भक्त और भगवान एक दूसरे के पर्याय हैं – ममता पाठक

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श्रीनारद मीडिया,  सिधवलिया, गोपालगंज (बिहार):

भक्त और भगवान एक दूसरे के पर्याय हैं। भक्त जब भगवान की भक्ति करने लगता है तो सदैव उसके हृदय में भगवान ही बसते हैं।भक्त अपने आप सात्विक होकर सद्गुण से परिपूर्ण हो जाता है।  भक्त यदि नवधा भक्ति में से एक भी भक्ति करता है तो वह भौ से पार हो जाता है।

उक्त बातें सिधवलिया रेलवे स्टेशन के समीप आयोजित श्रीराम कथा महायज्ञ के आठवें दिन कहीं। उन्होंने कहा कि सीता हरण के बाद व्याकुल होकर श्रीराम और लक्ष्मण बन में भटक रहे थे कि नवधा भक्ति में लीन सबरी का इंतजार खत्म हुआ, सबरी ने भक्ति में सराबोर भगवान राम को जूठे बैर भी खिलाई।

वहाँ से आगे बढ़ने पर भगवान श्रीराम से लोत पोत हनुमान से भेंट हुई। जिनकी भक्ति से श्रीराम भी लोत पोत थे। भक्त हनुमान में नवधा भक्ति कूट कूट कर भरी थी। भक्त और भगवान दोनो मिलकर दोनो सांसरिता को भूल-से गए।

आगे बढ़ने पर सुग्रीव, अंगद,जामवंत जैसे भक्तों की टोली मिल गयी। जहाँ बालि जैसे योद्धा को मारना पड़ा। भगवान और उनके भक्तों का संगम समुद्र पर सेतु बाँध कर लंका में प्रवेश कर लंका दहन भी हुआ।

उन्होंने कहा कि भक्त और भगवान का संगम का परिणाम के कारण असत्य पर सत्य की विजय होती है। कथा का शुभारंभ चीनी मिल महाप्रवन्धक शशि केडिया और उपाध्यक्ष आशीष खन्ना ने कथावाचिका ममता पाठक को अंग वस्त्र देकर किया।

वहीं, किताब व्यवसायी रमेश सिंह ने तुलसीकृत रामायण भेट किया। मौके पर, बुलेट,मोख्तार साह, भोला साह, मिश्री साह, वर्मा प्रसाद, रंजन व्याहुत सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे ।

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