भगवद्गीता का जनमानस में महान् प्रभाव है – शिरीष भेडसगावकर
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मानविकी एवं भाषासंकाय के अन्तर्गत गीता जयन्ती महोत्सव का आयोजन विश्वविद्यालय के गाँधी भवन परिसर के नारायणी कक्ष में किया गया। गीता जयन्ती के अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मानविकी एवं भाषा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रसूनदन्त सिंह जी ने कहा कि श्रीकृष्ण और अर्जुन के माध्यम से मानव समान के उद्धार की संकल्पना की गई है।
महोदय ने गीता दर्शन को उपनिषदों का सार बतलाते हुए निष्काम कर्म की उपासना करने को कहा। कर्तव्यबोध का ज्ञान उचित प्रकार से हो, अतः गीता का अध्ययन एवं आत्मसातीकरण आवश्यक है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृतभारती के अखिल भारत प्रचार प्रमुख शिरीष भेडसगावकर जी रहे । आपने अपने वक्तव्य में बतलाया कि भगवद्गीता का जनमानस में महान् प्रभाव है। उसी को देखते हुए संस्कृतभारती ने गीता जयन्ती महोत्सव का आयोजन आरम्भ किया।
शिरीष महोदय ने आगे बताया कि स्वतन्त्रता के आन्दोलन में महात्मा गाँधी, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह इत्यादि महापुरुषों के उज्ज्वल जीवन को गीता ने उत्कर्ष प्राप्त कराया है । साथ में ही वर्तमान में मानसोपचार हेतु श्रीमद्भगवद्गीता का उपयोग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अतः सभी गीता पढें एवं पढ़ाएं। वहीं सारस्वत अतिथि बिहार के प्रान्तसंगठन मन्त्री डॉ. श्रवण कुमार जी ने गीता में निहित कर्मवाद पर जोर दिया ।
गीता महोत्सव में अतिथियों का स्वागत वक्तव्य संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्याम कुमार झा ने किया । महोदय ने मन की चंचलता को दूर करने में गीता की भूमिका को व्यक्त करते हुए विषय प्रवर्तन किया । कार्यक्रम का आरम्भ सुखेन घोष के मङ्गलाचरण से हुआ । समारोह का सफल संचालन कार्यक्रम संयोजक संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विश्वेश वाग्मी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने किया।
कार्यक्रम में डॉ. बिमलेश कुमार सिंह (विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग), डॉ. बबलू पाल (सहायक प्राध्यापक, संस्कृत विभाग), डॉ. श्यामनन्दन सहायक प्राध्यापक, हिन्दी विभाग), डॉ. गोविन्द वर्मा (सहायक प्राध्यापक हिन्दी विभाग), डॉ. युगल किशोर दाधीच (सहायक प्राध्यापक, गाँधी एवं शान्ति शान्ति अध्ययन विभाग), संजय सत्यार्थी (गॉंधीवादी एवं सामाजिक कार्यकर्ता), रश्मि श्रीवास्तव (सहायक प्राध्यापिका, शिक्षाशास्त्र विभाग), गोपाल कृष्ण मिश्र (प्रान्त सोशलमीडिया प्रमुख, संस्कृतभारती बिहार), संजय जी (विस्तारक) तथा विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, शोधच्छात्र एवं छात्र उपस्थित रहे।
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