जम्मू-कश्मीर में 2012 से 2016 के बीच 2 लाख फर्जी लाइसेंस बंटे,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जम्मू और कश्मीर में सर्च ऑपरेशन चलाकर CBI ने शनिवार को 40 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। जांच एजेंसी ने 2 सीनियर IAS अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लिया है। इसमें शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार शामिल हैं। दोनों पर 2 लाख फर्जी गन लाइसेंस जारी करने के मामले में शामिल होने का आरोप है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर गन लाइसेंस जारी करने के मामले में देश में टॉप पर है। यहां 2018 से 2020 तक सबसे ज्यादा हथियार लाइसेंस जारी किए गए। इन दो सालों में देशभर में 22,805 लाइसेंस जारी किए, इनमें से 18,000 अकेल जम्मू-कश्मीर में जारी हुए। यानी देश के 81% लाइसेंस यहां बांटे गए। बताया जा रहा है कि ये अब भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा गन रैकेट है।
22 जिलों के कलेक्टर और मजिस्ट्रेट शामिल
CBI सर्च ऑपरेशन 4 साल के अंदर बड़ी तादाद में फर्जी लाइसेंस जारी करने के मामले में चलाया। जम्मू और कश्मीर के 22 जिलों में कलेक्टर और मजिस्ट्रेट की मिलीभगत से लाखों फर्जी हथियार लाइसेंस जारी करने का आरोप है। लाइसेंस जारी करने के एवज में पैसों का लेनदेन भी किया गया है।
IAS शाहिद चौधरी से पूछताछ करेगी CBI
CBI के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि छापेमारी में जरूरी दस्तावेज हाथ लगे हैं। इनके जरिए एजेंसी को जांच आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। IAS शाहिद चौधरी को समन जारी कर श्रीनगर के CBI ऑफिस बुलाया जाएगा। चौधरी 2009 बैच के IAS अधिकारी हैं और फिलहाल जम्मू और कश्मीर के जनजातीय मामलों के विभाग के प्रशासनिक सचिव के पद पर तैनात हैं। वे मिशन यूथ के CEO भी हैं।
इससे पहले चौधरी श्रीनगर के डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट कमिश्नर रह चुके हैं। चौधरी कठुआ, राजौरी, उधमपुर और रियासी जिले के डिप्टी कमिश्नकर भी रह चुके हैं। आरोप है कि इन सभी पदों पर रहते हुए चौधरी ने हजारों गन लाइसेंस दूसरे राज्यों के लोगों को फर्जी नाम से जारी कर दिए।
20 गन हाउस पर भी छापा
श्रीनगर के अलावा CBI ने अनंतनाग, बारामुला, जम्मू, उधमपुर, राजौरी और दिल्ली में भी छापामार कार्रवाई की है। इस दौरान कई सीनियर अधिकारियों के पुराने और वर्तमान घरों की तलाशी भी ली गई। CBI के प्रवक्ता ने बताया कि 20 गन हाउस में भी छापा मारा गया है। इस मामले में अब 8 पूर्व डिप्टी कमिश्नर से पूछताछ की जा रही है।
पहले भी मारे गए इस मामले में छापे
CBI ने 2020 में 2 IAS अधिकारी राजीव रंजन और इतरात हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया था। दोनों ने कुपवाड़ा जिले में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए कई फर्जी गन लाइसेंस जारी किए थे। इससे पहले CBI ने दिसंबर 2019 में श्रीनगर, जम्मू, गुरुग्राम और नोएडा की एक दर्जन जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा और पुलवामा के जिला कलेक्टरों और मजिस्ट्रेटों के घर की भी तलाशी ली गई थी। कश्मीर के कई अधिकारियों पर लंबे समय से गन लाइसेंस जारी करने के बदले रिश्वत लेने के आरोप लगते रहे हैं।
राज्यपाल वोहरा ने CBI के हवाले किया था केस
राजस्थान सरकार की एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने 2017 में ऐसे ही एक गन रैकेट का खुलासा किया था। उस समय 50 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने केस CBI के हवाले कर दिया था। फरवरी 2020 में CBI ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। उस पर कई लोगों के साथ बड़े-बड़े फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करने के आरोप लगे थे। कई सरकारी अधिकारियों के नाम भी लिस्ट में सामने आए थे।
CBI ने गन लाइसेंस मामले में शनिवार को श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के IAS अधिकारी शाहिद इकबाल चौधरी के आवास सहित 40 ठिकानों पर छापेमारी की। एजेंसी ने अब तक इन छापों के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी है, लेकिन बताया कि यह कदम 2019 में दर्ज एक मामले के तहत उठाया गया। आरोप है कि 2012 और 2016 के बीच जम्मू कश्मीर के विभिन्न जिलों के कमिश्नर्स ने धन के लालच में फर्जी और अवैध रूप से हथियार लाइसेंस जारी किए।
चौधरी 2009 बैच के IAS अधिकारी हैं और फिलहाल जम्मू और कश्मीर के जनजातीय मामलों के विभाग के प्रशासनिक सचिव के पद पर तैनात हैं। वह कठुआ, रियासी, राजौरी और उधमपुर जिलों के कमिश्नर के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। आरोप है कि इस दौरान उन्होंने अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों को फर्जी नामों पर हजारों लाइसेंस जारी किए।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 के बाद से जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से 2 लाख से अधिक बंदूक लाइसेंस जारी किए गए हैं। इसे भारत का सबसे बड़ा गन लाइसेंस रैकेट बताया जाता है।
2020 में 2 अधिकारियों की हुई गिरफ्तारी
पिछले साल इस मामले में IAS अधिकारी राजीव रंजन समेत दो अधिकारियों को CBI ने गिरफ्तार किया था। रंजन और इतरत हुसैन रफीकी ने कुपवाड़ा जिले के कमिश्नर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित रूप से कई अवैध लाइसेंस जारी किए। 2020 में इस केस में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई थी, जो लोक सेवकों सहित अन्य सह-आरोपियों के साथ विभिन्न वित्तीय लेनदेन में शामिल था।
2017 में राजस्थान ATS ने किया घोटाले का खुलासा
राजस्थान ATS ने 2017 में इस घोटाले का खुलासा किया था और 50 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया था। ATS के अनुसार, कथित रूप से सेना के जवानों के नाम पर 3,000 से अधिक परमिट दिए गए थे। इसके बाद जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल एनएन वोहरा ने मामले में जांच का जिम्मा CBI को सौंप दिया था।
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