भोजपुरी लोक संगीत के नायक मुहम्मद खलील
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भोजपुरी लोक संगीत के कवनो विशिष्ट रंगारंग सांस्कृतिक जलसा में गायन का क्षेत्र में,आकर्षण के जे कुछ नाम हो सकत रहे,ओमे एगो विशिष्ट नाम रहे मुहम्मद खलील के।
मुहम्मद खलील के विकास भोलानाथ गहमरी जी का अभिभावक्त में भइल रहे,ई भोजपुरी खातिर एगो बड़हन सौभाग्य के बात साबित भइल।इहे वजह भइल कि खलील के गायन कला खाली भोजपुरी लोकगीते ले सीमित ना रहल आ ऊ भोजपुरी के साहित्यिक गीतन के अपना स्वर का सहारे परवान चढवले आ जनता के करेजा में ओकरा के उतार दिहले।
भोलानाथ गहमरी जी के साहित्यिक भोजपुरी गीत खलील के स्वर पाके जनता के हृदय में उतरत चल गइल आ आम आदमी के हिला-हिला दिहलस।
गहमरी जी के रचना आ रचना प्रक्रिया खलील के धुन से प्रभावित-विकसित होत रहल बा।खलील गीतन के धुन तईयार क के गहमरी जी के सुनावत रहन आ गहमरी जी से ओही धुन पर गीत लिखवावत रहन।ई बहुत बड़हन संयोग भोजपुरी के रचनात्मक विकास खातिर जुटत रहे,जवना के श्रेय भोलानाथ गहमरी आ मुहम्मद खलील दूनो के जात रहे।
खलील के गायन के बहुत बड़ खूबी ई रहे कि गावे वाला गीतन के साहित्यिक विशिष्टता उनका गायन में नष्ट ना होखत रहे बल्कि आउर उभर के,खुल के निखर के उजागर होत रहे।
मुहम्मद खलील के सुदर्शन व्यक्तित्व,हँसमुख आ तनाव-रहित उनकर सहज प्रसन्न मुद्रा,धोती कुर्ता आ अंगवस्त्रम के उनकर सम्भ्रान्त परिधान आउर उनकर आ उनका पार्टी के तत्पर प्रस्तुति शैली उनका कार्यक्रम खातिर बहुते अनुकूल वातावरण बना देत रहे आ उनका गायन के विशिष्ट प्रभाव श्रोता दर्शक पर पड़त रहे।
मुहम्मद खलील के निधन से भोजपुरी गीतन के गायन के दिसाईं जवन क्षति हो गइल रहे ओकरा के पूरा नइखे कइल जा सकत।भोजपुरी गीतन के एह अमर गायक के प्रति आत्मिक श्रद्धांजलि ।
मुहम्मद खलील के गावल गीतन में मुख्य रहल गीत –
1) कवने खोतवा में लुकइलु ,आहि रे बालम चिरई।
2) प्रीत में ना धोखा धड़ी,प्यार में ना झाँसा, प्रीत कर अइसन जइसे कटहर के लासा।
3) ले ले अइह बालम,बजरिया से चुनरी।
4) छलकल गगरिया मोर निरमोहिया,छलकल गगरिया मोर निरमोहिया…।
5) अंगुरी में डसले बिया नगिनिया रे,ए ननदो ..।
6) ना जाने कजरा के मोल,बलम हमरो परदेशिया।
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