*नार्वे की महिलाओं की हथेली पर सजेगी बनारस की मेहंदी*

*नार्वे की महिलाओं की हथेली पर सजेगी बनारस की मेहंदी*

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*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*

*वाराणसी* / भारत में सुहाग और सौंदर्य की प्रतीक मेहंदी अब विदेशी महिलाओं की हथेली पर भी सजेगी। इसके लिए नार्वे की संस्था स्कार्पियस से दो हजार पैकेट मेहंदी की डिमांड आई है। हर पैकेट में सौ-सौ ग्राम मेहंदी होगी। इससे आर्डर पाने वाले रवींद्रपुरी निवासी कारोबारी बिहारीलाल अग्रवाल तो उत्साहित हैं ही, इस व्यवसाय से जुड़े अन्य उद्यमियों की उम्मीदों को भी पर लग गए हैं।बिहारीलाल का मानना है कि इससे जहां काशी का कारोबार बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर भारतीय पारंपरिक सौंदर्य प्रसाधन कारोबार को भी बढ़ावा मिलेगा। बनारस की ख्यात काष्ठ कला से जुड़े गिल्ली-डंडा के लिए पहले ही आर्डर मिल चुका है तो गुलेल की भी मांग बढ़ी है।फिलहाल बिहारी लाल अग्रवाल के लोलार्ककुंड स्थित कारखाने में दिन-रात पैकिंग की जा रही है। कोरोना काल के बीच काम पाकर कारीगर भी खुश हैं। उनकी लगन का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अब आर्डर पूरा करने के साथ स्थानीय बाजार के लिए माल अग्रिम तैयार करने का खाका खींचा जा रहा है।
अभी पिछले माह ही उनके पास दिल्ली व मुंबई से पारंपरिक खेल गिल्ली-डंडा के लिए आर्डर आया था। इसके बाद बेंगलुरु, मैसूर आदि शहरों से भी इसकी मांग हो रही है। आस-पास के गांवों से मेहंदी मंगाई गई है, उसका पाउडर बनाया गया है। उसकी विशेष तौर पर आकर्षक पैकिंग की जा रही है। खास यह कि पैकेट पर मेहंदी और बनारस का महत्व भी बताया गया है। लकड़ी के खिलौना सहित अन्य सामग्री के उत्पादन एवं ट्रेडिंग कार्य से बिहारीलाल 1985 से ही जुड़े हुए हैं। इसे उनका पुश्तैनी कार्य कह सकते हैं। इससे पहले उनके दादा और पिताजी भी इस कारोबार से जुड़े थे। अब बिहारीलाल की पुत्री शुभी अग्रवाल भी इससे जुड़कर कारोबार को आगे बढ़ा रहीं हैं।

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