देश में केवल बिहार बोर्ड करता है टॉपर्स का दोबारा जाँच, क्या है कारण?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (Bihar School Examination Board) ने मैट्रिक (10वीं) की परीक्षा का रिजल्‍ट जारी किया। लेकिन बिहार के बाहर कम लोगों को ही पता होगा कि बोर्ड रिजल्‍ट के पहले न केवल अपने टॉपर्स की कॉपियों की दोबारा जांच करता है, बल्कि उनकी मेरिट का फिजिकल वेरिफिकेशन (Physical Verification of Toppers) भी करता है। खास बात यह है कि बिहार बोर्ड ऐसा करने वाला देश का एकमात्र स्‍कूल शिक्षा बोर्ड है। इस साल भी कुछ ही दिनों पहले यह प्रक्रिया पूरी की गई है। इस बड़े कदम के पीछे एक शर्मनाक कारण (Shameful Reason) है। ऐसा करने का कारण कुछ साल पहले तक लगते रहे भ्रष्‍टाचार के दाग मिटा कर बोर्ड की नई छवि बनाना है।

पहले अपने टॉपर्स के कारण ही बोर्ड की हो चुकी किरकिरी

कुछ साल पहले 2016 और 2017 के रिजल्ट के बाद बिहार बोर्ड के टॉपर्स सवालों के घेरे में आ गए थे। इस कारण बोर्ड की बड़ी बदनामी हुई थी। साल 2016 की इंटरमीडिएट (12वीं) की आर्ट्स टॉपर रूबी राय (Ruby Roy) ने मीडिया से बातचीत के दौरान अपने विषय ‘पॉलिटिकल साइंस’ को ‘प्रोडिकल साइंस’ कह सुर्खियों में आ गई थी। उसने यह भी बताया था कि इस विषय के तहत खाना बनाने की शिक्षा दी जाती है। उस साल के इंटरमीडिएट साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ (Saurabh Shreshta) को भी अपने विषय की मूलभूत जानकारी नहीं थी। मीडिया से बातचीत के दौरान वह इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के बारे में भी नहीं बता सका था। इसके बाद बोर्ड की जमकर किरकिरी हुई थी। साल 2016 के इंटरमीडिएट के सभी टॉपर्स की मेरिट का फिजिकल वेरिफिकेशन किया गया, जिसमें रूबी राय व सौरभ श्रेष्‍ठ सहित कई पास होने तक के अयोग्‍य करार दिए गए। वर्ष 2017 के इंटरमीडिएट आर्ट्स टॉपर गणेश कुमार (Ganesh Kumar) को भी अपने विषय संगीत की मूलभूत जानकारी नहीं थी।

उठाए सुधार के कई कदम, शुरू किया टॉपर्स वेरिफिकेशन

इसके बाद बिहार बोर्ड के भ्रष्‍टाचार की जांच में बोर्ड के तत्‍कालीन अध्‍यक्ष लालकेश्‍वर प्रसाद (Lalkeshwar Prasad) सहित कई बड़े लोग सलाखों के पीछे चले गए। यह मुकदमा आज भी चल रहा है। इस बीच बोर्ड के अध्‍यक्ष बनाए गए आनंद किशोर (Anand Kishore) ने सुधार के कई कदम उठाए। बोर्ड द्वारा अपने टॉपर्स का फिजिकल वेरिफिकेशन इसी के तहत लिया गया एक बड़ा फैसला है।

बुलाए गए टापर्स को घर से आने-जाने का खर्च देता है बोर्ड

टॉपर्स वेरिफिकेशन के लिए परीक्षा के अंकों के आधार पर तैयार टॉपर्स लिस्ट में शामिल छात्र-छात्राओं को बोर्ड बुला कर उनकी मेरिट को दोबारा जांचता है। इसके पहले विभिन्‍न विषयों की एक्‍सपर्ट उनकी कॉपियों की भी दोबारा जांच करते हैं। फिजिकल वेरिफिकेशन में भी एक्‍सपट कमेटी टापर्स से सवाल पूछकर उनकी योग्‍यता को परखती है। बुलाए गए टापर्स को बोर्ड घर से आने-जाने का खर्च देता है।

बोर्ड कैसे करता है टॉपर्स का फिजिकल वेरिफिकेशन, जानिए

सवाल यह है कि बोर्ड टॉपर्स का फिजिकल वेरिफिकेशन कैसे करता है? बीते साल के इंटरमीडिएट के एक टॉपर सावन भारती ने बताया कि एक्‍सपर्ट कमेटी विभिन्‍न विषयों से सवाल पूछती है। एक छात्र से करीब 30-40 प्रश्‍न पूछे जाते हैं। कुछ लिखने के लिए भी दिया जा सकता है। इससे कमेटी मेरिट के साथ-साथ हैंडराइटिंग भी चेक कर लेती है।

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