बाबा सिद्दीकी चुनाव के बाद पैतृक गांव आने वाले थे!
बिहार में गोपालगंज के मांझागढ़ं स्थित उनके पैतृक गांव शेखटोली में है मातम
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मुंबई में एनसीपी (अजीत गुट) नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद उनके पैतृक गांव गोपालगंज जिले के मांझागढ़ प्रखंड के शेखटोली में मातम है। भले ही उन्होंने मुंबई में रहकर अपनी राजनीतिक पहचान बनाई, लेकिन पैतृक गांव से भी उनका गहरा लगाव था। गांव के हाई स्कूल और मदरसा के विद्यार्थियों की पढ़ाई में वह मदद करते थे। उन्होंने अपने पिता अब्दुल रहीम सिद्दीकी के नाम से एक ट्रस्ट स्थापित किया था। यह ट्रस्ट बिहार के विभिन्न जिलों में 40 शैक्षिक संस्थानों का संचालन करता है। इसके जरिये गरीब विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है।
बाबा सिद्दीकी उर्फ बाबा जियाउद्दीन सिद्दीकी के पिता अब्दुल रहीम सिद्दीकी गोपालगंज जिले के मांझागढ़ थाना क्षेत्र के शेखटोली गांव निवासी थे। करीब 60 साल पहले वे रोजी रोटी के लिए मुंबई चले गए थे। मुंबई में उन्होंने जीवन बसर करने के लिए घड़ी एवं रेडियो की मरम्मत की दुकान खोली। फिर वहीं बस गए। बांद्रा पश्चिम में उनका अपना मकान है। मुंबई में ही 13 सितंबर, 1958 को बाबा सिद्दीकी का जन्म हुआ था। शेखटोली के ग्रामीण बताते हैं कि बाबा सिद्दीकी ने अथक संघर्ष के बल पर महाराष्ट्र की राजनीति में मुकाम हासिल किया था। पैतृक गांव में उनके चचेरे भाई मरहूम मो. जलालुद्दीन का परिवार रहता है।
शेखटोली गांव के इमामुद्दीन हवारी ने बताया कि पहली बार महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बनने के बाद बाबा सिद्दीकी 2008 में गांव आए थे। तब उन्होंने कहा था कि मैं अपने पैतृक गांव के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोडूंगा। वह अपने गांव के माधव हाई स्कूल के बच्चे-बच्चियों को स्कूली बैग और अपनी कक्षा में बेहतर अंक लाने वाले प्रथम श्रेणी के बच्चों को दस-दस हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि का वितरण किया करते थे।
भतीजे गुरफान ने बताया कि 2018 में बाबा सिद्दीकी ने गोपालगंज जिले के कई सरकारी स्कूलों के मेधावी विद्यार्थियों को 10-10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि वितरित की थी। उन्होंने गांव में नि:शुल्क शिक्षा के लिए संस्थान, मदरसा खुलवाया। कब्रिस्तान और क्रिकेट प्रैक्टिस सेंटर का भी निर्माण करवाया। उनके भतीजे गुरफान व फुरकान ने बताया कि जब भी वे गांव आते थे, ग्रामीणों का हालचाल लेते थे। ग्रामीण उनके सौम्य स्वाभाव के कायल रहे हैं।
1 अप्रैल 2022 को आखिरी बार आये थे गांव
बाबा सिद्दीकी आखिरी बार 1 अप्रैल 2022 को अपने पैतृक गांव शेखटोली आए थे। तब उन्होंने गांव के बच्चों के बीच अब्दुल रहीम मेमोरियल ट्रस्ट के माध्यम से स्कूल बैग का वितरण किया था। वे शेखटोली के मदरसा में हॉस्टल में पढ़ने वाले बच्चों का पूरा खर्च भेजते थे। उनके भतीजे गुरफान ने बताया कि बाबा सिद्दीकी ने अपने पिता की स्मृति में स्थापित अब्दुल रहीम मेमोरियल ट्रस्ट के माध्यम से पूरे बिहार मे 40 संस्थान खोले थे। इसके जरिये विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा की नि:शुल्क तैयारी करायी जाती है। गोपालगंज जिले में ऐसे तीन संस्थान हैं। गुरफान इसकी देखरेख करते हैं।
पांच दिन पूर्व विवाह भवन बनाने की कही थी बात
बाबा सिद्दीकी मांझागढ़ में जमीन खरीदकर विवाह भवन बनाना चाहते थे। पांच दिन पूर्व ही अपने भतीजे गुरफान से बातचीत कर उन्होंने जमीन खरीदने की जिम्मेवारी दी थी। उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव के बाद गांव आने की बात भी कही थी।
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