छुट्टी विवाद के बीच सक्रिय हुए बिहार के राज्यपाल,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में शिक्षा विभाग द्वारा छुट्टियों की जारी कैलेंडर पर हो रहे विवाद के बीच अब राज्यपाल के राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर सक्रिय हो गए हैं. अब सभी विश्वविद्यालयों के लिए आगामी वर्ष 2024 के लिए एक समान विश्वविद्यालय अवकाश कैलेंडर तैयार किया जायेगा. राजभवन ने इस संदर्भ में अधिसूचना जारी की है. राज्यपाल सह कुलाधिपति के निर्देश के बाद इस मामले में राजभवन विश्वविद्यालय के लिए एक सामान कैलेंडर बनाने में जुट गया है. इसके लिए तीन कुलपतियों की एक कमेटी गठित की गयी है.
राजभवन ने गठित की तीन कुलपतियों की कमिटी
राज्यपाल के प्रधान सचिव रोबर्ट एल चौंग्थू की तरफ से जारी अधिसूचना में बताया गया है कि राज्यपाल के निर्देश पर अवकाश कैलेंडर बनाने के लिए गठित समिति में पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपतियों को शामिल किया गया है. यह कमिटी बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम तथा पटना विश्वविद्यालय अधिनियम में कुलाधिपति को दी गई शक्ति के तहत की गई है. इस समिति को एक सप्ताह में रिपोर्ट तैयार कर राजभवन को सौंपनी है. इसी रिपोर्ट के आधार पर राजभवन छुट्टी का कैलेंडर जारी करेगा.
शिक्षा विभाग ने स्कूलों में छुट्टियों को लेकर जारी किया था कैलेंडर
बता दें कि बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य के राजकीय प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में छुट्टियों को लेकर बीते दिनों साल 2024 का अवकाश कैलेंडर जारी किया था. नये आदेश के मुताबिक अब कुल 27 अवसरों के लिए 60 अवकाश घोषित किये गये हैं. विभाग ने कहा कि है कि आरटीइ के प्रावधानों के अनुसार प्रारंभिक विद्यालयों में कम से कम 220 दिन कक्षाएं चलनी चाहिए. इस अधिसूचना में अन्य अवकाशों के अलावा बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, जानकी नवमी और चित्रगुप्त पूजा की छुट्टी भी दी गयी है. इसके साथ ईद और बकरीद के अवसर पर एक दिन तथा मुहर्रम के लिए एक दिन का अवकाश होगा. अधिसूचना में रक्षा बंधन, तीज और जिउतिया की छुट्टी का जिक्र नहीं है. आदेश के अनुसार सरकारी शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान भी इसी अवकाश तालिका का पालन करेंगे.
छुट्टियों को लेकर मचा सियासी घमासान
शिक्षा विभाग द्वारा जारी इस कैलेंडर के बाद राज्य में भारी सियासी बवाल मचा हुआ है. बीजेपी सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि नए अवकाश कैलेंडर में महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, जानकी नवमी, रक्षा बंधन, तीज और जिउतिया जैसे हिंदू पर्वों की छुट्टियां खत्म कर दी गई है. वहीं ईद और बकरीद जैसे मुस्लिम त्योहारों की छुट्टियां बढ़ा दी गई है. इन आरोपों को राज्य सरकार ने अफवाह बताया है.
सामान्य विद्यालयों और उर्दू विद्यालयों के अलग-अलग कैलेंडर
आरोपों को लेकर शिक्षा विभाग ने अवकाश तालिका के संदर्भ में अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा है कि सामान्य विद्यालयों और उर्दू विद्यालयों के कैलेंडर अलग-अलग बनाये गये हैं. इसके लिए दो अलग-अलग अधिसूचनाएं निकाली गयी हैं. संभवत: इसी कारण सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों में जल्दबाजी में सरकारी अधिसूचनाएं पढ़ कर उस पर मंतव्य बना लेने के कारण त्योहारों की छुट्टियों को लेकर भ्रम फैला है.
शिक्षा विभाग ने कहा कि 2024 में इस साल की तरह कुल छुट्टियां 60 दिन की हैं. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. गांधी जयंती समेत महापुरुषों की जयंतियों पर विद्यालय खुले रहते हैं. सम्राट अशोक जयंती, महावीर जयंती, वीर कुंवर सिंह जयंती का प्रश्न है, तो ये सभी जयंतियां इस वर्ष ग्रीष्मावकाश के दौरान पड़ रही हैं. लिहाजा इन्हें अलग से इंगित नहीं किया गया है. यह स्पष्ट किया जाता है कि इन जयंतियों पर विद्यालय बंद रहेंगे.
स्कूलों में सभी कक्षाओं के लिए होगा एक परीक्षा कैलेंडर
बिहार के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 12वीं तक के छात्रों के लिए एक ही परीक्षा / शैक्षणिक कैलेंडर होगा. अब अलग-अलग जिलों के लिए साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक परीक्षाओं का कैलेंडर अलग-अलग नहीं होगा. दरअसल, शिक्षा विभाग प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों की परीक्षाओं के लिए परीक्षा / शैक्षणिक कैलेंडर 2024 तैयार कर रहा है. पहली बार ऐसी व्यवस्था शुरू की जा रही है जिससे प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में एक साथ परीक्षाएं होंगी. इस परीक्षा कैलेंडर से सभी वर्ग के छात्र-छात्राओं को यह जानकारी रहेगी कि किस महीने में कौन -सी परीक्षा होनी है? परीक्षा किस तिथि को शुरू होगी और कब तक चलेगी इसकी पूरी जानकारी कैलेंडर में रहेगी.
स्कूलों में एकरूपता लाने के लिए जारी किया जाएगा कैलेंडर
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक यह कैलेंडर बहुत जल्दी जारी कर दिया जायेगा. प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में एकरूपता लाने के लिए विभाग ने यह निर्णय लिया है. विभाग के अधिकारियों ने स्कूलों के निरीक्षण के दौरान यह महसूस किया कि राज्य के स्कूलों में ली जाने वाली परीक्षा व समय सारणी में एकरूपता नहीं है. अलग-अलग तिथि पर परीक्षाएं हो रही हैं. कक्षाओं के संचालन में भी समानता नहीं है. जिसे लेकर सभी स्तर के स्कूलों के लिए एक मॉडल टाइम टेबल जारी किया है, जो शुक्रवार से प्रभावी हो गई है.
स्कूलों के लिए टाइम टेबल किया गया जारी
स्कूलों के लिए जारी इस टाइम टेबल के मुताबिक ही विद्यालय बंद और शुरू होंगे. विद्यालय अपने स्तर पर इस टाइम टेबल में अपने स्तर पर कोई बदलाव नहीं कर सकेंगे. यदि विद्यालय में किसी कक्षा का बोर्ड या सेंटअप एक्जाम हो रहा है तो अन्य कक्षाओं को सस्पेंड नहीं किया जा सकेगा. शनिवार को पूरे दिन गतिविधि होगी. भोजनावकाश के बाद अध्यापन का कार्य होगा. इसे बाद बाल संसद और अभिभावकों के साथ बैठक होगी.
संस्कृत बोर्ड के विद्यालय तथा राजकीय उर्दू विद्यालय भी उपरोक्त मॉडल टाइम टेबल का पालन करेंगे. मिशन दक्ष के तहत अपराह्न साढ़े तीन बजे से सवा चार बजे तक विशेष कक्षाएं संचालित की जायेंगी. सवा चार बजे से पांच बजे तक वर्ग एक और दो के बच्चों को छोड़ कर होम वर्क चेक किए जायेंगे. पाठ टीका तैयार किए जायेंगे. मिशन दक्ष की कक्षाएं ली जायेंगी. इसके बाद पांच बजे शिक्षक की छुट्टी की जायेगी.
प्रारंभिक / माध्यमिक स्कूलों की समय सारणी
- स्कूल खुलने का समय- सुबह नौ बजे
- प्रार्थना/ योगाभ्यास/ व्यायाम / ड्रिल- 9 बजे से 9:30 बजे तक
- पहली घंटी- 9:30- 10:10 तक
- दूसरी घंटी – 10:10 -10:50 तक
- तीसरी घंटी- 10:50 से 11:30 तक
- चौथी घंटी- 11:30 से 12:10 तक
- एमडीएम एवं मध्यांतर- 12:10 से 12:50 तक
- पांचवीं घंटी- 12:50 से 1:30 तक
- छठवीं घंटी – 1:30- 2:10 तक
- सातवीं घंटी – 2:10 से 2:50 तक
- आठवीं घंटी- 2:50 से 3:30 तक
- स्कूल की छुट्टी- 3:30 बजे
स्कूली बच्चों के लिए मिशन दक्ष शुरू
राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए मिशन दक्ष शुक्रवार से शुरू हो गया है. कक्षा तीन से आठ वीं तक के बच्चों के लिए प्रत्येक स्कूल में अपराह्न तीन बजे पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए कक्षा लगायी गयी. प्रधानाध्यापकों ने इस कक्षा पर विशेष नजर रखी. दरअसल यह मिशन शिक्षा विभाग की प्राथमिकता में है.
मिशन दक्ष के लिए गठित की गई है कमिटी
जानकारी के मुताबिक इसके संचालन के लिए जिला पदाधिकारियों की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी है. जिसमें मिशन दक्ष के संचालन के लिए जरूरी दिशा निर्देश दिये गये हैं. इस मिशन की खास बात है कि प्रत्येक शिक्षक को अधिकतम पांच बच्चे पढ़ाने होंगे. दरअसल प्रत्येक शिक्षक को इतने बच्चे एडोप्ट करने होंगे. इन शिक्षकों की जिम्मेदारी होगी कि बच्चों को उस कक्षा का स्तरीय ज्ञान दें , जिस में उनका नामांकन कराया गया है.
शिक्षकों को कम से कम लेनी होंगी छह घंटिया
दरअसल कमजोर बच्चों से आशय ऐसे विद्यार्थियों से है जो जिस कक्षा में पढ़ रहे हैं, उसके स्तर से कम ज्ञान या समझ रखते हैं. शिक्षा विभाग मिशन दक्ष के प्रति कितना गंभीर है, इसका पता इसी बात से चलता है कि अगर मिशन दक्ष की कक्षा मिला कर यह शिक्षक छह घंटिया नहीं पढ़ाते हैं तो यह माना जायेगा कि वे विद्यालय में केवल सशरीर उपस्थित थे. पढ़ाया नहीं. लिहाजा उस दिन का वेतन भुगतान नहीं किया जायेगा. जानकारी में बताया गया कि कई स्कूलों में माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों ने भी विशेष कक्षाएं लीं.