भैरवाष्टमी 27 नवंबर को, जानिए भैरव जी को क्यों कहा जाता है ‘शक्तिपुंज’
सीवान के मैरवा के कविता में है कालभैरव मंदिर, जहां होती है हर माह पूजा अर्चना
कोरोना के कारण हुई आर्थिक तंगी से इस बार भव्य रूप से नहीं होगा पूजा अर्चना
कविता में कालभैरव की वार्षिक पूजा अर्चना के लिए नहीं कटता है चंदा का रसीद
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
मान्यता है कि श्री गणपति से मंगल, श्री विष्णु से सद्गति, भोले भंडारी से ज्ञान, श्री सूर्यनारायण से आरोग्य, देवी भगवती से ऐश्वर्य, हनुमान जी से शक्ति, माता शारदे भवानी से विद्या, मां शीतला से कंचन काया, कार्तिकेय जी से सैन्य सफलता और यश की कामना की जाती है, तो तमाम तरह के भय नाश, ग्रह-संकट से मुक्ति और तुरंत कार्य सिद्धि के लिए भैरव जी की उपासना की जाती है। रविवार और मंगलवार इनका अति प्रिय दिवस है। कलियुग के जागृत देव श्री भैरव नाथ की आराधना की पुनीत तिथि भैरवाष्टमी है, जो मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आती है। इस बार 27 नवंबर को कालभैरव अष्टमी है। इस दिन कालभैरव की पूजा काफी धूमधाम से मंदिरों में व उपासकों द्वारा की जाती है।
शैव व शाक्त, दोनों संप्रदायों में समान रूप से पूज्य भैरव जी भरण-पूरण के देवता हैं। इन पर देवी मां और जगत् पिता शंकर सदैव प्रसन्न रहते हैं। भैरव शब्द ‘भ’, ‘र’ और ‘व’ से बना है, जिसका आशय भरण, संहार और विस्तार से है। भैरव चालीसा में कहा गया है- ‘श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा।।’
देवी भक्तों के संरक्षक, भोले भंडारी र्के प्रधान सहयोगी, तंत्र-मंत्र-यंत्र के ज्ञाता, विपत्ति निवारण और ग्रह मुक्ति के देवता भैरव जी की पूजा बहुत लाभकारी है। इनका आपउद्धारण मंत्र- ‘ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धाराणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं स्वाहा’ अत्यंत फलदायक होता है। भैरव जी की पूजा-अर्चना पूजन की तीनों पद्धतियों से की जाती है। इनकी सामान्य पूजा भी होती है, तो तांत्रिक पूजा भी की जाती है। भैरव तंत्र जगत में श्री विष्णु रूप में स्थापित हैं। यही कारण है कि भैरव जी के अष्टादशनाम,108 नाम, सहस्रनामादि में पहला नाम जगत नियंता श्रीविष्णु से प्रारम्भ होता है। भैरव जी के प्रधान रूपों की संख्या आठ है, जिसे ‘अष्टभैरव’ कहा गया है। ऐसे इनके 64 रूपों का उल्लेख भी मिलता है। श्री भैरव जी का वाहन श्वान है।
श्री भैरव जी को ‘शक्तिपुंज’ कहा गया है। भक्ति की शक्ति प्रदान करने वाले देव भैरव जी की भक्ति के आलोक में जीवन के उलझे सूत्र सहज ही सुलझ जाते हैं। भैरव अष्टमी के दिन श्री भैरव जी की उपासना से संपूर्ण क्षेत्र भैरवमय हो जाता है।
‘नमो भैरव देवाय सर्वभूताय वै नम:। नम: त्रैलोक्यनाथाय नाथनाथाय वै नम:।।’
सीवान के मैरवा के कविता में है कालभैरव मंदिर, जहां होती है हर माह पूजा अर्चना
सीवान जिले के मैरवा प्रखंड के कविता गांव में कालभैरव का मंदिर है जहां लगभग तीन दशक से अखंड ज्योत जलता आ रहा है। यहां प्रत्येेकअगहन के भैरवअष्टमी को जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। कालभैरव के उपासक पं0 नित्यानंद पांडेय की माने तो पिछले दो वर्ष से कोरोना को लेकर केवल पूजा के नाम पर कोरम पूरा किया गया। वहीं इस बार दो वर्ष से कोरोना के मार से आर्थिक मंदी हो गया है। ऐसे में इस बार भी पूजा में केवल घर के लोग ही रहेंगे।
कालभैरव के पूजा अर्चना के लिए नहीं कटता है रसीद : लगभग तीस वर्षों से पं0 नित्यानंद पांडेय अपने बलबुते पर कालभैरव की वार्षिक पूजाअर्चना आयोजित करते थे, जिसमें हजारों लोग महाप्रसाद ग्रहण करते थे। हांलाकि कुछ श्रद्धालु अपने श्रद्धा के अनुसार पूजा में सहयोग करते थे। इस पूजा में लगड़े, लूल्हे, कुष्ठ रोगियों यानि सामाज के सबसे निचले पयादान के लोगों को वस्त्र और भोजन देकर उनको सम्मान दिया जाता था। यहीं भोजन कराने के बाद एक समय का भोजन भी दिया जाता था। लेकिन कोरोना काल में आई तंगी से महाकाल के उपासक नित्यानंद पांडेय चाहकर भी पूजाअर्चना धूमधाम से नहीं कर पा रहे हैं। श्री पांडेय ने कहा कि सब कुछ ठीक रहा तो अगले वर्षधूमधाम से पूजा अर्चना होगी।