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समाज की निर्मिति पर बेबीनार - श्रीनारद मीडिया

समाज की निर्मिति पर बेबीनार

समाज की निर्मिति पर बेबीनार

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

इलाहाबाद विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा “ईमानदार और वैज्ञानिक सोच वाले समाज की निर्मिति” विषयक वेबीनार में बोलते हुए जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश की कुलपति प्रोफेसर कल्पलता पाण्डेय जी ने व्यष्टि, समष्टि और सृष्टि के सामंजस्य से ही समाज और राष्ट्र की निर्मिति को संभव बताया। उन्होंने कहा कि भारत की चिति भारत की संस्कृति है, भारत को समझने के लिए उसे आर्थिक, राजनैतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक चश्मे से देखना होगा। वैज्ञानिक सोच के लिए उन्होंने देखने, प्रयोग, परिणाम और सामान्यीकरण की शक्ति को अपरिहार्य बताया। उन्होंने कहा कि तर्कपूर्ण चिंतन के बगैर वैज्ञानिक सोच का निर्माण संभव नहीं है। उन्होंने सदाचरण और दुराचरण के अंतर को भी जानने और समझने की आवश्यकता पर बल दिया। संयुक्त परिवार से ही भारत में सहिष्णुता का जन्म हुआ था , आज संयुक्त परिवारों के विघटन के साथ ही यह सहिष्णुता भी प्रभावित हो रही है। हमें ईमानदार समाज के निर्माण के लिए इस सहिष्णुता को भी ध्यान में रखना होगा। भारत की चिति का विराट रूप यहां की शिक्षा है, समुचित शिक्षा, व्यक्तित्व निर्माण की शिक्षा और चरित्र निर्माण की शिक्षा के बगैर ईमानदार नहीं बना जा सकता।
कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के निदेशक, डॉक्टर ओम जी उपाध्याय ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित ईमानदार समाज के निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत के समाज का ताना-बाना विदेशी शासन के समय में बदला है, हमारी शिक्षा प्रणाली भारतीय बनाने वाली होनी चाहिए। इसका उद्देश्य मनुष्य निर्माण करना होना चाहिए। इसी से ईमानदारी और चरित्र निर्माण हो सकता है। सभी सुखी हों, यही हमारे चरित्र निर्माण का आधार है लेकिन इसके लिए अन्याय के प्रतिकार का भाव और अपनी क्षमताओं को पहचानने का संस्कार भी होना होगा।
कार्यक्रम के संयोजक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने तर्क, दृढ़ता और आत्मविश्वास को वैज्ञानिक सोच वाले मनुष्य निर्माण की आधारभूत विशेषताएं बतायीं। उन्होंने कहा की ईमानदारी आचरण की शुद्धता, चरित्र की पवित्रता, संस्कारों की उच्चता के बगैर नहीं आ सकती। इसलिए हमें अपने दैनंदिन जीवन में इस शुचिता को धारण करना होगा।
कार्यक्रम का संचालन जगतारन महिला महाविद्यालय की संगीत विभाग की सहायक आचार्य डॉ अंकिता चतुर्वेदी जी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन हमीदिया महिला महाविद्यालय की समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ एरम फरीद उस्मानी जी ने किया।
वेबीनार में देश के 23 राज्यों से 1285 लोगों ने नामांकन के लिए अनुरोध भेजा था। जिनमें 265 फैकल्टीज, 75 शोध छात्र और 945 विद्यार्थी शामिल हैं। कार्यक्रम में देश के बाहर से भी नामांकन अनुरोध प्राप्त हुए।

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