यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को बड़ी राहत, भारत में ही पूरी कर सकेंगे इंटर्नशिप.
सात दिनों में 6 हजार से ज्यादा भारतीय–ज्योतिरादित्य सिंधिया.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
यूक्रेन-रूस में चल रहे भयंकर युद्ध में से बचकर भारत लौटे छात्रों को कई दिनों से अपने भविष्य को लेकर चिंता हो रही थी। लेकिन देश के मेडिकल रेग्यूलेटरी बाडी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने इस चिंता को आज खत्म कर दिया है। एनएमसी ने एक सर्कुलर जारी कर जानकारी दी है कि अब अपनी इंटर्नशिप अधूरी छोड़कर देश आने वाले विदेशी मेडिकल स्नातक स्क्रीनिंग टेस्ट पास करने के बाद इंटर्नशिप भारत में ही पूरी कर सकेंगे।
एक सर्कुलर में एनएमसी ने कहा है कि यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों द्वारा कोरोना और युद्ध का सामना किया गया है। और इस पीड़ा और तनाव को देखते हुए उनके आवेदनों पर राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते उम्मीदवारों ने विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा को भारत में इंटर्नशिप पूरा करने के लिए आवेदन करने से पहले उत्तीर्ण कर ली हो।
हजारों छात्रों को होगा फायदा
बता दें कि एनएमसी का यह फैसला यूक्रेन छोड़कर भारत आए सैकड़ों मेडिकल छात्रों के लिए मददगार हो सकता है, जिन्हें देश पर रूस के चल रहे सैन्य आक्रमण के कारण अपना पाठ्यक्रम छोड़ना पड़ा था। एनएमसी ने कहा है कि यदि उम्मीदवार मानदंडों को पूरा करता है तो राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा 12 महीने की इंटर्नशिप या शेष अवधि, जैसा भी मामला हो उसके लिए अनंतिम पंजीकरण दिया जा सकता है।
यूक्रेन पर हमले के बीच आपरेशन गंगा के तहत भारत तेजी से अपने छात्रों की स्वदेश वापसी अभियान में लगा हुआ है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि रोमानिया और मोल्दोवा से पिछले सात दिनों में 6,222 भारतीयों को निकाला गया है। छात्रों को बुखारेस्ट (सीमा से 500 किलोमीटर) के बजाय सुसेवा (सीमा से 50 किलोमीटर) में उड़ाने संचालित करने के लिए लाया लगा है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगले दो दिनों में 1,050 छात्रों को निकाला जाएगा।
वहीं, दूसरी ओर पूर्वोत्तर यूक्रेन के सूमी (Sumy) में फंसे भारतीय छात्रों की वीडियो अपील के बाद युद्धग्रस्त देश में भारतीय दूतावास ने आज कहा कि वह उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। सुबह एक ट्वीट में दूतावास ने कहा कि उसने अंतरराष्ट्रीय मानवीय संगठन रेड क्रास सहित सभी वार्ताकारों के साथ निकासी और निकास मार्गों की पहचान पर चर्चा की है।
सूमी में 700 और खार्किव में 300 छात्र हैं फंसे
बता दें कि भारत ने शुक्रवार को रूसी और यूक्रेनी सैनिकों द्वारा खार्किव और सूमी के संघर्ष क्षेत्रों से अपने नागरिकों को निकालने के लिए संघर्ष विराम की मांग की थी। कम से कम 1,000 भारतीय छात्र (सूमी में 700 और खार्किव में 300) अभी भी पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष क्षेत्रों में फंसे हुए हैं। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें निकालने के लिए बसों की व्यवस्था करना अभी सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है।
गौरतलब है कि सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्रों के समूह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भावनात्मक रूप से अपनी जान बचाने की अपील की थी। उनका दावा है कि उनके विश्वविद्यालय परिसर के पास बम गिराए जा रहे हैं और वे नियमित रूप से गोलियों और हवाई हमलों की आवाज सुन सकते हैं।
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