*अयोध्या ओवैसी के पूर्वजों की नगरी, स्वागत होना चाहिए उनका – संत रितेश्वर महाराज*
*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*
*वाराणसी* / श्रीराम की नगरी कौन क्या भाव लेकर आ रहा है ये मायने रखता है, ये नहीं कि कौन आ रहा है। अगर कोई दुर्भावना लेकर आ रहा है तो उसका विरोध होना चाहिए। ओवैसी अपने पूर्वजों की धरती पर अगर आ रहे हैं तो उनका स्वागत होना चाहिए क्योंकि हिन्दुस्थान में कोई अरब से नहीं आया। उक्त बातें श्रीधाम वृंदावन के संत रितेश्वर महाराज ने वाराणसी पहुँचने पर कही।
बता दें कि एआईएमआईएम चीफ असद्दुदीन ओवैसी सात सितंबर को अयोध्या जिले के रुदौली में सूफी संत शेख आलम मखदूम जदा की दरगाह पर जाएंगे और वहां एक जनसभा करेंगे। श्रीधाम वृंदावन के संत रितेश्वर महाराज ने वाराणसी पहुंचकर BLW में प्रेस वार्ता की। उन्होंने बताया कि वो काशी में धर्म प्रचार और मतदाताओं को जागरूक करने के लिए आये है। उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान में धर्म जागरण एवं जन जागरण तथा संपूर्ण विश्व में परम समृद्धशाली सनातन धर्म के गौरव को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से यह यात्रा अपने परिजनों के साथ श्रीधाम वृंदावन से प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या होते हुए बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी काशी वाराणसी पहुंची है।
इस दौरान श्रीधाम वृंदावन के संत रितेश्वर महाराज ने कहा कि धर्म सिर्फ टीका, तिलक और अगरबत्तियों का नाम नहीं है। धर्म वह है जिसमे हम खुद के साथ साथ समाज को भी बढ़ाते हैं। विष्णु का अर्थ विराट से है आप का ह्रदय जितना विराट होगा आप का धर्म भी उतना विराट होगा।
ओवैसी द्वारा अयोध्या दौरे पर बोले कि कौन आ रहा है या मायने नहीं रखता। उसका क्या उद्देश्य है क्या मानसिकता लेकर वो आ रहा ये मायने रखता है। यदि भगवान् राम का आदर का भाव लेकर आ रहा है तो स्वागत है यदि अंदर कोई दुर्भावना है तो विरोध होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ओवैसी किस उद्देश्य से आ रहे हैं ये मुझे नहीं पता। वो भारत के नागरिक हैं और कहीं भी आ सकते हैं और हम कट्टर लोग नहीं हैं। मक्का में हिन्दू नहीं जा सकते पर हम लिबरल हैं यहां सब जा सकते हैं। हमसे बड़ा लिबरल कौन है। ओवैसी क्यों जाना चाहते हैं वो डिसाइड करें और वहां की जनता तय करे लेकिन राष्ट्रहित में अगर वो आ रहे हैं तो उन्हें आना चाहिए क्योंकि पूर्वज तो वहीँ हैं न क्योंकि भारत में अरब से कोई नहीं आया और अगर ओवैसी अपने पूर्वजों का स्थान पर आ रहे हैं तो स्वागत है उनका।
अयोध्या के बाद अब मथुरा, काशी के लिए संत लड़ेंगे के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारी कोई संपत्ति थी उसपर किसी का कब्ज़ा हो गया हम कमज़ोर थे लेकिन अब हमारे घर में आईएएस और पीसीएस हो गए तो वो अपनी ज़मीन वापस लेगा ही न, तो जो मंदिर था वो मंदिर रहेगा जो मस्जिद था वो मस्जिद रहेगा।