प्रभु श्रीराम के वंशज अवधिया समाज ने भरी हुंकार, सरकार को चेताया
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
सीवान जिले के पचरुखी प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय बड़कागांव के प्रांगण में रविवार को रघुवंशी अवधिया क्षत्रिय संघ के बैनर तले अवधिया क्षत्रिय समाज का एक सम्मेलन हाईकोर्ट पटना के अधिवक्ता आदेश राज सिंह की अध्यक्षता में की गयी।
बैठक को संबोधित करते हुए बड़हरिया के पूर्व विधायक श्यामबहादुर सिंह ने कहा भगवान राम को किसी धर्म के लिये नहीं जाना जाता बल्कि न्याय के लिये जाना जाता है। हम अवधिया उसी भगवान राम के वंशज हैं।।न्याय को परिभाषित करते हुए कहा कि जो क्षति से बचाता है, वही है क्षत्रिय है।अवधिया न्याय के लिए जाने जाते हैं।यही असली क्षत्रिय धर्म भी है।
बैठक को संबोधित करते हुए प्रो • रणविजय सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन अपनी पहचान और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए की गयी है।राजनेताओं ने अपनी राजनीति के लिए हमलोगों का स्वरूप ही बदल देने का कार्य किया गया।जिस पहचान को हमारे दादा-परदादा बनाए रखा,उसे हमारी नयी पीढ़ी भूलती जा रही है।जनेऊ धारण करना आज की पीढ़ी को बोझ लगता है।
नागेन्द्र सिंह ने कहा कि राम ने शिव का धनुष तोड़ कर शिव के नाम पर चलने वाले आंडबर को तोड़ा। क्योंकि धरती के देवाधिदेव भगवान शिव सभी के लिए भोला बाबा बने रहें। शिव को पूजने वाले श्रीराम से लेकर राजा शिवि से लेकर शिवाजी तक।हम सभी राम का वंश हैं, राम का अंश हैं।
वहीं राकेश कुमार सिंह ने कहा कि अवधिया की तीन शाखाएँ हैं।जिसमें सुरूजहा,सोखहा और ब्रह्म हैं।जिनकी अपनी अलग-अलग गोत्रावली है। अवधिया सूरूजहा लव के वंशज हैं और इनका गोत्र कश्यप है, अवधिया सोखहा कुश के वंशज हैं और इनका गोत्र वशिष्ठ वहीं अवधिया ब्रह्म लिच्छवी से ताल्लुक रखते हैं जिनका गोत्र मनु हैं।लेकिन नयी पीढ़ी को जानकारी नहीं देने के कारण दूसरे लोग इस पर कब्जा कर रहे हैं।
आगे कहा कि कहा जाता है कि छठी शताब्दी शशांक जब बौद्ध विहारों को नष्ट कर रहा था। तब इसी उथल पुथल के बीच अवध से रघुवंशी क्षत्रिय का समूह पलायन कर इधर आकर बसा और उसने इस अन्याय के विरुद्ध तलवार उठा ली। यही क्षत्रिय लोग आज अवधिया के नाम से जाने जाते हैं।
वहीं हरेराम सिंह ने आगे कहा कि रघुवंशी क्षत्रिय को आगमन दो बार पहला छठी शताब्दी में तथा दूसरा सोलहवीं शताब्दी के अंत में धर्मांध मुगल शासक औरंगजेब के समय में हुआ था।उस समय औरंगजेब प्रतिष्ठित वंश का धर्मांतरण करा रहा था।तब यही रघुवंशी समाज अपने जीवकोपार्जन के लिए कृषि कार्य करने लगे थे,लेकिन कभी भी अपने मान सम्मान से कभी भी समझौता नहीं किया।अवध से आने के कारण ही इनका नाम अवधिया पड़ा।
शहर के प्रसिद्ध ईएनटी स्पेशलिस्ट डा • प्रदीप कुमार ने समाज के शिक्षा एवं स्वास्थ्य के विकास पर जोर दिया।कहा कि इसके लिए हमारा संघ प्रयासरत रहेगा।
नागेन्द्र सिंह ने कहा कि अवधिया परिवार में मरणोपरांत दुधा लगाने की प्रक्रिया दूध-चावल और गुड़ से लगाया जाता है।आज भी अयोध्या की तरह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार या शुक्रवार को अगहनी धान का चिउरा,गन्ने का रस और गुड़ का भोग लगाया जाता है।बुधवारी की विशेष पूजा इसकी अलग पहचान को दर्शाता है।
आगे कहा कि अवधिया में शादी विवाह के समय सिंहोरा नहीं जाता है,क्योंकि भगवान राम की शादी स्वयंवर में ही हो चुकी थी।इसी कारण से यह परंपरा आज भी जीवित है।
अध्यक्षीय भाषण में अधिवक्ता आदेश राज सिंह ने कहा कि यह लड़ाई हमारे रघुवंशी अवधिया क्षत्रिय समाज के पहचान और मान-,सम्मान की लड़ाई है।
आगे बताया कि हाईकोर्ट पटना ने हमारी जनहित याचिका पर कहा था कि आपने पहले यह सवाल क्यों नहीं उठाया ? हम भले देर से जगे हैं लेकिन अब हमलोग सुप्रीम कोर्ट में गये हैं,साथ ही अभी तो पाँच जिले से लोग आए हैं,सरकार ने अगर हमारी पहचान मिटाने कि प्रयास जारी रखा तो हम पटना को भी पाटेंगे। सभा का संचालन अवनीत कुमार ने किया!
सभा को रामप्रवेश सिंह,मुखिया जगनारायण सिंह,हरेकृष्ण सिंह,हरेराम सिंह,उदय सिंह,सर्वेश सिंह,रूदल सिंह,अवन्ति सिंह डा • अनिवार्य सिंह,धर्मराज सिंह ,नवनीत सिंह,ने भी संबोधित किया
बैठक में मुखिया विनोद सिंह,अनिल सिंह,धर्मराज सिंह, भरत सिंह,जयप्रकाश सिंह,सुरवाला मुखिया विनोद सिंह,भटवलिया मुखिया अनिल सिंह,चंदन सिंह,कवि विपेन्द्र ,धर्मेन्द्र सिंह,रामाशीष सिंह,अनिल सिंह,महेश सिंह, सहित सिवान,छपरा,गोपालगंज, पश्चिमी और पूर्वी चम्पारण तथा उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में अवधिया लोग पहुँचे थे।
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