भारत में नाम बदलकर रह रहे बांग्लदेशी,कहाँ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विशेष अदालत ने तीन बांग्लादेशी नागरिकों को घुसपैठ और फर्जी दस्तावेज मामले में पांच साल की सजा सुनाई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को इस मामले में जानकारी दी। एनआईए के प्रवक्ता ने बताया, “मोहम्मद हबीबुर रहमान हबीब उर्फ राज जेसुब मंडल, हनन अनवर हुसैन खान उर्फ हनन बाबुराली गाजी और मोहम्मद अजार अली सुब्हानअल्लाह उर्फ राजा जेसुब मंडल को पांच साल की जेल और प्रत्येक पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।”

क्या है पूरा मामला?

यह मामला मार्च 2018 में पुणे पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर से शुरू हुआ था। इस एफआईआर में बताया गया कि कई बांग्लादेशी नागरिक पुणे में बिना वैध दस्तावेज के रह रहे थे और अल-कायदा से जुड़े संगठन एबीटी के सदस्यों को सहायता प्रदान कर रहे थे। एनआईए ने इस मामले में सितंबर 2018 में तीन अभियुक्तों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। अन्य दो अभियुक्तों – मोहम्मद रिपेन हुसैन उर्फ रूबल और मोहम्मद हसन अली को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 471 (धोखाधड़ी) और विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 14 के तहत आरोपित किया गया था।

अदालत का निर्णय

पिछले साल अक्टूबर 2023 में, रिपेन हुसैन और मोहम्मद हसन अली ने दोष स्वीकार कर लिया था। उन्हें आईपीसी और विदेशी अधिनियम के तहत पांच साल की सजा सुनाई गई थी। अब, बाकी तीन अभियुक्तों को भी अदालत ने दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। इससे पहले राज्यसभा में बुधवार को गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि एनआईए ने अब तक कुल 640 मामले दर्ज किए हैं। उन्होंने कहा, “5 दिसंबर 2024 तक एनआईए द्वारा 109 मामलों की सक्रिय जांच जारी है और 395 मामलों में आगे की जांच चल रही है।

505 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है। अब तक एनआईए ने 4,174 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और 595 को सजा दिलवाई है। कुल 147 निस्तारित मामलों में से 140 में दोषसिद्धि हुई है। एनआईए की मामलों में दोषसिद्धि दर 95.23% है।” एनआईए ने यूएपीए के तहत 543 चल-अचल संपत्तियां जब्त या कुर्क की हैं, जिनकी कुल कीमत 109.6 करोड़ रुपये है।

राष्ट्रीय राजधानी में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की धरपकड़ के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना का निर्देश सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने बुधवार को अपने अभियान की शुरुआत कर दी। दक्षिणी पूर्वी जिला पुलिस ने बुधवार को कालिंदी कुंज इलाके में अभियान चलाकर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की तलाश की। पुलिस ने अभियान के दौरान दस्तावेजों की छानबीन की।

सूत्रों की मानें तो पुलिस को कई संदिग्ध भी मिले हैं। सूत्रों ने बताया कि जिन संदिग्धों की पहचान हुई है उनकी रिपोर्ट तैयार कर जल्द एफआरआरओ (फारनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन आफिस) को साझा की जाएगी।

बता दें कि उपराज्यपाल ने देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से खदेड़ने के निर्देश दिए थे। इसके तहत दक्षिणी पूर्वी जिला पुलिस की कई टीमों ने कालिंदी कुंज स्थित 100 फुटा रोड पर सत्यापन अभियान चलाया।

दिल्ली पुलिस की टीमों की ओर से कालिंदी कुंज स्थित 100 फुटा रोड पर रहने वाले करीब 150 महिला, पुरुषों और बच्चों के पहचान संबंधी दस्तावेजों की वेरिफिकेशन की गई। इस दौरान पुलिस को कुछ संदिग्ध भी मिले। उन्होंने खुद को असम का बताया, लेकिन पहचान संबंधी दस्तावेज पेश नहीं कर सके। पुलिस ने इनके बारे में सारी जानकारी रिकार्ड में ली है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय ने राष्ट्रीय राजधानी में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों की धरपकड़ के लिए मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त को सख्त कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में रह रहे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ दो महीने का विशेष अभियान चलाने की योजना बनाई गई है।

उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार, मुस्लिम समुदाय की मांगों को देखते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दो महीने का विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इस अभियान में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सख्त और समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। यही नहीं इस बारे में हर हफ्ते रिपोर्ट भी एलजी कार्यालय को भेजी जाएगी।

सनद रहे बीते शनिवार को दरगाह हजरत निजामुद्दीन और बस्ती हजरत निजामुद्दीन के उलेमाओं और मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से इस बारे में मुलाकात की थी। इस प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में रह रहे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें उनके देश वापस भेजने की मांग की थी।

 

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