ट्रैफिक ऑडिट करानेवाला पहला राज्य बना बिहार,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में गाड़ियों की बढ़ती संख्या के कारण ट्रैफिक एक बड़ी समस्या बन गया है। खराब ट्रैफिक व्यवस्था के कारण होनेवाले हादसों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में पटना सहित प्रदेश के पांच प्रमुख शहरों में ट्रैफिक को बेहतर करने के लिए वैज्ञानिक सर्वे कराने का फैसला लिया गया है। जिन शहरों में यह वैज्ञानिक सर्वे किया जाना है, उनमें पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और बिहारशरीफ शामिल है।
फरीदाबाद की कंपनी से किया करार
इन पांचों शहरों के यातायात सर्वे के लिए पुलिस मुख्यालय में एडीजी (यातायात) सुधांशु कुमार और फरीदाबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन के निदेशक डॉ. रोहित बालूजा के बीच एक एमओयू साइन हुआ है। समझौते के तहत इस संस्थान की एक टीम पांचों शहरों में अलग-अलग समय औऱ स्थिति में विस्तृत अध्ययन कर इसकी रिपोर्ट अगले 4-5 महीने के भीतर पुलिस को सौंपेगी।
बिहार देश का पहला राज्य
बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट में इन शहरों के अंदर और इसे जुड़े नेशनल एवं स्टेट हाइवे समेत अन्य सभी सड़कों पर 500 किलोमीटर की लंबाई में ट्रैफिक व्यवस्था को नियंत्रित करने से संबंधित बातें होंगी. बिहार इस तरह यातायात व्यवस्था का वैज्ञानिक ऑडिट करानेवाला पहला राज्य बन जाएगा.
बिहार के पांच प्रमुख शहरों पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और बिहारशरीफ में यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए वैज्ञानिक तरीके से सर्वे किया जाएगा. इसके लिए पुलिस मुख्यालय में एडीजी (यातायात) सुधांशु कुमार और फरीदाबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन के निदेशक डॉ. रोहित बालूजा के बीच एक एमओयू साइन हुआ है
ट्रैफिक ऑडिट करानेवाला पहला राज्य बना बिहार
.इन जगहों पर होगा ऑडित
एडीजी ट्रैफिक सुधांशु कुमार ने बताया कि आइआरटीइ को राज्य में यातायात प्रबंधन व्यवस्था का वैज्ञानिक और प्रमाणिक रूप से समरी ऑडिट करने की जिम्मेदारी दी गयी है। उनके द्वारा राज्य के पांच बड़े दुर्घटना वाले शहरों पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और बिहारशरीफ तथा इनको जोड़ने वाले एनएच-एसएच पर ट्रैफिक ऑडिट किया जायेगा।
साथ ही परिवहन, पथ निर्माण, एनएचएआइ के क्षेत्रीय कार्यालयों, सदर अस्पताल, न्यायिक अकादमी और पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों का भ्रमण कर भी इनपुट हासिल करेगी.
एडीजी ने कहा कि शहरों में लगातार बढ़ते ट्रैफिक दबाव को व्यवस्थित करने का वैज्ञानिक तरीके से समाधान निकाला जाएगा. इसकी मदद से ट्रैफिक नियंत्रण का टिकाऊ समाधान होगा, जो आनेवाले कई वर्षों तक बेहद कारगर साबित होगा
देश में सबसे ज्यादा बाइक बिहार में
बिहार में दोपहिया वाहनों की संख्या ज्यादा है. राष्ट्रीय औसत 73 फीसदी से 10 प्रतिशत ज्यादा 83 फीसदी है। इसे नियंत्रित करने के लिए खासतौर पर योजना तैयार की जाएगी। बड़ी दुर्घटना के मामले में प्रति 100 सड़क हादसों में पूरे देश में मिजोरम के बाद बिहार का दूसरा स्थान है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक समाधान निकालकर लागू किया जाएगा।
बिहार के पांच प्रमुख शहरों पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और बिहारशरीफ में यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए वैज्ञानिक तरीके से सर्वे किया जाएगा. इसके लिए पुलिस मुख्यालय में एडीजी (यातायात) सुधांशु कुमार और फरीदाबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन के निदेशक डॉ. रोहित बालूजा के बीच एक एमओयू साइन हुआ है.
ट्रैफिक ऑडिट करानेवाला पहला राज्य बना बिहार
समझौते के तहत इस संस्थान की एक टीम पांचों शहरों में अलग-अलग समय औऱ स्थिति में विस्तृत अध्ययन कर इसकी रिपोर्ट अगले 4-5 महीने के भीतर पुलिस को सौंपेगी. बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट में इन शहरों के अंदर और इसे जुड़े नेशनल एवं स्टेट हाइवे समेत अन्य सभी सड़कों पर 500 किलोमीटर की लंबाई में ट्रैफिक व्यवस्था को नियंत्रित करने से संबंधित बातें होंगी. बिहार इस तरह यातायात व्यवस्था का वैज्ञानिक ऑडिट करानेवाला पहला राज्य बन जाएगा.
इन जगहों पर होगा ऑडित
एडीजी ट्रैफिक सुधांशु कुमार ने पत्रकारों को बताया कि आइआरटीइ को राज्य में यातायात प्रबंधन व्यवस्था का वैज्ञानिक और प्रमाणिक रूप से समरी ऑडिट करने की जिम्मेदारी दी गयी है. इसके तहत उनके द्वारा राज्य के पांच बड़े दुर्घटना वाले शहरों पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और बिहारशरीफ तथा इनको जोड़ने वाले एनएच-एसएच पर ट्रैफिक ऑडिट किया जायेगा. संस्था भौतिक अध्ययन के साथ ही परिवहन, पथ निर्माण, एनएचएआइ के क्षेत्रीय कार्यालयों, सदर अस्पताल, न्यायिक अकादमी और पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों का भ्रमण कर भी इनपुट हासिल करेगी.
प्राइमरी व सेकंडरी डेटा का होगा अध्ययन
उन्होंने बताया कि ट्रैफिक ऑडिट से प्राप्त प्राइमरी व सेकंडरी डेटा का संकलन कर उसका विश्लेषण होगा. इसके आधार पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय कार्यशाला होगी, जिसमें राज्य ट्रैफिक प्रोटोकॉल निर्धारित करने के लिए संबंधित विभागों पथ, परिवहन, स्वास्थ्य आदि के समक्ष सुझाव पेश किये जायेंगे.
बिहार में दो पहिया वाहन राष्ट्रीय औसत से ज्यादा
एडीजी ने कहा कि शहरों में लगातार बढ़ते ट्रैफिक दबाव को व्यवस्थित करने का वैज्ञानिक तरीके से समाधान निकाला जाएगा. इसकी मदद से ट्रैफिक नियंत्रण का टिकाऊ समाधान होगा, जो आनेवाले कई वर्षों तक बेहद कारगर साबित होगा. बिहार में दोपहिया वाहनों की संख्या ज्यादा है. राष्ट्रीय औसत 73 फीसदी से 10 प्रतिशत ज्यादा 83 फीसदी है. इसे नियंत्रित करने के लिए खासतौर पर योजना तैयार की जाएगी. बड़ी दुर्घटना के मामले में प्रति 100 सड़क हादसों में पूरे देश में मिजोरम के बाद बिहार का दूसरा स्थान है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक समाधान निकालकर लागू किया जाएगा.
ट्रैफिक प्रबंधन में इससे जुड़े सभी विभागों की सहभागिता जरूरी
आइआरटीइ के संस्थापक डॉ रोहित बलूजा ने बताया कि हमारे इंजीनियर्स, कैमरामैन, वीडियोग्राफर्स व फॉरेंसिक रिसर्चर इन शहरों में ट्रैफिक से जुड़े आंकड़े, तस्वीर व वीडियो इकट्ठा करेंगे, जिनका विश्लेषण दिल्ली स्थित संस्था के अलग-अलग लैबों में किया जायेगा. विभिन्न मानकों पर ट्रैफिक की वर्तमान स्थिति को परखते हुए उसको बेहतर करने को लेकर सुझाव दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि ज्यादातर शहरों में ट्रैफिक इंजीनियरिंग की कमी से इससे जुड़ी शिकायतें होती हैं. ट्रैफिक प्रबंधन में इससे जुड़े सभी विभागों की सहभागिता जरूरी है.
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