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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी ओपनएआई (OpenAI) द्वारा बनाए गए कंप्यूटर प्रोग्राम चैटजीपीटी (ChatGPT) पर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं। चैटजीपीटी ने एक कानून के प्रोफेसर को लेकर ऐसी जानकारी दी जिससे उनकी प्रतिष्ठा को गहरी ठेस पहुंची है। ChatGPT द्वारा साझा की गई जानकारी में कानून के प्रोफेसर पर एक छात्रा का यौन उत्पीड़न करने का झूठा आरोप लगाया गया है।
प्रोफेसर पर लगाए झूठे आरोप
बता दें कि ChatGPT एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जिसे इंसानों के साथ इस तरह से बात करने के लिए डिजाइन किया गया है जो दो लोगों के बीच बातचीत जैसा दिखता है। ChatGPT पर आरोप है उसने अमेरिकी क्रिमिनल डिफेंस अटॉर्नी जोनाथन टर्ली को लेकर गलत जानकारी दी। दरअसल ChatGPT ने बताया कि जोनाथन टर्ली ने अलास्का ट्रिप के दौरान अपनी एक छात्रा से सेक्सुअल फेवर मांगा और गलत व्यवहार किया था। यहां हैरान करने वाली बात ये है कि जोनाथन टर्ली कभी अलास्का गए ही नहीं थे।
डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, यही नहीं चैटजीपीटी ने प्रोफेसर को लेकर जानकारी देने के लिए वाशिंगटन पोस्ट के जिस आर्टिकल का उल्लेख किया वह कभी लिखा ही नहीं गया था। चैटजीपीटी ने एक ऐसे स्टेटमेंट का हवाला दिया जो अखबार द्वारा कभी छापा ही नहीं गया था। डिफेंस अटॉर्नी ने यौन संबंध को लेकर गलत आरोप लगाए जाने के बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के खतरों पर चिंता व्यक्त की है।
खुद से गढ़ी मनगढ़ंत कहानी
गलत सूचना केवल एक आरोप लगाने तक ही सीमित नहीं थी। चैटबॉट का यह भी मानना था कि ‘घटना’ तब हुई जब प्रोफेसर उस फैकल्टी में काम कर रहे थे जिसमें वह कभी कार्यरत नहीं थे। एक ट्वीट में, जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जोनाथन टर्ली ने कहा, ‘कल, राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की थी कि “यह देखा जाना बाकी है” कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) “खतरनाक” है। मैं आपकी बात नहीं मानता।” उन्होंने कहा, “मुझे पता चला कि चैटजीपीटी ने मेरे खिलाफ यौन उत्पीड़न के एक दावे की झूठी सूचना दी है। यह एक ऐसा आरोप जो मेरे ऊपर कभी नहीं लगा। न ही मैं कभी उस ट्रिप पर गया था और न ही मैंने उस फैलक्टी में पढ़ाया था जिसका उल्लेख चैटजीपीटी ने किया है।”
प्रोफेसर पर लगाए गंभीर आरोप
प्रोफेसर टर्ली को ये बात तब पता चली जब एक साथी प्रोफेसर से उन्हें ईमेल मिला था। यूसीएलए के प्रोफेसर यूजीन वोलोख ने चैटजीपीटी को ऐसे ‘पांच उदाहरण’ खोजने के लिए कहा था जहां ‘प्रोफेसरों द्वारा यौन उत्पीड़न’ ‘अमेरिकी लॉ स्कूलों में समस्या’ थी। USAToday की खबर में प्रोफेसर टर्ली के हवाले से कहा गया कि उन उदाहरणों में उनका नाम भी शामिल था। चैटबॉट ने कथित रूप से लिखा: ‘शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अलास्का के एक लॉ स्कूल द्वारा प्रायोजित ट्रिप के दौरान टर्ली ने “यौन रूप से अश्लील टिप्पणियां” कीं और “उसे गलत तरीके से छूने का प्रयास किया”।’ ऐसा कहा गया था कि प्रोफेसर टर्ली जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर में कार्यरत थे। यह एक ऐसी जगह जहां उन्होंने कभी काम नहीं किया था।
इसके बाद इन झूठे दावों की वाशिंगटन पोस्ट ने जांच की और पाया कि Microsoft द्वारा संचालित GPT-4 ने भी टर्ली के बारे में ऐसे ही दावे किए। यह बार-बार मानहानि चैटजीपीटी की प्रारंभिक गलती को उजागर करने वाले प्रेस कवरेज के बाद हुई है, यह दर्शाता है कि गलत सूचना कितनी आसानी से फैल सकती है।