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14 अगस्त :भारत माता के दुखद विभाजन का दिन,कैसे? - श्रीनारद मीडिया
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14 अगस्त :भारत माता के दुखद विभाजन का दिन,कैसे?

14 अगस्त :भारत माता के दुखद विभाजन का दिन,कैसे?

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priyranjan singh
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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर आज पीएम मोदी ने उन सभी लोगों को याद किया और श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने विभाजन के दौरान अपनी जान गंवा दी. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, ‘आज ‘विभाजन भयावह स्मृति दिवस’ पर मैं उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाई और हमारे इतिहास के उस दुखद दौर में पीड़ित सभी लोगों के लचीलेपन और धैर्य की सराहना करता हूं.’

एक तरफ 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी तो वहीं दूसरी ओर देश के दो टुकड़े हो रहे थे. लाखों लोग इधर से उधर हो गए. घर-बार छूटा. परिवार छूटा. लाखों की जानें गईं. यह दर्द था, विभाजन का. भारत के लिए यह विभीषिका से कम नहीं थी.

विश्व के पहले विश्व विद्यालय तक्षशिला और
हिंदु शब्द की पहचान देने वाली सिंधु नदी को,
हिंगलाज माता और माँ ढाकेश्वरी को,
महर्षि पाणिनी,भगवान झूलेलाल, राजा दाहिर सेन और वीर हकीकत राय के सिंध को,
ननकाना साहेब, करतारपुर साहेब और भगतसिंग व लाला लाजपत राय के लाहौर को.
याद करें उन लगभग 20 लाख हिंदुओं को जिनको विभाजन के गुनाहगारों ने हत्या कर दी.
आइये,
भारत माता के विभाजन की वेदना हृदय में धारण कर इसी रूप में पुन:अखण्ड बनाने का संकल्प लें.
क्या यह संभव है ?
अवश्य……….
जब मात्र 24 वर्षों बाद 1971 में पाकिस्तान का विभाजन होकर बांग्लादेश बन सकता है,
जब 72 वर्षों पश्चात 370 और 35A हटायी जा सकतीI है, जब 492 वर्षों के संघर्ष के पश्चात अयोध्या में श्री राम मंदिर बनाया जा सकता है,
जब पाकिस्तान पुन:विभाजन की कगार पर बैठा है
तो संभव है.

दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा

देश का बंटवारा हुआ लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं. इस ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे. भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया जिसे हमेशा उलटना-पलटना पड़ता है. दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग बेगाने और बेघर हो गए. धर्म-मजहब के आधार पर न चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए.

इस अदला-बदली में दंगे भड़के, कत्लेआम हुए. जो लोग बच गए, उनमें लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई. भारत-पाक विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई. यह केवल किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था. बंटवारे का यह दर्द गाहे-बगाहे हरा होता रहता है. विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इसी दर्द को याद करने का दिन है.

लेकिन आवश्यकता है :–
हिंदु समाज के संकल्प, मनोबल और आत्म विश्वास की.
आइए आज सभी लोग संकल्प लें जल्द अखंड भारत निर्माण की।

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