राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में ‘भारत रंग महोत्सव’ का हो रहा है आयोजन!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
रंगकर्मियों के साथ नाट्य प्रेमियों के लिए फरवरी के आरंभिक 21 दिन सुखद और आनंदमय होने जा रहे हैं. क्योंकि ‘राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय’ एक से 21 फरवरी तक देश में ‘भारत रंग महोत्सव’ का आयोजन कर रहा है. रानावि यूं तो ‘भारत रंग महोत्सव’ (भारंगम) का आयोजन 1999 से कर रहा है. एनएसडी के तत्कालीन निदेशक राम गोपाल बजाज ने देश में इस महोत्सव की शुरुआत की थी. परंतु इस वर्ष का यह रंग महोत्सव बेहद खास है. वह इसलिए कि एक तो ‘भारंगम’ का यह रजत जयंती वर्ष है. दूसरा, पहली बार इस आयोजन में देश-विदेश के लगभग 150 नाटकों का मंचन होने जा रहा है.
एनएसडी के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी का कहना है कि इस बार यह विश्व का सबसे बड़ा नाट्योत्सव होगा, जिसमें दर्शकों को निर्देशक से मिलने, मास्टर क्लास और सेमिनार में नाटकों का गुण सीखने को तो मिलेगा ही, वे फूड बाजार का आनंद भी उठा सकेंगे. नाटकों को लेकर एक मान्यता यह भी है कि नाटक की उत्पत्ति आदिकाल में भारत में हुई.
ऋग्वेद सूक्तों में यम-यमी के संवाद को भी नाट्य संवाद से जोड़ा जाता रहा है. माना जाता है कि ऋग्वेद से कथा कथन लिया गया, तो सामवेद से गायन, यजुर्वेद से अभिनय और अथर्ववेद से रस. इन सभी के मिलन से नाटक बना, तो विश्वकर्मा ने रंगमंच का निर्माण किया. फिर सैकड़ों वर्ष पूर्व भरत मुनि ने नाट्य शास्त्र की रचना करके 37 अध्यायों में नाटक के मूल तत्वों को बताया. जिसे पंचम वेद भी कहा जाता है.
इसी से नाटक विकसित होकर दुनियाभर में पहुंचा. विश्व के कई देशों में भी प्राचीन काल के रंगमंच के प्रमाण मिले हैं. इनमें ग्रीस में 700 ईसा पूर्व नाट्य संस्कृति के विकास और नाट्य को उत्सव के रूप में मनाने का इतिहास भी है. नाटक और नाट्योत्सव की लोकप्रियता के कारण विश्वभर में इसका नियमित आयोजन होता रहा है. आज के दौर में चेखव थिएटर फेस्टिवल मॉस्को सहित एडिनबर्ग, डबलिन और न्यूयॉर्क थिएटर फेस्टिवल की चर्चा भी खूब होती है.
भारत रंग महोत्सव भी विश्व के चुनिंदा मशहूर रंगोत्सव में शामिल हो चुका है. पहले भी इसे एशिया का सबसे बड़ा नाट्योत्सव कहा जाता था. उधर न्यूयॉर्क नाट्योत्सव को लेकर कहा जा रहा है कि वहां उत्सव के दौरान 75 विभिन्न नाटकों का ही मंचन होता है. इसलिए भारंगम 150 नाटकों के मंचन के कारण विश्व का सबसे बड़ा नाट्योत्सव है. यूं तो विश्वभर में विभिन्न नाट्योत्सव के साथ 1993 से ‘थिएटर ओलंपिक्स’ भी हो रहे हैं. भारत 2018 में ‘थिएटर ओलंपिक्स’ की मेजबानी कर चुका है. तब 51 दिन चलने वाले उस ओलंपिक्स में 30 देशों ने हिस्सा लिया था और देश के 17 शहरों में 450 नाटकों का प्रदर्शन हुआ था.
इस बरस ‘भारंगम’ का देश के 15 शहरों में आयोजन होगा. जिसमें देश के कई राज्यों के नाट्य समूहों के साथ रूस, बांग्लादेश, नेपाल और इटली जैसे कुछ देश भी हिस्सा ले रहे हैं. समारोह की थीम इस बार ‘वसुधैव कुटुंबकम- वंदे भारंगम’ रखी गयी है. समारोह का आरंभ एक फरवरी से मुंबई में होगा.
इसका पहला नाटक आशुतोष राणा का ‘हमारे राम’ होगा. जबकि समारोह का समापन 21 फरवरी को दिल्ली के कमानी सभागार में चितरंजन त्रिपाठी के नाटक ‘समुद्र मंथन’ से होगा. दिल्ली में समारोह के नाटक दो से 21 फरवरी तक लगातार चलेंगे. परंतु अन्य 14 शहरों में यह उत्सव छह दिन का रहेगा. पटना में 14 से 19 फरवरी के दौरान कालिदास रंगालय सभागार में छह नाटकों का मंचन होगा,
जिसकी शुरुआत हिंदी नाटक ‘दोजख’ से होगी. जबकि समापन महाकवि कालिदास की प्रथम काव्य रचना ‘ऋतुसंहार’ पर आधारित नाटक ‘संवत्सर कथा’ से होगा. गिरीश कर्नाड के नाटक ‘नागमंडला’ और मोहन राकेश के ‘आषाढ़ का एक दिन’ पर आधारित बांग्लादेश के नाटक भी इस दौरान वहां दिखाये जायेंगे. ऐसे ही भुवनेश्वर में आठ से 13 फरवरी के दौरान रबींद्र मंडप में छह नाटक होंगे.
इसकी शुरुआत चितरंजन त्रिपाठी निर्देशित प्रसिद्ध नाटक ‘ताज महल का टेंडर’ से होगी. जबकि नौ फरवरी को गिरीश कर्नाड के ‘अग्नि और बरखा’ और 10 को रबींद्रनाथ टैगोर के ‘चित्रांगदा’ का मंचन होगा. भुज, पुणे, जोधपुर, वाराणसी, बेंगलुरु, गैंगटोक, विजयवाड़ा, श्रीनगर, अगरतला, रामनगर और डिब्रूगढ़ में भी ‘भारंगम’ का आयोजन होगा. हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, उर्दू, असमिया, उड़िया, मलयालम, तेलुगु, मणिपुरी, मैथिली और पंजाबी भाषाओं के साथ रशियन और नेपाली के नाटक भी हैं.
रानावि के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी कहते हैं, ‘हम सिनेमा, ओटीटी के युग में भी नाटकों के महत्व को बरकरार रख श्रेष्ठ नाटकों को दूर-दूर तक पहुंचाना चाहते हैं. इसके लिए अभिनेता पंकज त्रिपाठी को ‘भारंगम’ का रंग दूत बनाने के साथ ही अभिनेत्री वाणी त्रिपाठी को भी आयोजन से जोड़ा गया है. अध्यक्ष के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी और दिग्गज अभिनेता परेश रावल हमारे साथ हैं हीं.’ परेश रावल का कहना है कि देश और समाज के विकास में नाटकों का भी बड़ा योगदान है. इस तरह के आयोजन नाटकों के महत्व को एक नया शिखर देंगे.
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