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बालासोर ट्रेन दुर्घटना से बचा जा सकता था,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

बालासोर ट्रेन दुर्घटना से बचा जा सकता था,कैसे?

बालासोर ट्रेन दुर्घटना से बचा जा सकता था,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यह एक महीने पहले की ही तो बात है। बीते दो जून की शाम का वक्त था। कोलकाता से चली कोरोमंडल एक्सप्रेस (Coromandel Express) ओडिशा से गुजर रही थी। पूरे रफ्तार से दौड़ रही यह ट्रेन बालासोर जिले के बहानगा बाजार स्टेशन के लूप लाइन में खड़ी एक माल गाड़ी में टक्कर मार दी थी। इससे दोनों ट्रेनों के डिब्बे स्टेशन की सभी पटरियों पर छितरा गए थे। इसके बाद बेंगलुरू से कोलकाता जा रही एक ट्रेन आकर इन्हीं डिब्बों से भिड़ गई थी। इस ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना की वजह सिगनल की खामी थी।

जांच की आ गई है रिपोर्ट

बालासोर हादसे की जांच रेल सुरक्षा आयुक्त (CRS) कर रहा था। इसने अपनी रिपोर्ट रेलवे प्रशासन को सौंप दी है। इसमें भारतीय रेलवे के सिग्नलिंग और टेलीकॉम विभाग में कई स्तरों पर हुई खामियों को जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह ट्रेन हादसा नॉर्थ सिग्नल गुमटी पर किए गए सिग्नलिंग-सर्किट-अल्टरेशन में हुई खामियां और स्टेशन के गेट नंबर 94 पर लेवल क्रॉसिंग के लिए इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के प्रतिस्थापन से संबंधित सिग्नलिंग कार्य की वजह से हुआ। हालांकि, रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस रिपोर्ट पर चुप्पी साधे हुए हैं।

रेलवे अधिकारी के मुताबिक, बालासोर ट्रेन हादसे से जुड़ी ये रिपोर्ट सिग्नलिंग और दूरसंचार विभाग की खामियों की ओर इशारा कर रही है. उन्होंने बताया कि रिपोर्ट पेश की गई है, जिसमें रिले रूम के प्रभारी और कर्मचारियों के साथ-साथ कई विभागों की कमियां भी सामने आई हैं.

सीआरएस के अलावा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) भी ओडिशा ट्रेन हादसे की जांच कर रही है। सूत्रों ने कहा कि बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जांच करने वाले दक्षिण पूर्वी सर्कल के सीआरएस एएम चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि सिग्नल एंड टेली कम्युनिकेशन विभाग में कई स्तरों पर खामियां इसके (हादसे के) लिए जिम्मेदार थीं। सूत्र ने बताया कि रिपोर्ट में बताया गया है कि एलसी94 पर मरम्मत कार्य किया गया था। शाम 4.20 बजे कनेक्शन काटने का आदेश दिया गया था और 2 जून को उसी दिन शाम 4.50 बजे जोड़ दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, जबकि सिग्नल एंड टेलीकम्युनिकेशन विभाग के कर्मचारी कनेक्शन होने के बावजूद सर्किट पर काम कर रहे थे।
यह थी वजह

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ट्रेन हादसा नॉर्थ सिग्नल गुमटी पर किए गए सिग्नलिंग-सर्किट-अल्टरेशन में हुई खामियां और स्टेशन के गेट नंबर 94 पर लेवल क्रॉसिंग के लिए इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के प्रतिस्थापन से संबंधित सिग्नलिंग काम के कारण हुआ। स्टेशन की अप लूप लाइन (कॉमन लूप) पर खड़ी मालगाड़ी से ट्रेन नंबर 12841 (कोरोमंडल एक्सप्रेस) की पीछे से टक्कर हो गई। हावड़ा-एसएमवीटी सुपरफास्ट एक्सप्रेस के आखिरी दो डिब्बे, जो उसी समय स्टेशन की डाउन मुख्य लाइन से गुजर रहे थे, कोरोमंडल एक्सप्रेस के पटरी से उतरे डिब्बों से टकरा गए और पलट गए।

लासोर रेल हादसे की जांच कर रहे रेलवे सुरक्षा आयोग ने रिपोर्ट में क्या कुछ बताया है, इस बारे में जानकारी सामने नहीं आई है. रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों ने रिपोर्ट के निष्कर्षों पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब रिपोर्ट को लेकर रेलवे अधिकारी ने सिग्नलिंग और दूरसंचार विभाग में खामियों की बात कही है.

वहीं सीआरएस के अलावा, सीबीआई भी इस हादसे की जांच कर रही है. हादसे के बाद से रेलवे ने दक्षिण पूर्व रेलवे के कई शीर्ष अधिकारियों का तबादला किया है, जिनके क्षेत्राधिकार में यह हादसा हुआ था. प्रारंभिक जांच में हादसे के कारण के तौर सिग्नल प्रणाली में लापरवाही या इरादतरन हस्तक्षेप का संकेत मिला था.

हादसे में करीब 300 लोग मारे गए थे

ज्ञातव्य है कि बीते 2 जून की शाम को हुए इस ट्रेन हादसे में कम से कम 293 लोग मारे गए थे। इस दुर्घटना में 1,000 से अधिक व्यक्ति घायल भी हुए थे।

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