विश्व हिन्दी दिवस की असीम शुभकामनाएँ।
आज विश्व हिंदी दिवस है।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य है,संसार में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए जागरूकता पैदा करना, हिंदी के प्रति अनुराग बढना, हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में प्रस्तुत करना।यही कारण है कि पूरे देश एवं विश्व के कोने-कोने में हिंदी के वैश्विक प्रसार के लिए 148 संस्थाएं कार्य करती हैं।
आत्मनिर्भर होने की राह भाषा से होकर गुजरती है। हिंदी हमें औपनिवेशिक मानसिकता से उबारने के साथ-साथ यह अपनी बोली बानी, संस्कृति, संस्कार से जुड़ना सिखाती है। यह हिंदी भाषा का सौभाग्य रहा है कि कई सदियों तक वह करोड़ों भारतवासियों की अभिव्यक्ति, संचार सृजन का सशक्त माध्यम रही है।स्वतंत्रता की लड़ाई में हिंदी ने पूरे देश को एक साथ जोड़ा,सम्पर्क भाषा रही,विश्व स्तर पर हिंदी भारतीयता का प्रतिनिधित्व करती है।
शिक्षा के माध्यम के रूप में हिंदी का उपयोग नहीं होने के कारण हिंदी की सामग्री को नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है। सरकारी क्षेत्र में हिंदी को राजभाषा घोषित किए जाने के बाद भी अंग्रेजी के अनुवाद के रूप में काम आती है। हिंदी प्रशासनिक स्तर पर संयुक्त सचिव के स्तर से ऊपर नहीं जाती और सारी चीजें अंग्रेजी का हिंदी में अनुवाद होता है। ऐसे में हिंदी अपने ही देश में दोयम दर्जा को प्राप्त है।
भारत का इतिहास,भूगोल,इतिहास, समाज,अर्थ, संस्कृति,कला इत्यादि समृद्ध ज्ञान को समझने के लिए हिंदी की समझ आपको विकसित करनी होगी। यही कारण है कि विदेशों के कई विद्वान यहां आकर उन्होंने हिंदी का विधिवत अध्ययन किया जिसमें ग्रारसा द तारसी, जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन, फादर कामिल बुल्के, जॉन गिलक्राइस्ट जैसे कई विद्वानों ने अपने शोध से हिंदी को समृद्ध किया है।यह हिंदी के वैश्विक स्तर पर विस्तार को दर्शाता है।
सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी में हिंदी और तमिल की विभागाध्यक्ष प्रो. संध्या सिंह ने बताया कि जब हम लोग भारत से बाहर निकलते हैं तो हिंदी ही हमारी प्रतिनिधि भाषा होती है। यह सही है कि वैश्विक स्तर पर हिंदी रोजगार की भाषा के रूप में अपेक्षित आकर्षण नहीं बना पाई है पर वह स्वालंबन की राह पर है। भाषा शिक्षण में हिंदी फिल्मों की वजह से मदद मिलती है जिससे कई ग़ैर हिंदी भाषा-भाषी लोग इसकी ओर आकर्षित हुए हैं।
विश्व के कोने-कोने में फैले हिंदी प्रेमियों के आग्रह पर 10 जनवरी 1975 को नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2006 में प्रति वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की।
हिंदी मंडारीन, स्पेनिश और अंग्रेजी के बाद विश्व की चौथी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है।विश्व के तीस से अधिक देशों में हिंदी के अध्यापन का कार्य होता है, सौ विश्वविद्यालयों में इसके लिए अध्यापन केंद्र खुले हुए हैं। अमेरिका में तो डेढ़ सौ से अधिक शिक्षण संस्थाओं में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है। यह हिंदी के वैश्विक विस्तार के लिए एक अच्छी खबर है। विदेशी धरती पर बसे प्रवासी भारतीय हिंदी को समृद्ध करने में अथक प्रयास पिछले कई दशकों से कर रहे हैं जिसकी सराहना होनी चाहिए।
विश्व हिंदी सचिवालय 13 फरवरी 2014 से मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस में काम कर रहा है।
आइए हम संकल्प लें कि हिंदी को समृद्ध करने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।
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