भोजपुरी हृदय के उदगार की भाषा है- सरयू राय
सम्मेलन के स्वर्ण जयंती वर्ष पर जुटे भोजपुरी सेवी।
श्रीनारद मीडिया, झारखंड (बिहार):
लौह नगरी झारखंड के नगर जमशेदपुर में अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 27 वां अधिवेशन शहर के तुलसी भवन में शनिवार को प्रारंभ हुआ।
उद्घाटन सत्र में सर्वप्रथम गणमान्य अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के तैल चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया।
मंच पर आसीन स्थानीय विधायक सरयू राय, बिहार विधान पार्षद डॉ. संजय मयूख, मारिशस के पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी एवं भोजपुरी सेवी डॉ. सरिता बुधू, निवर्तमान अध्यक्ष आचार्य हरेराम त्रिपाठी चेतन, डॉ. महामाया प्रसाद विनोद, महामंत्री प्रो. जयकांत सिंह, डॉ. गोपाल ठाकुर, डॉ. गोपाल अश्क,आयोजन समिति के संयोजक डॉ.अजय कुमार ओझा सहित सभी अतिथियों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्थानीय विधायक एवं पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा कि भोजपुरी ह्रदय के उदगार की भाषा है। मॉरीशस में यह भारत की धरोहर है। इसे गीत के माध्यम से समझा जा सकता है।
” कोलकाता से खुलल बा जहाज पवारिया धीरे चलऽल।”
मॉरीशस की जनता का भारत भूमि के प्रति श्रद्धा है। भोजपुरी की जीवन्तता मारिशस में देखी जा सकती है। उम्मीद है कि भोजपुरी भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल हो जाएगी। हम लोगों में मातृभाषा के प्रति उस तरह का अस्मिता बोध नहीं है और हमारे में से कुछ सुधीजन भोजपुरी के विरोधी हैं। यही कारण है कि भोजपुरी अभी तक अपने कुछ तकनीकी कारणों से वह ऊंचाई हासिल नहीं कर पाई है।
सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे बिहार विधान परिषद के सदस्य डॉ. संजय मयूख ने कहा कि अपने बचपन कल से ही मैंने भोजपुरी की सेवा की है। भोजपुरी से अश्लीलता को भगाना है।
” माथे पगड़ी कंधे लट्ठ इहे हऽ भोजपुरिया ठटऽ।” सरकार एवं सम्मेलन के बीच में तकनीकी समिति का गठन हो और वह यह देख की भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने में क्या बाधाएं हैं, इसे दूर करके संविधान में शामिल किया जा सकता है इसके लिए सरकार प्रयासरत है।
मॉरीशस की धरती से विशिष्ट अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में पधारी भारत मॉरीशस की सेतु डॉ. सरिता बुधू ने कहा कि कुछ भोजपुरिया लोग ही आठवीं अनुसूची में शामिल होने का विरोध कर रहे हैं, जबकि भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता देने से हिंदी और मजबूत होगी। खान-पान से भाषा और मजबूत होती है। चौका-बेलन, दाल-पुरी, दलपिठुआ का किसी भाषा में अनुवाद नहीं है। भोजपुरी संस्कृति हमारे लिए अमृत के समान है।
” घर-घर में भोजपुरी हो!
भोजपुरी बोली हो!
वीरों की भाषा हो!
भोजपुरी हो घर-घर में हो। अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी दिवस का एक दिन वर्ष में एक बार आयोजित हो ऐसा प्रस्ताव मैं देती हूं। भोजपुरी को लेकर एक कार्यक्रम मॉरीशस में अप्रैल 2024 में आयोजित होगा, जिसमें आप सभी को आने का मैं नेवता देती हूँ।
निवर्तमान अध्यक्ष आचार्य हरे राम त्रिपाठी चैतन ने अपने उद्बोधन में कहा कि भोजपुरी के विकास हेतु कम लिखा जाए लेकिन ठोस लिखा जाए। इसके यात्रा हेतु यह आवश्यक है कि सजग लेखन हो। हमें भोजपुरी को अनुवाद की तरह नहीं भोजपुरी को एक विकसित बोली-वाणी भाषा के रूप में विश्व पटल पर प्रस्तुत करना है। साहित्य की सारी विधाओं में इसके पास अमृत भंडार है।
सम्मेलन के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. महामाया प्रसाद विनोद ने कहा कि इस 50 वर्ष के समय में सम्मेलन में कई उतार चढ़ाव आए लेकिन यह अनवरत जारी है। भोजपुरी के पुस्तक का लेखन एवं प्रकाशन हो ताकि इसमें नई पीढ़ी का रुझान बढे।
नेपाल की धरती से पधारे नेपाल भाषा आयोग के सदस्य डॉ. गोपाल ठाकुर ने कहा कि 1997 से भोजपुरी औपचारिक रूप से नेपाल के स्कूलों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है। भोजपुरी मध्यम में शिक्षा हो ऐसा प्रयास नेपाल में किया जा रहा है। रेडियो नेपाल, समाचार एवं भोजपुरी कार्यक्रम प्रसारित करता है। मधेश और लुंबिनी प्रदेश में भोजपुरी कामकाज की भाषा हो ऐसा हम लोग मांग कर रहे हैं।
सम्मेलन के महामंत्री प्रो. जयकांत सिंह ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि लौह नगरी 1955 से भोजपुरी की सेवा कर रही है।यह संस्था सितंबर 1973 में बिहार में सीवान के पचरुखी में स्थापित किया गया था। आज इस संस्था का स्वर्ण जयंती वर्ष एवं 27 वां अधिवेशन जमशेदपुर में आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले जमशेदपुर में सातवां अधिवेशन 1981 और 24 वां 2011 में किया गया था। हम सभी मिलकर यह आवाज उठाते हैं कि इस बोली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
मंच का सफल संचालन आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रसेनजीत तिवारी ने किया।
सम्मेलन में देश-विदेश से सैकड़ों की संख्या में भोजपुरी सेवी पधारे, जिसमें दिल्ली, भोपाल, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, अमृतसर, पटना, मोतिहारी,गोरखपुर,असम से कई अतिथि उपस्थित हुए।
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