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भोजपुरी के 26 वें महाकुंभ का मोतिहारी में हुआ आगाज़,प्रथम दिन हुये कई कार्यक्रम. - श्रीनारद मीडिया

भोजपुरी के 26 वें महाकुंभ का मोतिहारी में हुआ आगाज़,प्रथम दिन हुये कई कार्यक्रम.

भोजपुरी के 26 वें महाकुंभ का मोतिहारी में हुआ आगाज़,प्रथम दिन हुये कई कार्यक्रम.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

गौरव बोध हेतु क्षेत्र विशेष में अधिवेशन व सम्मेलन का होना एक मील का पत्थर है।

भोजपुरी ने राष्ट्र को बनाने में अप्रतिम योगदान दिया है.

भोजपुरी के लिए शांति से क्रांति तक आंदोलन करना होगा.

भोजपुरी मीठी बोली है इसमें जीवन है बौद्धिकता है.

कार्यक्रम के प्रथम दिवस में कुल तीन सत्र हुए, पहले सत्र में अधिवेशन का उद्घाटन हुआ, द्वितीय सत्र में पुरस्कारों का वितरण किया गया। कई साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन हुआ। डॉ हरेराम त्रिपाठी चेतन का अध्यक्षीय उद्बोधन हुआ। अपने उदबोधन में आपने कहा कि भोजपुरी के लिए शांति से क्रांति तक आंदोलन करना होगा। संविधान को आठवीं अनुसूची में भोजपुरी को शामिल किया जाए, इसके लिए जो भी मापदंड और मानदंड हैं उसे भोजपुरी पूरा करती है। इसके लिए हम सभी सत्व व आग्रह की धरती चंपारण से अपने इस अधिवेशन के द्वारा आह्वान करते हैं.

भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।

अगला अधिवेशन यानी 27 वां सम्मेलन आरा की जगदीशपुर में होगा जहां से बाबू कुंवर सिंह ने अट्ठारह सौ सत्तावन में पहले क्रांति का बिगुल फूंका था। जैसा की आप सभी को पता है मोतिहारी में भोजपुरी का 26 वां महाकुंभ हो रहा है, इससे पहले यहां छठवां अधिवेशन हो चुका है। इस सम्मेलन से यह संदेश दिया जाए इस भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।इस भाषा ने राष्ट्र को बनाने में योगदान दिया है,वहीं राष्ट्रभाषा को भी सुदृढ़ करने में भोजपुरी का अप्रतिम योगदान है। यह भाषा अपने मापदंड व मानदंड पर खरे उतरे, इस विषय पर हमें चर्चा करनी है, जो अगले सत्र में प्रस्तावित है।

भोजपुरी क्षेत्र ने राष्ट्र का गौरव बढ़ाया है।

हमारी मातृभाषा भोजपुरी है,भारत सहित कई देशों में फैले 20 करोड लोग इसमें अपना दिनचर्या करते हैं। इस भाषा में सभी अपना दिनचर्या करते हैं। यह संसार की आठवीं बड़ी भाषा है,भारत में 50000 वर्ग किलोमीटर में भोजपुरी का क्षेत्र है। यूपी और बिहार को मिलाकर लगभग 30 जिले इसमें शामिल है। देश के राष्ट्रपति के पद से लेकर विधायक व कार्यपालिका में बड़े बड़े अधिकारी भोजपुरी क्षेत्र से रहे हैं उन्होंने राष्ट्र का गौरव बढ़ाया है। मातृभाषा का गौरव बोध हेतु क्षेत्र विशेष में अधिवेशन व सम्मेलन का होना एक मील का पत्थर है।

भोजपुरी की भाषा व लिपि को बचाया और बढ़ाया जाये. 

जनता के बीच भोजपुरी का ज्ञान होना अनिवार्य है,वह इससे हिनता बोध का शिकार है, खासकर माताएं व बहनें भोजपुरी से कतराती हैं क्योंकि अश्लीलता और फूहडपन ने इस माई को आच्छादित कर रखा है, लेकिन इसका इतिहास है कि कभी इसे भोजी, कोसली, पूर्वी बोली, भोजपुरी कहा गया। यह पराक्रम की भाषा है ग्राम सभा से लोकसभा तक भोजपुरी पहुंचे एक संस्कार के रूप में पहुंचे यह हम सभी मांग करते हैं। वैदिक संस्कृति एवं लोक संस्कृति की यह मेल भाषा है। सम्मेलन का संदेश देश के सुदूर व विदेशों तक जाए ताकि हम अपनी भोजपुरी की भाषा और लिपि को बचा और बढ़ा सकें। कैथी लिपि बिल्कुल लुप्त प्राय है जिसे हमें जीवंत करना है। आप भोजपुरी में लिखे, देवनागरी में लिखे लेकिन अपने पृष्ठ के नीचे एक शब्द भी कैथी में अवश्य लिखें।अभी कुछ दिनों में सरकार जनगणना कराने जा रही हैं आइए हम सब शपथ लें उस जनगणना में जहां भाषा का कॉलम है वहां अपनी मातृभाषा के रूप में भोजपुरी को लिखेंगे।

वर्ष 2023 में यह सम्मेलन अपना 50 वर्ष पूरे करेगा

हिंदी के निर्माण में हमने पूरा सहयोग दिया है,आम व्यक्ति को यह बताना है कि मातृभाषा परंपरा परिवार और घर की भाषा है इससे हम स्वस्थ, सुंदर, सौम्य और अपने जीवन में सफल होते हैं। जन जागरण अभियान से ही भोजपुरी आगे बढ़ेगी,भोजपुरी मीठी बोली है इसमें जीवन है बौद्धिकता है। ज्ञान व आग्रह की धरती से भोजपुरी का यह जागरण अवश्य सुखद होगा, जहां तक इस सम्मेलन की बात है तो अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन की स्थापना 1973 में हुई थी अगले वर्ष 2023 में यह सम्मेलन अपना 50 वर्ष पूरे करेगा, इस यात्रा क्रम में इसने अभी तक 26 पड़ाव देखे हैं,इसके माध्यम से इसने कई मुकाम खड़े किए हैं। खासकर भोजपुरी भाषा और भोजपुरी क्षेत्रों में रहने वाले जनमानस के बीच जागरण का काम किया गया है।

सम्मेलन के द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार

सम्मेलन के द्वारा पिछले 30 वर्षों से 15 पुरस्कार दिए जाते रहे हैं जिसमें

पहला चित्रलेखा पुरस्कार,
दूसरा माधव सिंह पुरस्कार,
तीसरा पाण्डेय जगन्नाथ प्रसाद सिंह पुरस्कार,
चौथा अभय आनंद पुरस्कार,
पांचवा आचार्य महेंद्र शास्त्री पुरस्कार, छठा राम नगीना राय पुरस्कार,
सातवां जगन्नाथ सिंह पुरस्कार, आठवां पांडे नर्मदेश्वर सहाय पुरस्कार, नवा महंत लाल दास पुरस्कार,
दसवां बज किशोर दुबे नवोदित गायक गायक का पुरस्कार,
ग्यारहवां हरिशंकर वर्मा पुरस्कार, बारवहावां चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह पुरस्कार,
तेरहवां पाण्डेय योगेंद्र नारायण छात्र निबंध पुरस्कार,
चउदहवां मां बागेश्वरी छात्र कहानी पुरस्कार,और
पन्द्रहवा गिरिराज किशोरी छात्र कविता पुरस्कार।

वर्ष 2022 के पुरस्कारों से सम्मानित साहित्यकार.

इस वर्ष के पुरस्कारों में चित्रलेखा पुरस्कार प्रेमशिला शुक्ल को ‘जाए के बेरिया’ कहानी संग्रह के लिए,माधव सिंह पुरस्कार डॉ तैयब हुसैन पीड़ित को, पाण्डेय जगन्नाथ सिंह पुरस्कार श्री जितेंद्र कुमार उनकी पुस्तक ‘गुलाब के काटॅ’ के लिए ,अभयानंद पुरस्कार नीतू सुदीप्ति नित्या को उनकी पुस्तक ‘विजय पर्व’ के लिए आचार्य महेंद्र शास्त्री पुरस्कार बलभद्र जी को ‘कब कहली हम’ पुस्तक के लिए, राम नगीना राय पुरस्कार गुलरेज शहजाद की कविता ‘चंपारण सत्याग्रह गाथा’ के लिए जगन्नाथ सिंह पुरस्कार डॉ राजेश कुमार माझी को उनके नाटक ‘नून तेल’ के लिए, पाण्डेय नर्वदेश्वर सहाय पुरस्कार मनोज भावुक जो भोजपुरी जंक्शन के संपादक हैं उन्हें दिया गया।

महंत लाल दास पुरस्कार चंदन तिवारी को, ब्रज किशोर दुबे नवोदित गायक का पुरस्कार तृप्ति कुमारी को,हरिशंकर वर्मा पुरस्कार डॉ ओम प्रकाश राजापुरी को,भोजपुरी उपन्यासों में नारी पात्र के लिए दिया गया। चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह पुरस्कार डॉ सुनील कुमार पाठक को उनकी कालजयी पुस्तक ‘छवि और छाप’ राष्ट्रीयता के आलोक में भोजपुरी कविता का पाठ के लिए दिया गया। पाण्डेय योगेंद्र नारायण छात्र निबंध पुरस्कार यशवंत कुमार सिंह को उनकी पुस्तक ‘भोजपुरी साहित्य में हास्य व्यंग्य’ के लिए बागेश्वरी प्रसाद छात्र कहानी पुरस्कार श्री रवि कांत रवि को ‘खून केकर’ के लिए, गिरिराज किशोरी छात्र कविता पुरस्कार श्री अंकित को ‘गिरमिटिया’ के लिए दिया गया।

अंतिम सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन.

दिवस के अंतिम सत्र में संध्या समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ जिसमें सम्मेलन में आए सभी अतिथियों का मन मोह लिया जिसमें कई तरह की प्रस्तुति की गई। जिसमें राष्ट्रभक्ति की भावना से प्रेरित सुंदर प्रस्तुतियां देकर आमजन को संस्कृति में विविधता के दर्शन कराए।

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