अमेरिकी संसद में उठा 40 साल बाद भोपाल गैस त्रासदी का मुद्दा,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरूकता दिवस मनाने का प्रस्ताव
प्रस्ताव में क्या है
त्रासदी का लोगों पर पीढ़ीगत प्रभाव
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि भोपाल जैसी त्रासदी का आर्थिक और पीढ़ीगत बुरा प्रभाव पड़ा है। भोपाल में हादसे से बचे लोगों की मृत्यु दर काफी अधिक है। वहीं 150,000 से अधिक बचे लोग दीर्घकालिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। लगभग 500,000 लोग शारीरिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
बचे पीड़ितों को कैंसर का खतरा अधिक
प्रस्ताव में सैन डिएगो विश्वविद्यालय के एक अध्ययन का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है कि जो व्यक्ति आपदा के समय भोपाल में थे। उनमें कैंसर और विकलांगता की दर अधिक है। इसका असर रोजगार और शिक्षा के स्तर पर भी पड़ा है।
एंडरसन के प्रत्यर्पण की उठी मांग
प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत सरकार ने यूनियन कार्बाइड और उसके पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी वॉरेन एंडरसन पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप लगाया है। यह अमेरिका के कानून के तहत यह हत्या के बराबर है। ऐसे में एंडरसन का कृत्य एक प्रत्यर्पणीय अपराध है। इसमें यह भी कहा गया है कि यह सुनिश्चित करना अहम है कि दुनिया में किसी भी समुदाय को दोबारा भोपाल जैसे हादसे का सामना नहीं करना पड़े।
कंपनी ने भारतीय अदालतों के समन को किया अनदेखा
यूनियन कार्बाइड को खरीदने वाली कंपनी डॉव इंक के खिलाफ भारत सरकार के अनुरोध पर समय पर कदम उठाने की मांग भी की गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यूनियन कार्बाइड और उसके प्रतिनिधियों ने भारत में अदालत में उपस्थित होने के समनों की अनदेखी की है। भारत और अमेरिका के बीच 1942 में दो प्रत्यर्पण संधियां हुईं। इसके तहत भारत ने आवेदन भी किए। मगर कंपनी के प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं हो सकी।
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