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कोविड-19 नियमों के तहत गोद भराई कार्यक्रम का हुआ आयोजन - श्रीनारद मीडिया
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कोविड-19 नियमों के तहत गोद भराई कार्यक्रम का हुआ आयोजन

कोविड-19 नियमों के तहत गोद भराई कार्यक्रम का हुआ आयोजन

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गर्भवती महिलाओं को अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों के संपर्क में लगातार रहना चाहिए: सीडीपीओ
नवजात शिशुओं को जन्म से लेकर छह महीने तक माँ का दूध पिलाना अनिवार्य: मनीषा

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):*


जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से सोमवार को गोदभराई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा अपने-अपने पोषक क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली गर्भवती महिलाओं के घर पहुंच कर उन्हें गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण, नियमित चिकित्सकीय जांच, सुरक्षित व संस्थागत प्रसव एवं परिवार नियोजन से जुड़े विभिन्न स्थायी व अस्थायी उपायों के प्रति जागरूक किया गया। बताते चलें प्रत्येक महीने के सात तारीख को ज़िले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों के द्वारा गर्भवती महिलाओं की गोदभराई कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। हालांकि वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान भी सेविकाओं के माध्यम से गर्भावस्था के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ ही कई तरह की सावधानियां व पोषण से संबंधित आवश्यक जानकारियां उपलब्ध करायी जा रही हैं। ताकि प्रसव के दौरान किसी तरह से कोई परेशानी नही हो।

गर्भवती महिलाओं को अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों के संपर्क में लगातार रहना चाहिए: सीडीपीओ
पूर्णिया पूर्व प्रखंड के सीडीपीओ राजेश रंजन ने बताया क्षेत्र के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर कोरोना नियम के तहत सेविकाओं के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के घर जाकर उन्हें गोद भराई कार्यक्रम का आयोजन कर उनलोगों को पोषण से संबंधित सलाह दी गयी। इसके साथ ही पोषक क्षेत्र की महिलाओं को बताया गया कि गर्भधारण की पुष्टि होने के बाद गर्भवती महिलाओं को अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों से संपर्क स्थापित कर समय-समय पर चिकित्सक या एएनएम दीदी से सलाह व जानकारी लेते रहना चाहिए। ताकि भविष्य में किसी तरह से कोई परेशानी नही हो। प्रसव पूर्व सभी तरह के आवश्यक जांच नियमित रूप से कराते रहना चाहिए। सीडीपीओ ने बताया गर्भधारण अवधि से लेकर सुरक्षित प्रसव तक बरते जाने वाली तमाम सावधानियों की जानकारी उपस्थित महिलाओं को दी गई। उन्होंने बताया गर्भावस्था के दौरान सभी गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से भोजन में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट व वसा को शामिल करना बेहतर होता हैं। निर्धारित मात्रा में हल्का व सुपाच्य आहार के रूप में लेना चाहिए। इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जी, दूध, ताजे फल, अंडा व दूध का सेवन नियमित रूप से करने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रेरित किया गया।

नवजात शिशुओं को जन्म से लेकर छह महीने तक माँ का दूध पिलाना अनिवार्य: मनीषा
पूर्णिया पूर्व की महिला पर्यवेक्षिका मनीषा कुमारी ने बताया पूर्व प्रखंड के अंतर्गत लगभग 125 आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन होता हैं जबकि मेरे पोषक क्षेत्र में 25 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। गोद भराई कार्यक्रम के तहत कई आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण कर गर्भवती महिलाओं का गोद भराई कार्यक्रम आयोजित किया गया। महिला पर्यवेक्षिका ने बताया शुरुआती दौर में उचित सलाह एवं पौष्टिक आहार नहीं मिलने के कारण बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास नहीं होता हैं। इसलिए नवजात शिशुओं को जन्म से लेकर छह महीने तक माँ का दूध पिलाना अतिमहत्वपूर्ण माना गया हैं। जबकिं छह महीने के बाद ही नवजात बच्चे को ऊपरी आहार का सेवन करना जरूरी होता है। छ्ह माह तक के बच्चे को केवल स्तनपान कराने से गर्मी के दिनों में दस्त या निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाया जा सकता है। वहीं नौ महीने से लेकर दो वर्ष तक के बच्चों को स्तनपान के साथ ही तीन बार अर्ध ठोस पौष्टिक आहार देना जरूरी होता है। बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आहार की विविधता का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। इस दौरान सरकार द्वारा संचालित अतिमहत्वपूर्ण योजनाएं जैसे – प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना, मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड, प्रसव पूर्व देखभाल, एनीमिया की रोकथाम एवं पौष्टिक आहार सहित अन्य तरह की जानकारियां गर्भवती महिलाओं को दी जाती है।

गोद भराई कार्यक्रम के दौरान मास्क एवं सामाजिक दूरी के साथ ही उपस्थित सभी लोगों को सैनिटाइजर का प्रयोग करते रहने की सलाह दी गयी । ताकि वैश्विक महामारी कोरोना को जड़ से मिटाने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो।

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