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अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्‍यतिथि आज, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि. - श्रीनारद मीडिया

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्‍यतिथि आज, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि.

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्‍यतिथि आज, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की पुण्‍यतिथि है। इस मौके पर देश अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर रहा है। इस मौके पर आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उनके साथ ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी पूर्व पीएम की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आज दिल्ली में ‘अटल समाधि स्थल’ पहुंचकर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य भाजपा नेता भी मौजूद रहे।

आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की तीसरी पुण्यतिथि है। 16 अगस्त 2018 को उनका देहांत हो गया था। उनकी गिनती देश की सियासत के उन चंद नेताओं में होती है जो कभी दलगत राजनीति के बंधन में नहीं बंधे। उन्हें हमेशा ही सभी पार्टियों से भरपूर प्यार व स्नेह मिला। देश के तमाम नेता और जनता आज उनको याद कर रही है।

 

मैं भारत की जनता की ओर से राष्ट्रसंघ के लिए शुभकामनाओं का संदेश लाया हूं। महासभा के इस 32 वें अधिवेशन के अवसर पर मैं राष्ट्रसंघ में भारत की दृढ़ आस्था को पुन: व्यक्त करना चाहता हूं। जनता सरकार को शासन की बागडोर संभाले केवल 6 मास हुए हैं फिर भी इतने अल्प समय में हमारी उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं।

भारत में मूलभूत मानव अधिकार पुन: प्रतिष्ठित हो गए हैं जिस भय और आतंक के वातावरण ने हमारे लोगों को घेर लिया था वह अब दूर हो गया है। ऐसे संवैधानिक कदम उठाए जा रहे हैं जिनसे ये सुनिश्चित हो जाए कि लोकतंत्र और बुनियादी आजादी का अब फिर कभी हनन नहीं होगा।”
अध्यक्ष महोदय! वसुधैव कुटुंबकम की परिकल्पना बहुत पुरानी है भारत में। सदा से हमारा इस धारणा में विश्वास रहा है कि सारा संसार एक परिवार है

अनेकानेक प्रयत्नों और कष्टों के बाद संयुक्त राष्ट्र के रूप में इस स्वप्न के साकार होने की संभावना है यहां मैं राष्ट्रों की सत्ता और महत्ता के बारे में नहीं सोच रहा हूं। आम आदमी की प्रतिष्ठा और प्रगति के लिए कहीं अधिक महत्व रखती है अंतत: हमारी सफलताएं और असफलताएं केवल एक ही मापदंड से नापी जानी चाहिए कि क्या हम पूरे मानव समाज वस्तुत: हर नर-नारी और बालक के लिए न्याय और गरिमा की आश्वसति देने में प्रयत्नशील हैं।”

“अफ्रीका में चुनौती स्पष्ट हैं प्रश्न ये है कि किसी जनता को स्वतंत्रता और सम्मान के साथ रहने का अनपरणीय अधिकार है या रंग भेद में विश्वास रखने वाला अल्पमत किसी विशाल बहुमत पर हमेशा अन्याय और दमन करता रहेगा। नि:संदेह रंगभेद के सभी रुपों का जड़ से उन्मूलन होना चाहिए हाल में इजरायल ने वेस्ट बैंक को गाजा में नई बस्तियां बसा कर अधिकृत क्षेत्रों में जनसंख्या परिवर्तन करने का जो प्रयत्न किया है

संयुक्त राष्ट्र को उसे पूरी तरह अस्वीकार और रद्द कर देना चाहिए। यदि इन समस्याओं का संतोषजनक और शीघ्र ही समाधान नहीं होता तो इसके दुष्परिणाम इस क्षेत्र के बाहर भी फैल सकते हैं यह अति आवश्यक है कि जेनेवा सम्मेलन का पुन: आयोजन किया जाए और उसमें पीएलओ का प्रतिनिधित्व किया जाए।”

“अध्यक्ष महोदय भारत सब देशों से मैत्री चाहता है और किसी पर प्रभुत्व स्थापित करना नहीं चाहता। भारत न तो आण्विक शस्त्र शक्ति है और न बनना ही चाहता है। नई सरकार ने अपने असंदिग्ध शब्दों में इस बात की पुनघोर्षणा की है हमारी कार्यसूची का एक सर्वस्पर्थी विषय जो आगामी अनेक वर्षों और दशकों में बना रहेगा वह है मानव का भविष्य। मैं भारत की ओर से इस महासभा को आश्वासन देना चाहता हूं कि हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति और मानव कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग और बलिदान की बेला में कभी पीछे नहीं रहेंगे।”

“जय जगत…धन्यवाद।”

(4 अक्टूबर 1977 को संयुक्त राष्ट्र संघ में अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिया गया ऐतिहासिक भाषण)

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