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अयोध्या मामला जिसे तय समय में पूरा किया :रंजन गोगोई

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले पर फैसला सुनाने वाली पीठ के अध्यक्ष और उस समय के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का कहना है कि अयोध्या मामला मुझे विरासत में मिली एक चुनौती थी जिसे उन्होंने न तो टाला न जी चुराया बल्कि उसका सामना किया और उसे तय समय में पूरा किया। अपनी आत्मकथा ‘जस्टिस फार द जज’ के लोकार्पण के मौके पर पूर्व सीजेआइ ने न्यायपालिका को लेकर भ्रांतियों को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में कार्यपालिका की दखलंदाजी नहीं होती। नेहरू मेमोरियल न्यूजिम एंड लाइब्रेरी में उनकी आत्मकथा का लोकार्पण पूर्व चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने किया।

लोहे के पेन और हीरे की निब से लिखी गई पुस्तक 

जस्टिस बोबडे ने कहा कि यह पुस्तक लोहे के पेन और हीरे की निब से लिखी गई है। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद व अन्य लोग मौजूद रहे। जस्टिस गोगोई ने पुस्तक लोकार्पण के दौरान सवालों के बेबाकी से जवाब दिये। अयोध्या के मुकदमे को प्राथमिकता देने और कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले और अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के मामले को प्राथमिकता न दिए जाने के सवालों पर जस्टिस गोगोई ने कहा कि अयोध्या का मुकदमा लंबे समय से लंबित था। उन्होंने उसकी सुनवाई की पीठ गठित की और तय समय में पूरा किया।

कश्मीर का केस उपलब्ध वरिष्ठ न्यायाधीश की पीठ को सुनवाई के लिए सौंपा था और केस को अगले ही दिन एक अक्टूबर को सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया था। खुद पर लगे यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई कर रही पीठ में उनके शामिल होने के सवाल पर जस्टिस गोगोई ने माना कि यह उनकी गलती थी और गलती सबसे होती है। सेवानिवृत्त होने के बाद राज्यसभा सदस्य का प्रस्ताव स्वीकारने पर उन्होंने कहा कि वे राष्ट्रपति द्वारा नामित किये गए हैं। वे किसी पार्टी में नहीं हैं। वे संसद में स्वतंत्र रूप से अपनी बात रखने के लिए आजाद हैं। नगालैंड की घटना को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना बताया। असम के वर्तमान मुख्यमंत्री की उन्होंने तारीफ की और कहा ऐसे लोगों को राजनीति में आना चाहिए।

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