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खेल की संभावनाओं से बदलने जा रहा बिहार! - श्रीनारद मीडिया

खेल की संभावनाओं से बदलने जा रहा बिहार!

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खेल प्रतिभाओं के प्रोत्साहन और बुनियादी सुविधाओं के विकास तथा अंतराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं के आयोजन से बिहार में संभावनाओं से भरपूर एक नवीन ऊर्जा खेल से सृजित होने जा रही है

बिहार दिवस 22 मार्च के संदर्भ में विशेष आलेख

✍️गणेश दत्त पाठक, श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

समय के साथ कहावतों के संदर्भ बदलते रहे हैं। एक कहावत हमारे यहां कभी बहुत प्रचलित रही थी कि पढ़ोगे लिखोगे तो होगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब। लेकिन वर्तमान समय में खेल एक विशेष महत्व का संदर्भ हो गया। खेल से न सिर्फ आरोग्य रक्षण को मजबूत आधार मिल रहा है अपितु डिजिटल डिटॉक्स, एक बेहतरीन करियर के विकास, राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा अर्जित करने, युवाओं को सही दिशा देने के संदर्भ में खेल अपनी उपादेयता को साबित कर चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार जहां एक तरफ खेल के विकास को सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में बुनियादी खेल संरचनाओं को विकसित करने का काम कर रही है वहीं अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं को बिहार में आयोजित करवा कर एक नई ऊर्जा को सृजित करने का प्रयास किया जा रहा है। हाल ही में राजगीर में आयोजित हुए भव्य और सफल एशियाई महिला हॉकी चैम्पियन शिप ने बिहार की प्रतिष्ठा को खेल जगत में स्थापित किया है। खेल से जुड़े पर्यटन का अर्थशास्त्र बड़ी संभावनाओं को भी उजागर करता दिखाई देता है। साथ ही, खेल प्रतिभाओं के प्रोत्साहन के लिए स्कॉलरशिप और मेडल लाओ नौकरी पाओ जैसी योजनाएं एक नवीन उत्साह को सृजित कर रही है। यदि बिहार सरकार के प्रयास धरातल पर उतरते हैं और सामूहिक भागीदारी सृजित होती है तो खेल के विकास से संबंधित संभावनाएं बिहार की तस्वीर को बदल सकती हैं!

बिहार की माटी ने हॉकी, एथलेटिक्स, तीरंदाजी, कबड्डी, , क्रिकेट में देश को कई नामचीन खिलाड़ी दिए हैं। इनमें कीर्ति आजाद, संजीव सिंह, राजीव कुमार सिंह, शिवनाथ सिंह, सी प्रसाद जैसे कई बड़े नाम शामिल है। संजीदगी से यह महसूस करना आवश्यक है कि खेल कितने बड़े बदलाव को लाने में सक्षम है? आरामदायक जीवन शैली से शरीर कई व्याधियों का शिकार होता जा रहा है। 18 से 20 वर्ष के युवा मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोग आदि व्याधियों की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। मोबाइल से शारीरिक सक्रियता में भारी कमी आई है। ऐसे में हर उम्र के लोगों के आरोग्य संरक्षण के लिए खेल में सहभागिता निभाना एक अनिवार्य तथ्य बन चुका है।

वैज्ञानिक तथ्य इसकी पुष्टि करते दिखते हैं कि खेल से हमारे शरीर की मांसपेशियां, हड्डियां, फेफड़ों और आंतों को मजबूती मिलती है। एक स्वस्थ शरीर किसी भी क्षेत्र में विकास की एक मजबूत बुनियाद को स्थापित करता है। वर्तमान समय में प्रतिस्पर्धा में मात्रात्मक गुणात्मक और मात्रात्मक वृद्धि हो रही है। युवाओं में तनाव, अवसाद आदि सामने आ रहे हैं। ऐसे में खेल काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। खेलने से हमारे मास्तिष्क की क्षमता एकाग्रता और समस्या समाधान कौशल का विकास भी सुनिश्चित होता है। ऐसे में ऊर्जावान और मानसिक रूप से सजग युवाओं की तादाद विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित हो सकती है।

वर्तमान में कई सर्वे यह संकेतित करते हैं कि युवाओं का स्क्रीन टाइम बढ़ता जा रहा है। इसलिए डिजिटल डिटॉक्स यानी डिजिटल उपकरणों से दूरी बनाने की संकल्पना को विशेष तरजीह दी जा रही है। डिजिटल डिटॉक्स की स्थिति को प्राप्त करने में खेल की भूमिका अहम है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आ रही है कि नशे के विभिन्न माध्यमों की तरफ युवाओं का रुझान बढ़ रहा है। नशामुक्ति के संदर्भ में दृढ़ इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है। खेल जहां युवाओं को सही दिशा दिखाता है वहीं दृढ़ इच्छा शक्ति और मनोबल के विकास में भी सहायक होता है। खेल भावना का विकास युवाओं में सहिष्णुता, आत्मविश्वास, अनुशासन के विकास के संदर्भ में भी सकारात्मक भूमिका निभाता है। खेल का सामाजिक विकास में भी अहम योगदान रहता है। जब हम खेलते हैं तो एक दूसरे के साथ जुड़ते हैं हमारे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं। खेल से हमारे सामाजिक कौशल में बढ़ोतरी होती है। खेल भावनात्मक मजबूती भी प्रदान करता है। जब हम खेलते हैं तो हमारी भावनाएं स्थिर होती है, हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है, हमारी तनाव प्रबंधन क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खेल आर्थिक विकास को भी संबल प्रदान करता है।

आज खेल आजीविका विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है। खेल में करियर विकास की भरपूर संभावनाएं सृजित हो रही है। अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के स्पर्धाओं के आयोजन से पर्यटन के विकास की संभावनाएं भी उत्पन्न होती है। खेल की बुनियादी सुविधाओं में सुधार होने से खेल सामग्री निर्माण उद्योग को बढ़ावा मिलता है। खेल मैदान और स्टेडियम के निर्माण से रोजगार और विनिर्माण उद्योग को सहायता प्राप्त होती है। साथ ही, स्थानीय खेल प्रतिभाओं को मिलने वाली राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय उपलब्धियां स्थानीय स्तर पर सकारात्मक ऊर्जा को सृजित करती हैं। स्थानीय क्षेत्र के प्रतिष्ठा को नवीन आयाम मिलता है।

बिहार सरकार द्वारा खेल के विकास को बहुत ज्यादा महत्व दिया जा रहा हैं। 2025 में खेल विभाग के अस्तित्व में आने के बाद एक नवीन ऊर्जा सृजित हुई है। बिहार में जहां खेल विश्वविद्यालय और खेल अकादमी को स्थापित किया जा रहा है। वहीं खेल के बजट को बढ़ाया गया है। खिलाड़ियों द्वारा राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियों को प्राप्त करने के बाद जहां बिहार राज्य खेल सम्मान से सम्मानित कर उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है वहीं नीतीश सरकार मेडल लाओ और नौकरी पाओ योजना के तहत खिलाड़ियों को नौकरी भी दे रही है। बिहार सरकार ने राज्य के खिलाड़ियों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालीन एथलीट विकास कार्यक्रम के तहत बिहार खेल छात्रवृति योजना भी चलाई जा रही है। मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज सहित तमाम शैक्षणिक संस्थानों में खेल कोटा के तहत दाखिला लेने के लिए सीटों का निर्धारण भी किया गया है।

बिहार खेल छात्रवृति योजना को तीन श्रेणी में बांटा गया है। पहली कैटेगरी में 12 से 18 वर्ष की उम्र के 500 खिलाड़ियों को प्रतिवर्ष 3 लाख रुपये दिए जा रहे हैं। दूसरी कैटेगरी के तहत 12 से 24 आयु वर्ग के राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 200 खिलाड़ियों को हर साल 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। तीसरी श्रेणी में ओलिंपिक स्तर के 25 खिलाड़ियों को 20 लाख रुपए प्रतिवर्ष मदद की जा रही है। इसमें विदेश में प्रशिक्षण की सुविधा भी शामिल है। राज्य खेल विभाग और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण की तरफ से खिलाड़ियों को खेल छात्रवृत्ति मुहैया कराई जा रही है। बिहार में कुछ वर्ष पूर्व उच्च विद्यालयों में फुटबॉल के स्टेडियम के निर्माण कराए गए थे। अभी प्रत्येक पंचायत में खेल मैदान और प्रत्येक प्रखंड में स्टेडियम तथा जिला स्तर पर खेल के लिए मल्टी परपज भवन बनाए जा रहे हैं ताकि खेल प्रतिभाओं के अभ्यास के लिए अच्छी बुनियादी सुविधा उपलब्ध हो सके।

बिहार में महिला एशिया कप हॉकी चैंपियनशिप का शानदार आयोजन 11 से 20 नवंबर 2024 तक राजगीर के राजकीय खेल अकादमी-सह-खेल परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें एशिया की छह प्रमुख टीमों ने भाग लिया, यह आयोजन बिहार के खेल इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ने वाला साबित हुआ और खेल से जुड़े पर्यटन के अर्थशास्त्र की संभावनाओं को भी उजागर किया।

खेल विभाग के निदेशक महेंद्र कुमार ने बताया कि बिहार 2025 में विश्व कप महिला कबड्डी, विश्व कप सेपक टकराव, खेलो इंडिया यूथ गेम्स, अंडर 20 रग्बी सेवेंस एशियाई चैंपियनशिप तथा हीरो मेंस एशिया कप हॉकी की मेजबानी करेगा। सभी कार्यक्रम बिहार के सात जिलों में आयोजित किए जाएंगे, जिनमें पटना, नालंदा, गया, भागलपुर, मुंगेर, बेगूसराय और दरभंगा शामिल हैं। इन खेलों का आयोजन जनवरी से लेकर अगस्त के बीच में किया जाएगा। ये आयोजन खेल के प्रति उत्साह के वातावरण के साथ पर्यटन आर्थिक विकास को भी प्रेरित करेंगे।

बिहार सरकार के उपर्युक्त सभी प्रयास राज्य में खेलों के विकास को निश्चित तौर पर ऊर्जस्वित करने वाले साबित होंगे। आवश्यकता इस बात की भी होगी कि बिहार सरकार के प्रयासों को स्थानीय स्तर पर सहयोग और समर्थन भी मिले। स्थानीय खेल प्रतिभाओं को राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं के उपभोग के लिए सामने आना होगा। परिवार के स्तर पर भी खेलों के महत्व को समझे जाने की आवश्यकता है। यदि परिवार का कोई युवा खेल में दिलचस्पी रखता है तो परिवार के स्तर पर मिलनेवाला सहयोग, प्रोत्साहन और समर्थन क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला साबित हो सकता है। खेल के प्रोत्साहन के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं को सही तरीके से लागू करने की व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित करनी होगी। पारदर्शिता, स्पष्ट जवाबदेही और निरंतर मॉनिटरिंग इस संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण होंगे।

यह तथ्य तो स्पष्ट है कि बिहार में खेल का विकास यहां की आर्थिक, सामाजिक तस्वीर को बदलने की क्षमता रखता है। खेल के बुनियादी सुविधाओं के विकास से जहां यहां पर भरपूर रोजगार सृजित होंगे वहीं खेल प्रतिभाओं के लिए अभ्यास के लिए उपयुक्त स्थल मिल पाएंगे। इससे ग्रामीण प्रतिभाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा। अंतराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं के आयोजन से जहां बिहार के पर्यटन को नई ताज़गी मिलेगी वहीं खेल के बारे में एक बेहद सकारात्मक माहौल का सृजन भी होगा। मेडल लाओ और नौकरी पाओ योजना खिलाड़ियों के मनोबल को बढ़ाने वाली है तो दीर्घकालीन एथलीट विकास कार्यक्रम उन खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रही है जो संसाधनों के अभाव में अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन से वंचित रह जाते हैं। खेलों के विकास से युवाओं के शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक आरोग्य की बेहतरी, डिजिटल डिटॉक्स, सामाजिक एकजुटता जैसे लक्ष्यों को भी प्राप्त किया जा सकता है। ये सभी तथ्य बिहार के क्रांतिकारी परिवर्तन को संभव बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
खेल के विकास के माध्यम से बिहार के विकास को ऊर्जा प्रदान किया जा सकता है। आवश्यकता बहुस्तरीय प्रयासों में समन्वय और सामंजस्य की है। खेल के माध्यम से ऊर्जस्वित और प्रेरित युवा बिहार के विकास की एक नई गाथा को लिखने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं।

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