रिपोर्ट में बिहार को सबसे फिसड्डी दिखाया गया है,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग फिर से शुरू हो गई है। नीति आयोग के तरफ से आई सतत विकास लक्ष्यों (SDG) की रिपोर्ट में बिहार को सबसे फिसड्डी दिखाया गया है। इस पर राजनीति शुरू हो गई है।
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने CM नीतीश कुमार को इसके बहाने टारगेट किया तो जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने एक बार फिर विशेष राज्य के दर्जे की मांग दोहराई। वहीं, BJP के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने इस रिपोर्ट पर सवाल खड़ा करते हुए इसकी जांच तक की मांग कर दी है।
लालू प्रसाद ने सरकार पर साधा निशाना
वहीं, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने एसडीजी रिपोर्ट को लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नीतीश-भाजपा के 16 वर्षों के अथक प्रयास और नकारात्मक राजनीति का ही प्रतिफल है कि बिहार नीचे से शीर्ष पर है। कथित जंगलराज का रोना रोने वाले पूर्वाग्रह से ग्रस्त जीव आजकल ज़ुबान पर ताला जड़ बिलों में छुपे है। बिहार का सत्यानाश हो जाए। लेकिन उन लोगों को सामाजिक आर्थिक न्याय गवारा नहीं।
आपको बता दें कि जुलाई 2017 के बाद पहली बार जदयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का राग अलापा है। लालू यादव से गठबंधन तोड़ने के बाद जब से भाजपा के साथ नीतीश कुमार की पार्टी सरकार चला रही है, तब से इस मसले पर चुप थी, जिसकी आलोचना विपक्षी भी करते थे।
केसी त्यागी बोले- स्पेशल स्टेटस मिलता तो हालात कुछ और होते
JDU के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने साफ कहा कि बिहार की स्थिति पहले से बहुत खराब थी। झारखंड का बंटवारा होने के बाद स्थिति और बिगड़ी और बिना विशेष दर्जे के इसमें कोई बहुत बड़ा सुधार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कई फोरम पर इस बात को पहले भी रखा है। उनकी पार्टी ने कभी भी स्पेशल स्टेटस की मांग को नहीं छोड़ा और आज बिहार में जो कुछ बदलाव हुआ है वह CM नीतीश कुमार की वजह से हुआ है। JDU नेता के मुताबिक, अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला होता तो आज हालात दूसरे होते।
इसलिए विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत
त्यागी ने CM नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य सरकार की अपनी सीमाएं होती हैं। बिहार जैसे राज्य में संसाधनों की कमी है। इसके बावजूद CM नीतीश कुमार ने बिहार में बहुत काम किया है। नीतीश कुमार की सरकार ने अपने बूते बिहार को GDP में आगे रखा। झारखंड बंटवारे के साथ उद्योग धंधे, थर्मल पावर प्रोजेक्ट और खनिज संपदा झारखंड में चले गए और इसका खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ा। इसको दूर करने के लिए विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत है।
BJP विधायक ने रिपोर्ट पर उठाए सवाल
उधर, सरकार में शामिल BJP को भी नीति आयोग की SDG रिपोर्ट को हजम करने में दिक्कत हो रही है। पहले नीतीश कुमार के खास रहे BJP विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने सवाल उठाया है कि बिहार का विकास नीति आयोग को क्यों नहीं दिख रहा है। जिसने बिहार का रिपोर्ट तैयार किया उसने बड़ी गलती की है। ज्ञानू ने कहा कि विकास रिपोर्ट किस भावना से जारी हुई है, यह जांच का विषय है। नॉर्थ ईस्ट के राज्य समेत नक्सल प्रभावित राज्यों से भी बिहार का विकास नीचे दिखाया गया है, यह हास्यास्पद है।
किन मानकों पर जारी होती है SDG रिपोर्ट
नीति आयोग ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स इंडेक्स एंड डैशबोर्ड 2020-21 जारी की है। इसमें राज्यों की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण को लेकर किए गए कामों को आधार बनाया गया है। नीति आयोग की ओर से 17 मानकों के आधार पर रिपोर्ट जारी की गई है। यह तीसरा साल है, जब SDG रिपोर्ट आई है। पिछले साल की तरह इस बार भी बिहार 52वें अंक के साथ सबसे नीचे है। इस रिपोर्ट के लिए 17 गोल, 70 टारगेट और 115 इंडिकेटर्स को राज्य की तरक्की का पैमाना माना गया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कुशवाहा बोले- नीतीश ने दी बिहार को गति
जदयू नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार-झारखंड विभाजन उपरांत प्राकृतिक संपदाओं का अभाव और बिहारवासियों पर प्राकृतिक आपदाओं का लगातार दंश के बावजूद नीतीश जी के नेतृत्व में NDA सरकार अपने कुशल प्रबंधन से बिहार में विकास की गति देने में लगी है। लेकिन वर्तमान दर पर अन्य राज्यों की बराबरी संभव नहीं है। नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट इसका प्रमाण है। अतः विनम्र निवेदन है कि ‘बिहार को विशेष राज्य का दर्जा’ देने की जदयू की वर्षो लंबित मांग पर विचार करें और बिहार वासियों को न्याय दें।
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