धार्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है बरगद पेड़, अक्षय वट है यह

धार्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है बरगद पेड़, अक्षय वट है यह

श्रीनारद मीडिया,रोहित मिश्रा,स्टेट डेस्क

बरगद पेड़ को अक्षय वट भी कहा जाता है। इस पेड़ की जितनी धार्मिक महत्व है उतना ही वैज्ञानिक महत्व है। धार्मिक महत्व के अनुसार जहां इसमें त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश विराजमान करते हैं । वहीं, वैज्ञानिक महत्व के अनुसार पेड़ की जड़, तना एवं फल तीनों में औषधीय गुणों की भंडार पाई जाती है। विभिन्न प्रकार की असाध्य रोगों में बरगद पेड़ से बनाई गई दवा रामबाण साबित होता है।

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शास्त्रों में भी बरगद पेड़ की महत्ता का वर्णन किया गया है। आगामी 10 जून को बट सावित्री पर्व है और इसे संरक्षित करने के लिए दैनिक जागरण की ओर से अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मंगलवार को गांधी चौक स्थित शिवालय परिसर में स्थानीय मारवाड़ी महिला समिति की सदस्यों द्वारा बरगद पेड़ को संरक्षित करने का संकल्प लिया गया। मौके पर महिलाओं द्वारा बरगद पेड़ को भी लगाया गया।

रेफरल अस्पताल के चिकित्सक डॉ ऋषिकेश सिन्हा ने बताया कि बरगद पेड़ मानव जीवन के लिए जीवनदायिनी का काम करती है। यह 80 प्रतिशत तक ऑक्सीजन देने का काम करती है। इसकी बड़ी पत्तियां, जड़, छाल, फल एवं दूध से कई प्रकार की औषधि बनाई जाती है।

बरगद विशालकाय पेड़ होता है । पहली विशेषता यह छायादार पेड़ होता है। जिसमें मनुष्य से लेकर पशु पक्षी सभी आश्रय लेते हैं। यह सभी मौसम में हरा भरा रहता है। बरगद की आयु 500 से 700 वर्ष तक बताई जाती है। बरगद का क्षेत्रफल आधा किलोमटर तक फैल सकता है। हरित रजौन के डॉ रविरंजन ने बताया कि इस पेड़ को ऑक्सीजन का खज़ाना कहा जाता है। इस पेड़ में औषधीय गुणों का भरमार है। जो मधुमेह ,बांझपन से लेकर कई गंभीर बीमारियों के इलाज में सहायक साबित होता है।

एसडीपीओ डीसी श्रीवास्तव ने बताया कि बरगद पेड़ की विशेषता के कारण इसे राष्ट्रीय वृक्ष का तगमा हासिल है। यह बिहार पुलिस के कंधे पर लगा लोगों में भी विराजमान है। इसका मुख्य कारण है कि बरगद लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है। जिसके कारण पुलिस विभाग के लोगो में बरगद को स्थान मिला है।

बरगद पेड़ की धार्मिक कार्यों में बड़ा ही महत्व है। शादी विवाह से लेकर यज्ञ में भी बरगद की आवश्यकता पड़ती है। पंडित अवधेश ठाकुर ने बताया कि बरगद वृक्ष का विवाह भी होता है यज्ञ हवन कुंड में बरगद की लकड़ी का विशेष महत्व है। यज्ञ मंडप निर्माण में भी बरगद की जरूरत पड़ती है। शास्त्रों में मान्यता है कि हर मनुष्य को अपने जीवन काल में एक बरगद पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। कलश की प्रतिष्ठा में बरगद की पल्लव की जरूरत होती है। यह पेड़ धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण है। धार्मिक कथाओं के अनुसार सावित्री ने अपने पति सत्यवान को प्राण वापस लाने के लिए बरगद पेड़ के नीचे बैठकर घोर तपस्या की थी। जिसके बाद यमराज प्रसन्न होकर सत्यवान के प्राण वापस लौटा दिया था। इसी मान्यता के अनुसार विवाहिता महिला बट सावित्री पर्व अपने पति की सुहाग की रक्षा के लिए करती है। बरगद पेड़ की लटकती हुई तना सावित्री की पहचान मानी जाती है।

वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी सह पर्यावरणविद अरुण कुमार ने बताया कि बरगद पेड़ आदिकालों से ही मनुष्य से लेकर पशु पक्षी की रक्षा करते आ रही है। 1967 में जब भीषण अकाल पड़ा था। मनुष्य से लेकर पालतू जानवरों तक के लिए भोजन की संकट उत्पन्न हो गया था। तब बरगद का पेड़ ही जानवरों के लिए भोजन का मुख्य पात्र बना था। सरकार को चाहिए कि बरगद पेड़ की कटाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए और इसे संरक्षित करने के लिए अभियान चलाना चाहिए। बौंसी वन प्रक्षेत्र में 10 हजार बरगद पेड़ लगेगा।

विवाहिता ने लिया पौधे लगाने का संकल्प

भारतीय संस्कृति में मूर्ति पूजा के साथ पेड़ पौधे की भी पूजा की जाती है। इसका मुख्य कारण है कि पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए पेड़ों की रक्षा करना है। गुरुवार को बट सावित्री पर्व है । जो सुहागिनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। पर्व के मौके पर पूजा के साथ साथ वट वृक्ष बचाने के लिए महिलाओं को जागरूक करने का काम करेंगें। – मधु ड्रोलिया, अध्यक्ष, मारवाड़ी महिला समिति

बरगद पेड़ मनुष्य से लेकर सभी प्राणियों को सुरक्षा देने का काम करती है। इसलिए इसकी सुरक्षा करना हम सभी लोगों का दायित्व बनता है। इस पेड़ में अनेकों प्रकार की गुण पाई जाती है । जो बहुत ही लाभकारी है। पेड़ की सुरक्षा करने का शपथ लेती हूं। – स्वीटी कुमारी

बरगद पेड़ की कटाई पर सरकार द्वारा पूर्णतया प्रतिबंध लगना चाहिए। क्योंकि यह धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है। इसमें ऑक्सीजन की मात्रा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । जिससे प्रदूषण पर भी लगाम लगता है। वह इस पौधे की सुरक्षा के लिए संकल्पित हूं। – बुलबुल कुमारी

बरगद पेड़ की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इस पेड़ में औषधीय गुणों की भरमार होती है। इसे संरक्षित करना हम सभी लोगों की जिम्मेदारी बनती है। वट सावित्री पर्व के मौके पर महिलाएं अपनी सुहाग एवं संतान की रक्षा के लिए वट वृक्ष की पूजा करती है। दैनिक जागरण की मुहिम का स्वागत करते हुए मैं बरगद पेड़ को संरक्षित करने के लिए शपथ लेती हूं। – सुमन बजाज

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