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भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने डोकलाम का मुद्दा उठाया,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने डोकलाम का मुद्दा उठाया,क्यों?

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने डोकलाम का मुद्दा उठाया,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के समक्ष भारत-भूटान-चीन की सीमा पर स्थित डोकलाम का मुद्दा उठाया। मोदी और वांगचुक के बीच हुई वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े हर मुद्दे पर विस्तार से बात हुई जिसमें आपसी सुरक्षा हितों से जुड़े तमाम मुद्दे भी शामिल थे।

बैठक में भारत सरकार की तरफ से भूटान की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए हर तरह की मदद देने पर भी सहमति बनी है। इसमें भूटान को अधिक वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराने से लेकर भूटान में पैदा होने वाले कृषि उत्पादों को दूसरे देशों में ज्यादा निर्यात करने की सहूलियत देना भी शामिल होगा। दोनों देश रक्षा संबंधों को भी और मजबूत करेंगे।

लगातार एक दूसरे से संपर्क में भारत और भूटान

भूटान के राजा वांगचुक दो दिवसीय भारत यात्रा पर आये हैं। सोमवार को उनकी विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात हुई थी तो मंगलवार को उन्होंने पीएम मोदी से आधिकारिक बैठक की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भी उन्होंने मुलाकात की। पीएम मोदी के साथ हुई उनकी बैठक की जानकारी देने के लिए मीडिया के समक्ष आए विदेश सचिव विनय क्वात्रा से जब यह पूछा गया कि क्या डोकलाम का मुद्दा उठा था।

क्वात्रा सवाल का सीधा जबाव देने से बचते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षा से जुड़े हर मुद्दे पर भारत और भूटान लगातार एक दूसरे से संपर्क में है और इनके बीच हर मुद्दे पर बात हुई है। जहां तक हाल ही में दिए गए कुछ बयान से संबंध का मामला है तीनपक्षीय सीमा (डोकलाम) की स्थिति के बारे में भारत का रुख पहले से स्पष्ट है और इसे बताया गया है।

भारत सरकार की हर मुद्दे पर नजर

डोकलाम के बारे में आगे विदेश सचिव ने कहा कि भारत सरकार इससे जुड़े हर मुद्दे पर नजर रखती है और सुरक्षा के लिहाज से जो भी जरूरी है वह कदम उठाती है। दरअसल, भूटान के प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि डोकलाम मुद्दा सिर्फ भारत व भूटान का मामला नहीं है बल्कि चीन भी इसका हिस्सा है। वर्ष 2017 में डोकलाम में ही भारत और चीन के सैनिक एक दूसरे के सामने तकरीबन दो महीने तक आमने-सामने के टकराव की स्थिति में रहे थे।

भूटान को पांच तरह की मदद देगा भारत

विदेश सचिव ने बताया कि पीएम मोदी और भूटान नरेश वांगचुक के बीच हुई वार्ता में एक तरह से भारत की तरफ से इस पड़ोसी देश को दी जाने वाली मदद का रोडमैप तैयार हुआ है। इसके तहत पांच तरह की मदद भारत देगा।

  • पहला, भूटान में 13वीं पंचवर्षीय योजना लागू हो रही है, आज की बैठक में सहमति बनी की भारत इसके लिए मदद बढ़ाएगा। इस बारे में आगे विस्तार से फैसला होगा।
  • दूसरा, भूटान के आग्रह पर भारत ने उसे ज्यादा वित्तीय मदद देने को तैयार हो गया है। यह मदद मौजूदा वित्तीय कर्ज के स्तर के अतिरिक्त होगी।
  • तीसरा फैसला यह हुआ है कि भूटान के कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने में भी भारत मदद करेगा। साथ ही भूटान को जरूरी उत्पादों जैसे पेट्रोलियम, उर्वरक व कोयला की आपूर्ति बढ़ाई जाएगी।
  • चौथा फैसला यह हुआ है कि जयगांव के नजदीक दोनो देशों की सीमा पर पहला इंटग्रेटेड चेक पोस्ट बनाया जाएगा।
  • पांचवा फैसला यह हुआ है कि भारत-भूटान के बीच पहला रेल नेटवर्क (कोकराझार से गेलेफू तक) बनाने का काम तेज किया जाएगा।
  • विदित हो कि भारत और भूटान के साथ सीमा विवाद पर चीन ने अब नया दांव खेला है। दरअसल, चीन ने एक नक्शा जारी किया है, जिसमें भारत एवं गतिरोध वाले क्षेत्र को दिखाया गया है। मानचित्र में दावा किया गया है कि भारतीय सेना ने डोकाला पास के समीप सीमा पार की है। उल्लेखनीय है कि डॉकलाम पठार को भारत और भूटान, भूटानी क्षेत्र के रूप में देखते हैं, लेकिन चीन द्वारा इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य जारी है, जिसका विरोध भूटान ने भी किया है।

    डॉकलाम से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

    • दरअसल, डॉकलाम  पर चीन का अधिकार है जबकि भूटान इसे अपना भू-भाग मानता है। यह भारत, तिब्बत और भूटान के त्रिकोणीय जंक्शन पर स्थित है और नाथु ला पास के करीब है। नाथुला पास के ज़रिये होने वाली कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा को इस बार चीन ने रोक दिया है।
    • डॉकलाम एक विवादित क्षेत्र है और भूटान का चीन के साथ एक लिखित समझौता है, जिसके अनुसार इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने की बात की गई है। भारत के लिये वह सामरिक महत्त्व का स्थान है। यह  स्थल सिलीगुड़ी से महज़ 30 किलोमीटर की दूरी पर है।

    नाथू ला पास से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

    • नाथूला हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है, जो भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है। भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था।
    • हालाँकि वर्ष 2006 में व्यापार के लिये इसे खोल दिया गया। बीसवीं सदी की शुरुआत में भारत और चीन के होने वाले व्यापार का 70 प्रतिशत हिस्सा नाथू ला दर्रे के ज़रिये ही होता था। यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग की एक शाखा का भी हिस्सा रहा है।
    • नाथूला दर्रा, चीन और भारत के बीच आपसी समझौतों द्वारा स्थापित तीन खुले व्यापार की चौकियों में से एक है, जबकि दो अन्य हैं – हिमाचल प्रदेश में शिपकी ला और उत्तराखण्ड स्थित लिपु लेख।

पनबिजली की ज्यादा कीमत देगा भारत

भूटान के आग्रह पर भारत उससे खरीदी जाने वाली पनबिजली की ज्यादा कीमत भी देने को तैयार हो गया है। भारत जो पनबिजली खरीदता है उसकी भूटान की इकोनोमी में बहुत ही अहम भूमिका है। भूटान की एक और पनबिजली परियोजना से भी भारत बिजली खरीदने को तैयार हो गया है।

भूटान ने भारत को नई पनबिजली परियोजना लगाने का भी प्रस्ताव भेजा है। पीएम मोदी ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है। इस क्रम में भारत ने संकोष पनबिजली परियोजना जैसी नई पनबिजली परियोजना को वित्तीय मदद दे सकता है।

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