मॉरिसस से भारत आ भोजपुरिया लो के कनेक्सन.
आज मॉरिसस 54 वाँ स्वतंत्रता दिवस ( राष्ट्रीय दिवस ) मना रहल बा, ठीक 12 मार्च 1992 के मॉरिसस गणतंत्र राष्ट्र बनल !
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
2 नवम्बर 1834 मॉरिसस मे भारत से भोजपुरिया लोगन के पहिला खेप एटलस जहाज से पहुंचल रहे । एग्रीमेंट के हिसाब से मजदूर लोग मॉरिसस पहुंचल रहे जे बाद मे ” गिरमिटिया ” के नाव से जानल जाला । 5 साल के कांट्रेक्ट ओह लोगन से भईल जे कलकत्ता मे ओह घरी नोकरी करत रहे , आ ब्रिटेन के ट्रेडिंग कम्पनी ” हंटर-आर्बुथ्नाट एंड कम्पनी ” संगे ई कांट्रेक्ट जवना के एग्रिमेंट कहल गईल बनल रहे ।
पहिला खेप मे उ लोग रहे जे बिहार आ पुर्वांचल से कलकत्ता मे नोकरी करत रहे आ ओह लो के बहुत कुछ देबे के वादा कई के ई एग्रिमेंट भईल रहे ।ब्रिटेन के ई कम्पनी ओह घरी कलकत्ता आ मॉरिसस दुनो जगहा रहे आ ओकरा बिहार पुर्वांचल के लोग मजदूरी खाति नीमन बुझाईल ।
36 लोगन के पहिला टीम जवना के मेठ ” स्वरुप ” रहले आ उनुका संगे रहले सबराम । एह लो के संगे जाये वाला अउरी लोगन मे कुछ नाव रहे कैलाशचंद , दूखन , भुमराह , बुद्धू , बिगना , चम्पा , लुगन , बुद्धराम ।
कांट्रेक्ट बंगाली भाषा मे लिखल रहे जवना मे महीना के तनखाह मे मरदाना खाति 5 रुपया आ मेहरारुन खाति 4 रुपया रहे । मेठ के तनखाह 10 रुपया महीना आ मेठ के संगे जे रहे ओकर 8रुपया महीना तनखाह रहे । ई यात्रा कलकत्ता पोर्ट से पोर्ट लुईस ( अप्रवासी घाट ) ले रहे ।
1834 से 1910 के बीचे 451796 लोग मॉरिसस गईल रहे जवना मे 346036 लोग मरदाना आ 105760 लोग मेहरारु रहे । तकरीबन 294257 लोग मारिसस मे रुकि गईल , जबकि 157539 लोग वापस भारत लवट आईल आ एहि मे से कुछ लोग दक्षिण अफ्रीका , ब्रिटिश गुयाना , त्रिनिदाद आ फिजी चल गईल ।
मॉरिसस मे पहुंचल इहे लोग आजुओ अपना भाषा अपना संस्कार के बना के रखले बा , आजूओ एह देस मे भोजपुरी के फेंड़ प हिन्दी के फल लागल बा ।
मॉरिसस के इतिहास –
मॉरिसस के पुरान अभिलेखन से इ मालूम चलेला कि एजुगा 10वा शताब्दी में तमिल (द्रविड़) नाविक लो चहुंपल रहे आ ओहि के लमसम औस्ट्रोंसी नाविक लो चहुंपल रहे । चुकि एगो द्वीप रहे एह से केहू ओह घरी स्थायी नागरिक एह द्वीप ( टापू) के ना बनल । 1507 में एजुगा पुर्तगाली लो आइल । आपन अड्डा बनावल बाकि बाद में इहो लो छोड़ के चल गइल । फेरु 1598 में हॉलैंड के तीन गो जलपोत एजुगा आइल जे दोसरा जगह जात रहे बाकिर समुंद्री तुफान में फंस के के एजुगा आ गइल । उहे लो अपना युवराज मॉरिस के नाव प एह टापू के नाव “मॉरिसस” राखि दिहल । बाद में इहो लो छोड़ के चल गइल ।
[ भारतीय आ खास क के भोजपुरिया लोग जब मॉरिसस गइल त ओह लोगन के इहे बतावल रहे कि इ रामायण के किरदार मारिच के देस ह । चुकि मारिच रामायण में सोना के हिरन बनल रहे एह से लोगन के लालचो दिआइल कि एजुगा बड़ा सोना बा । सोना के लालचे लोग मारिच देस गइल । इ क गो मॉरिसस के लोकगीत में आवेला । ]
1715 में फ्रांस के नजर एह टापू प पड़ल आ उ एह के अपना कब्जा में ले लेहलस आ एकर नाव धइलस ‘आइल दे फ्रांस’ ( फ्रांस क द्वीप ) । फ्रांस के शासन में एह द्वीप प विकास के राहि खुलल आ एजुगा चीनी के खुबे उत्पादन होखे लागल । 1810 के आसपास ब्रिटेन के एह द्वीप प कब्जा भइल । खास बात रहे कि फ्रांस संगे ब्रिटेन के एह द्वीप के ले के जवन संधि रहे ओह में इहो रहे कि एह द्वीप प फ्रांसीसी भाषा, संस्कृति नेतृत्व करी आ फ्रांस के कानून लागू रही । आ ओहि घरी एकर नाव बदल के फेरु से “मॉरिसस ” रखाइल । 1965 में चागोस द्वीपसमूह से मॉरिसस अलग भइल आ 1968 में मॉरिसस के स्वतंत्र राष्ट्र के सम्मान मिलल आ 1992 में गणतंत्र स्थापित भइल । मॉरिसस, अफ्रीका के देसन सबसे बेसी प्रति व्यक्ति आय वाला देस मानल जाला ।
आखर परिवार के ओर से मॉरिसस वासी लोगन के स्वतंत्रता दिवस प बहुत बहुत बधाई आ शुभकामना ।
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