आशा की कर्तव्यनिष्ठा ने पेश की मिसाल, उर्मिला के लाडले को मिला जीवनदान

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• स्वास्थ्य विभाग ने भी दिखायी तत्परता
• नवजात शिशु के पूरे शरीर में हो गया था संक्रमण
• आशा और एएनएम की सक्रियता से उर्मिला के आंगन में लौटी खुशियां
• अब गूंज रही है स्वस्थ शिशु की किलकारी

श्रीनारद मीडिया‚ पंकज मिश्रा‚ छपरा (बिहार)


माता-पिता के लिए दुनिया की सबसे बड़ी खुशी तब होती है जब उनके घर नये मेहमान यानी शिशु का जन्म होता है। उस वक्त ऐसा लगता है कि यह जीवन की सबसे बड़ी खुशी है। लेकिन जागरूकता कमी और लापरवाही कई बार इन खुशियों को फीका भी कर देती है। अगर क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने कर्तव्य पथ पर निरंतर चलते रहें तो कई अनहोनी घटनाओं को टाला जा सकता है। एक ऐसा ही उदाहरण पेश किया है सारण जिले के दरियापुर प्रखंड के जमीरा गांव की आशा इन्दु देवी ने। आशा की कर्तव्यनिष्ठा और सक्रियता से एक नवजात शिशु को नया जीवनदान मिला है। जमीरा गांव के दिलीप राय की पत्नी उर्मिला देवी ने एक शिशु को जन्म दिया। नवजात की वजन मात्र 1710 ग्राम था। वह कमजोर था। अगले दिन आशा गृह भ्रमण करने के दौरान उर्मिला के घर पहुंची और उसने देखा कि नवजात के शरीर में इंफेक्शन हो गया है। उसके पूरे शरीर में छाले पर गये थे। यह सब परिवार वालों की गलती से हुआ था। जागरूकता की कमी के कारण घर के लोगों ने नवजात को तेल लगा दिया था। जिसके बाद आशा ने इसकी जानकारी एएनएम मंजू कुमारी को दी। जिसके बाद इसकी सूचना स्थानीय पीएचसी को दी गयी।

विभाग ने दिखायी सक्रियता:
आशा के द्वारा सूचना मिलते हीं स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से एंबुलेंस तुरंत उर्मिला के दरवाजे पर पहुंची और जच्चा-बच्चा दोनों को अस्पताल लाया गया। जहां पर नवजात का बेहतर उपचार सुनिश्चित किया गया। दरियापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों और नर्सों ने भी अपनी कार्यकुशलता की बदलौत नवजात को एक नया जीवन देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन किया है। यह सब सरकार और विभाग के प्रयासों का परिणाम है कि आज उस नवजात को एक नया जीवन मिला है। बेहतर शिशु स्वास्थ्य के लिए सरकार प्रयासरत है। अस्पतालों में सुविधाओं को सुदृढ किया जा रहा है। समुदायस्तर पर नवजात देखभाल सुनिश्चित की जा रही है।

एएनएम और केयर टीम ने किया सहयोग:
जब आशा इन्दु देवी ने इसकी सूचना दी कि बच्चे को इन्फेक्शन हो गया तो तुरंत क्षेत्र की एएनएम नवजात के पास पहुंची और एएनएम मंजू देवी ने केयर बीएम शशांक शेखर को इसकी सूचना दी। केयर टीम ने तत्परता के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सूचित किया और एंबुलेंस सेवा मुहैया कराया। अब नियमित रूप से उस बच्चे की निगरानी की जा रही है। आशा कार्यकर्ता घर पर जाकर शिशु की देखभाल कर रही हैं। स्वास्थ्य कर्मी और एएनएम के द्वारा फोन पर फॉलोअप किया जा रहा है। राज्यस्तरीय टीम ने भी शिशु के घर पहुंचकर जानकारी ली है।

अब उर्मिला के आंगन में गूंज रही है किलकारी:
आशा इन्दु देवी की कर्तव्यनिष्ठा ने उर्मिला देवी और दिलीप राय के नवजात के लिए मिसाल पेश की है। नवजात शिशु उपचार के बाद पूरी तरह से स्वस्थ है। उर्मिला के आंगन में अब उसके लाडले की किलकारी गूंज रही है। परिवार के सदस्यों ने आशा कार्यकर्ता, एएनएम और स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर आशा नहीं होती और इतनी सजगता के साथ शिशु का उपचार नहीं होता तो शायद आज मेरे आंगन में यह किलकारी नहीं गूंजती।

एचबीएनसी कार्यक्रम नवजात शिशुओं के लिए वारदान:
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से है गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। इसके तहत आशा कार्यकर्ता शिशु के जन्म के अगले दिन से 42 दिनों तक निगरानी रखी जाती है। यह कार्यक्रम नवजात शिशुओं के लिए वारदान साबित हो रहा है।

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