बीएचयू के वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना की पहली और दूसरी वेव की तरह प्रभावी नहीं होगी तीसरी लहर
श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी
वाराणसी / लोग कोरोना के नाम से भी अब डरने लगे हैं, पर इसकी रोकथाम के लिए वैज्ञानिक व चिकित्सक लगातार प्रयास कर रहे हैं, जिसके कारण देश मे कोरोना के मामलों में धीरे धीरे कमी आ रही है। वही कोविड-19 की तीसरी लहर की संभावना और केरल सहित पूर्वोत्तर के राज्यों में बढ़ते मामलों के बीच एक राहत भरी खबर आई है।
बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों प्रोफ़ेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने दावा किया है कि कोरोना की थर्ड वेव कम-से कम तीन महीनों बाद ही दस्तक देगी। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से जो टीकाकरण किया जा रहा है वह कोविड-19 की तीसरी लहर को रोकने में काफी मददगार साबित होगी।
तीन महीने में देगी तीसरी लहर दस्तक
इस सम्बंध में लाइव वीएनएस से बातचीत में बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर अभी कम-से कम तीन महीनों बाद ही दस्तक देगी और इस लहर को टीकाकरण अभियान रोकने में काफी मदद करेगा, क्योंकि टीका लगवा चुके और कोरोना से ठीक हुए लोग एक विशेष प्रोटेक्टिव ग्रुप में सुरक्षित रहेंगे।
घातक नहीं होगी तीसरी लहर
प्रोफ़ेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर अभी तीन महीने तक दूर रहने की जानकारी देने के साथ ही यह खुशखबरी भी दी है कि यह उतनी घातक नहीं होगी। केरल में एक महीने बाद केस कम आने लगेंगे और वह भी यूपी की तरह हो जाएगा।
एंटीबॉडी का गिरने लगता है स्तर
उन्होंने बताया कि अभी तीसरी लहर नहीं आएगी, लेकिन जैसा कि हर तीन महीने में एंटीबॉडी का स्तर गिर जाता है। इस तरह से देखा जाए तो अगले तीन महीने में एंटीबॉडी का लेवल गिर जाएगा तो तीसरी लहर आ सकती है, लेकिन अभी चल रहा टीकाकरण अभियान अलग से कोरोना के खिलाफ लड़ने में मदद करेगा और हमारी इम्यूनिटी 70 प्रतिशत से ज्यादा रहने पर उस एरिया या ग्रुप में कोरोना का असर कम रहेगा और धीरे-धीरे कोरोना वायरस की फ्रीक्वेंसी घटने लगती है और यही हमको देखने को मिलेगा।
कोविड को नहीं रोका जा सकता मगर मृत्युदर की जा सकती है कम
प्रोफ़ेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि कोविड को तो नही रोका जा सकता मगर मृत्युदर को कम किया जा सकता है। समय-समय पर कोरोना की पीक बढ़ेगी फिर घटेगी। कुछ समय के बाद फिर गैप मिलेगा और जब एक बार फिर लोगों का एंटीबॉडी कम होगा तो केस फिर से बढ़ेंगे।
टीकाकरण करवाने वाले प्रोटेक्टिव ग्रुप में
वे लोग जिनका टीकाकरण हो चुका है या फिर जो कोरोना से लड़कर ठीक हुए हैं, वह प्रोटेक्टिव ग्रुप में रहेंगे। ऐसे लोगों को भी दोबारा कोरोना होने पर इनकी मृत्युदर काफी कम है। ऐसे ग्रुप में दो-चार लाख लोगों में 1-2 का मृत्यु हो जाना बहुत बड़ी बात है। भले ही हमारी पूरी आबादी कोरोना संक्रमित हो जाए और हम मृत्युदर 0.1 या 1 प्रतिशत से भी नीचे रहेगी तो हम इस जंग को हम जीत लेंगे।
जल्द आ जायेगी बच्चों कीर्तन वैक्सीन
प्रोफ़ेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि बच्चों की वैक्सीन पर कैडिला कंपनी काम कर रही है और उम्मीद है अगले 3-4 माह में बच्चों की वैक्सीन भी बाजार में आ जाएगी। अगर पहली और दूसरी वेव में पूरी दुनिया में देखें तो बच्चे सबसे कम प्रभावित हुए हैं। ऐसे में बड़ों की तुलना में बच्चे कम प्रभावित हो रहे हैं। भले ही बच्चों में इंफेक्शन होगा, लेकिन बच्चे ठीक हो जाएगे।
उन्होंने बताया कि इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि बच्चे स्कूल जा रहें है और कोरोना संक्रमित होते हैं और घर आने पर संयुक्त परिवार में रहने वाले दादा-दादी को भी संक्रमित कर सकते हैं। अगर इस स्थिति में दादा-दादी वैक्सीनेटेड न हो या उनको कोई और बीमारी हो तो उनको नुकसान पहुंच सकता है।