अयोध्या महिला पुलिस केस: पीड़िता को आया होश, रेप की पुष्टि नहीं

अयोध्या महिला पुलिस केस: पीड़िता को आया होश, रेप की पुष्टि नहीं

हाईकोर्ट की दखल, जानिए कहां पहुंचा मामला

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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विगत 30 अगस्त की रात सरयू एक्सप्रेस में लहुलुहाल हालत में मिली मुख्य महिला आरक्षी ट्रामा सेंटर में एडमिट है। उसकी हालत में सुधार है। उसे होश आ गया है। मंगलवार को उसे पीने के लिए पानी दिया गया। डॉक्टरों के अनुसार वह रिकवरी कर रही है। पुलिस के अनुसार अभी वह बात करने की हालत में नहीं है।

जब वह खुद बता पाएगी कि उसके साथ क्या हुआ है तभी ठीक से घटना के बारे में पता चल सकेगा। इस मामले की जांच अब यूपी एसटीएफ के हाथ में हैं। हाईकोर्ट के सीधे दखल के बाद यह मामला हाई प्रोफाइल हो गया है। हाईकोर्ट ने रविवार की शाम इस मामले की विशेष सुनवाई की थी। उसके बाद पुलिस और सरकार दोनों ही एक्टिव मोड में हैं।

क्या है घटनाक्रम?

मनकापुर से अयोध्या होकर प्रयागराज जाने वाली सरयू एक्सप्रेस में  बीते बुधवार की सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में एक महिला मुख्य आरक्षी गंभीर रूप से घायल पाई गई थी। उसके शरीर पर धारदार हथियार से वार किए जाने के निशान थे। वह अर्धनग्न अवस्था में थी। उस समय यह आशंका जताई जा रही थी कि उसके साथ दुष्कर्म कर हत्या करने का प्रयास किया गया है। उसे गंभीर अवस्था में श्रीराम अस्पताल अयोध्या से लखनऊ रेफर कर दिया गया था, जहां ट्रामा सेंटर में उसका इलाज चल रहा है।

बताया गया कि उक्त महिला मुख्य आरक्षी सुल्तानपुर पुलिस में तैनात है। उसकी अयोध्या सावन झूला मेला में ड्यूटी लगी हुई थी। वह मंगलवार की रात सुल्तानपुर से सरयू एक्सप्रेस में अयोध्या आने के लिए सवार हुई थी लेकिन ट्रेन में सो जाने के कारण वह मनकापुर पहुंच गई। सुबह करीब 4:30 बजे जब सरयू एक्सप्रेस अयोध्या पहुंची तो वह गंभीर रूप से घायल अवस्था में मिली। इस मामले में पुलिस ने अपनी जांच शुरू की थी।

हाई कोर्ट ने रात में लगा दी अदालत 

इस मामले की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे खुद संज्ञान में लिया। रविवार को रात आठ बजे मुख्य न्यायाधीश के आवास पर अदालत लगाई गई। मुख्य न्यायाधीश ने मामले का संज्ञान लेते हुए रात आठ बजे अपने आवास पर अदालत लगाने का फरमान जारी कर दिया। अदालत बैठने की सूचना महाधिवक्ता को दी गई। तय समय पर रात आठ बजे सीजे आवास पर हाईकोर्ट का स्टॉफ, सरकारी वकील और याची अधिवक्ता पेश हुए।

मुख्य न्यायधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की। याची अधिवक्ता राम कौशिक ने मीडिया और सोशल रिपोर्ट का हवाला देते मामले की गंभीरता पर प्रकाश डाला। स्पेशल बेंच की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल, शासकीय अधिवक्ता ए के संड, एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट जेके उपाध्याय और एडिशनल चीफ स्टैंडिंग काउंसिल प्रियंका मिड्ढा को तलब किया था। उसने सरकार की तरफ से आए प्रतिनिधियों से यह जाना था कि अब तक सरकार की तरफ से क्या कुछ किया गया है।

लैंगिक अपराध की पुष्टि नहीं  

हाईकोर्ट के इस रुख के बाद डीजीपी ने जीआरपी और स्थानीय पुलिस के साथ एसटीएफ को भी हमलावरों को तलाशने का निर्देश दिया है। स्पेशल डीजी पीड़िता से मिलने ट्रामा सेंटर पहुंचे। वहां से लौटने के बाद उन्होंने कहा कि महिला मुख्य आरक्षी की तबीयत ठीक है। उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। जिन्होंने इस वारदात को अंजाम दिया है, उनको जल्द पकड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी जांच में सामने आए तथ्यों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है। स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि फॉरेंसिक जांच में महिला के साथ यौन शोषण होने की पुष्टि नहीं हुई है। अभी वह बोल नहीं पा रही है, उसके ठीक होने के बाद बयान दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में हाईकोर्ट द्वारा दिए गये निर्देशों का पालन किया जा रहा।

पहले रेलवे एसपी, बाद में पीड़िता के भाई व अब डीजीपी ने भी पीड़िता के साथ लैंगिक अपराध होने से इनकार किया है। फिलहाल जांच टीम अभी पीड़िता के बयान का इंतजार कर रही है। घटना वाली बोगी को जांच टीम ने सील कर रखा है, फोरेंसिक टीम उसकी कई बार जांच भी कर चुकी है।

एसटीएफ करेगी जांच 

सरयू-यमुना एक्सप्रेस में महिला मुख्य आरक्षी सुमित्रा पटेल पर जानलेवा हमले की जांच एसटीएफ भी करेगी। प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, डीजीपी विजय कुमार, स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था एवं अपराध प्रशांत कुमार और एडीजी जीआरपी जय नारायण सिंह ने सोमवार की दोपहर केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में पहुंचकर मुख्य आरक्षी का हाल जाना।

रविवार देर रात इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए स्पेशल बेंच बैठाकर सरकार से जवाब-तलब किया था। हाईकोर्ट के इस रुख के बाद डीजीपी ने जीआरपी व स्थानीय पुलिस के साथ एसटीएफ को भी हमलावरों को तलाशने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि अभी जांच में सामने आए तथ्यों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।

अयोध्या में कैंप कर रहे हैं जीआरपी के वरिष्ठ अधिकारी

विगत 29/30 अगस्त की रात मनकापुर से अयोध्या जा रही सरयू-यमुना एक्सप्रेस में महिला सिपाही पर धारदार हथियारों से हमला किया गया था। जनरल बोगी में खून से लथपथ मिलने के बाद सुबह चार बजे अयोध्या रेलवे स्टेशन पर प्राथमिक उपचार के बाद लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए जीआरपी के वरिष्ठ अधिकारी अयोध्या में कैंप कर हमलावरों का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं।

हालत में सुधार, दिया गया पानी 

ट्रामा सेंटर में भर्ती मुख्य आरक्षी की हालत में अब काफी सुधार आ गया है। उसे पूरी तरह होश आ गया है। डॉक्टरों के अनुसार मंगलवार से उसे पानी पीने के लिए दिया गया है। उम्मीद है कि एक-दो दिन में हालत और बेहतर होगी। इसकी पुष्टि ट्रॉमा सेंटर के अधीक्षक प्रो. संदीप तिवारी ने की।

अभी तक कोई सुराग नहीं 

मनकापुर से अयोध्या के बीच सरयू एक्सप्रेस ट्रेन में महिला आरक्षी के साथ किसने दरिंदगी की, जीआरपी व पुलिस की आधा दर्जन टीमें अब तक इस बात का पता लगाने में नाकामयाब है। वहीं, सात दिन बाद अभी तक किसी की जवाबदेही तक तय नहीं हो सकी है।

आखिर क्या हुआ होगा?

अभी तक हुई जांच के बाद पुलिस यह मानकर चल रही है कि यह वारदात चलती ट्रेन में हुई है। वारदात के दिन जांच करने पहुंची एसपी रेलवे पूजा यादव ने कहा था कि रात में ट्रेन की सुरक्षा में तैनात जीआरपी पुलिस को उक्त महिला सिपाही मनकापुर रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में मिली थी, तब तक वह ठीक थी। उसने बताया था कि वह ट्रेन में सो गई, इसलिए यहां मनकापुर तक पहुंच गई। वहीं सुबह ट्रेन के रवाना होते समय जीआरपी पुलिस दूसरे बोगी में सवार थी। यह ट्रेन मनकापुर से रवाना होने के बाद करीब 45 मिनट के बाद सीधे अयोध्या रुकती है। बीच में इसका कोई स्टापेज नहीं है। ऐसे में दूसरी बोगी में सवार महिला आरक्षी के साथ क्या हुआ, इसका कुछ पता नहीं लग सका है। महिला आरक्षी की गवाही के बाद यह पूरी तरह से स्पष्ट हो सकेगा कि उसके साथ क्या हुआ था।

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