक उपचार व्यवस्था उपलब्ध करानी होगी। इससे इस बीमारी को विकराल रूप धारण करने से रोका जा सकता है।
फाइलेरिया रोगियों को उपचार हेतु एमएमडीपी किट उपयोग की दी गई जानकारी:
वीडीसीओ रवि नंदन सिंह ने बताया कि फाइलेरिया मरीजों को देखभाल के लिए एमएमडीपी किट दिया जाता है जिसमें एक टब, एक मग, कॉटन बंडल, तौलिया, डेटॉल साबुन व एंटीसेप्टिक क्रीम रहता है। वहां उपस्थित सभी फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट की सहायता से फाइलेरिया रोगी के प्रबंधन के लिए फाइलेरिया ग्रसित अंगों की सफाई कर उसे सुरक्षित करने और व्यायाम करने के तरीकों की जानकारी दी गई।
नेटवर्क मेंबर द्वारा फाइलेरिया के प्रति किया जा रहा लोगों को जागरूक:
फाइलेरिया बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए जिले में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप बनाया जा रहा है। उक्त ग्रुप में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही फाइलेरिया के मरीजों को शामिल कर ग्रामीण स्तर पर नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क द्वारा स्थानीय लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है जिससे कि कोई भी व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित न हो सके। अगर किसी व्यक्ति को फाइलेरिया होने के लक्षण दिखाई देते हैं तो नेटवर्क के सहयोग से उसकी तत्काल जांच करवाते हुए चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने में सहयोग किया जाता है। बुधवार को पूर्णिया जिले के के.नगर प्रखंड स्थित सबुततार के शर्मा टोला में भी नेटवर्क मेंबर द्वारा कम्युनिटी बैठक किया गया जिसमें स्थानीय पुरूषों व महिलाओं ने भाग लिया। कम्युनिटी मीटिंग में सभी लोगों को बताया गया कि फाइलेरिया की बीमारी कैसे लोगों को संक्रमित करती है और इससे बचाव के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। कम्युनिटी मीटिंग से शर्मा टोला के लोगों में फाइलेरिया बीमारी को लेकर जागरूकता पैदा हुई और सभी लोगों द्वारा अन्य लोगों को भी फाइलेरिया बीमारी से सुरक्षा से सम्बंधित जागरूक करने का वादा किया गया।
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