जम्मू-कश्मीर में जवानों पर हमले ने दिलाई पुलवामा टेरर अटैक की याद.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आतंकियों ने भरतीय संसद पर हुए हमले की 20वीं बरसी पर श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर आर्म्ड पुलिस के जवानों को ले जा रही बस पर जिस तरह घात लगाकर हमला बोला है। इस आतंकी वारदात ने फरवरी 2019 में हुए पुलवामा टेरर अटैक की यादें ताजा कर दी हैं। जिस तरह इस हमले को अंजाम दिया गया है… ऐसा प्रतीत होता है कि जम्मू-कश्मीर आर्म्ड पुलिस के जवानों की मूवमेंट के बारे में उन्हें सटीक जानकारी थी। सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हेलिकाप्टर क्रैश के बाद एक हफ्ते के भीतर देश को लगी यह दूसरी बड़ी चोट कही जाएगी।
घात लगाकर हमले को दिया अंजाम
आतंकियों ने श्रीनगर के प्रवेशद्वार पंथाचौक में जम्मू-कश्मीर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों को लेकर जा रही बस पर सोमवार को शाम करीब छह बजे हमले का अंजाम दिया। हमले में जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर समेत दो पुलिसकर्मी बलिदानी हो गए जबकि 12 अन्य जख्मी हुए हैं। इनमें से दो की हालत नाजुक है।
बताया जाता है कि जम्मू-कश्मीर सशस्त्र पुलिस बल की नौवीं वाहिनी के जवान श्रीनगर में दिन भर कानून व्यवस्था की ड्यूटी देने के बाद वापस जेवन स्थित अपने मुख्यालय की तरफ लौट रहे थे। इस दौरान जब गाड़ी आरीपोरा पहुंची तो वहां मौजूद लोगों और वाहनों की भीड़ में छिपे आतंकियों ने बस पर घात लगाकर हमला किया।
…तब नेशनल हाईवे 44 से गुजर रहा था जवानों का काफिला
तारीख 14 फरवरी 2019 गुरुवार का दिन वह दोपहर का वक्त था। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 2500 जवानों का काफिला 78 बसों पर सवार होकर अपने गंतव्य की ओर जा रहा था। यह काफिला नेशनल हाईवे 44 से गुजर रहा था। बसों में सवार कई जवान छुट्टी पर वापस अपने घर लौट रहे थे। इन जवानों के चेहरों पर अपनों से मिलने की खुशी नजर आ रही थी। पहले की तरह सड़क पर दूसरे वाहनों की आवाजाही को रोके बिना यह काफिला आगे बढ़ रहा था।
हर कोई था चौकन्ना लेकिन…
यहां एक बात गौर करने लायक है कि इसी हाईवे पर दो दिन पहले भी आतंकियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर हमले किया था इस वजह से हर कोई चौंकन्ना था। काफिले के मूवमेंट के दौरान एक कार ने सड़क के दूसरी ओर से काफिले की एक बस में टक्कर मार दी थी। यह कार विस्फोटकों से लदी थी जिसमें जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकी सवार थे। कार की टक्कर के साथ ही जोरदार धमाका हुआ।
हर तरफ फैला था खून
जवान कुछ समझ पाते और जवाबी कार्रवाई के लिए पोजिशन ले पाते वहां पहले से ही घात लगाए आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि सीआरपीएफ जवानों ने जवाबी कार्रवाई की लेकिन आतंकी हमले को अंजाम देकर भागने में सफल रहे। धमाके और गोलीबारी के बाद जब धुआं छटा तो वहां का नजारा दिल दहला देने वाला था। हर तरफ मांस के टुकड़े और खून फैला पड़ा था। जवानों को ले जा रही बस के चीथड़े उड़ गए थे। जवान नम आंखों से अपने साथियों को तलाश रहे थे।
40 जवान हो गए थे शहीद
इस कायराना हमले में सीआरपीएफ की 76 बटालियन के 40 जवान शहीद हो गए थे। जैसे जैसे टेलीविजन पर खबर फैली पूरा देश गम और गुस्से में डूबता चला गया था। इस हमले के बाद पाकिस्तान की नापाक हरकत को लेकर पूरे देश में भारी आक्रोश था। घायल जवानों को तुरंत श्रीनगर स्थित आर्मी के बेस हास्पिटल ले जाया गया। कहा जाता है कि यह 1989 के बाद सुरक्षा बल के जवानों पर सबसे बड़ा हमला था। जैश ए मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। विस्फोटक लदी कार को बस से टकराने वाले आतंकी की पहचान आदिल अहमद डार के रूप में हुई थी।
18 फरवरी को मार गिराया गया था कामरान
इसके बाद 18 फरवरी को सुरक्षाबलों ने इस हमले की योजना बनाने वाले जैश ए मोहम्मद के आतंकी कामरान को मार गिराया। इस गम और गुस्से को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह कह कर बढ़ा दिया था कि इस हमले में पाकिस्तान को कोई फायदा नहीं है। हम भारत से बात करना चाहते हैं लेकिन पहल नई दिल्ली को करनी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले के बाद परोक्ष रूप से पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि सभी आंसूओं का बदला लिया जाएगा। हमने सुरक्षा बलों को इसके लिए पूरी आजादी दे दी है। संयुक्त राष्ट्र समेत कई मुल्कों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को अपना समर्थन दिया था।
बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर ले लिया था बदला
इसके बाद मोदी सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए हमले के 12 दिनों के भीतर पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। 15 फरवरी 2019 को CCS की बैठक में पीएम मोदी को इसकी योजना बताई गई थी। एनएसए अजित डोभाल और वायुसेना प्रमुख को इस आपरेशन की हर गतिविधि की जानकारी दी जा रही थी। पीएम मोदी खुद इस पर नजर रख रहे थे। 26 फरवरी 2019 की रात मिराज-2000 विमानों ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरकर तड़के तीन बजे बालाकोट में जैश के ठिकानों को तबाह कर दिया था जिसमें सैकड़ों आतंकी मारे गए थे.
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