सर्वाइकल कैंसर रोधी एचपीवी टीकाकरण के लिए बिहार के सिवान जिले को पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया गया चयन

सर्वाइकल कैंसर रोधी एचपीवी टीकाकरण के लिए बिहार के सिवान जिले को पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया गया चयन

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अनिवार्य रूप से 09 से 14 आयुवर्ग की सभी बालिकाओं को एचपीवी के टीके लगवाना चाहिए : सिविल सर्जन

शहर के पांच सरकारी और निजी उच्च विद्यालयों का किया गया चयन: डीआईओ

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर भारत की महिलाओं में दूसरा सबसे प्रमुख कैंसर है। हालांकि विश्व में यह चौथे स्थान पर है। लेकिन, इसके लिए भारत में इसकी दर कम करने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता है। क्योंकि यह एक ऐसा कैंसर है, जिसे एचपीवी टीकाकरण एवं नियमित जांच से रोका जा सकता है। इस दिशा में सार्थक पहल करते हुए भारत सरकार ने पंजाब, सिक्किम, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सरकार द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक संपन्न करने के बाद अब बिहार के सिवान जिले को पायलट प्रोजेक्ट के तहत मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से अनुदान उपलब्ध कराई गई है। हालांकि मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना की स्वीकृति मिलने के बाद 09 से 14 आयुवर्ष की स्कूली बच्चियों को आगामी 01 अक्तूबर को टीकाकृत करने के लिए पांच विद्यालय के 75 बच्चियों का चयन करना है।

 

अनिवार्य रूप से 09 से 14 आयुवर्ग की सभी बालिकाओं को एचपीवी के टीके लगवाना चाहिए: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि पूरे देश में कैंसर से होने वाली मृत्यु के मामले में बिहार चौथे स्थान पर है। हालांकि बिहार में प्रति वर्ष लगभग 1.20 लाख नए मामले आते हैं। जिसमें पांच से छः प्रतिशत तक मरीजों की मौत होती है। लेकिन सबसे अधिक महिलाओं में ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण 90 फ़ीसदी सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं। हालांकि राज्य सरकार द्वारा सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी टीकाकरण उपलब्ध कराई गई है। क्योंकि इस टीके से लगभग 98 प्रतिशत तक आसानी से बचाव किया जा सकता है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि ज्यादा उम्र की महिलाओं पर इसका टीके के असर बहुत ही कम असर करता है जबकि अनिवार्य रूप से 09 से 14 आयुवर्ग की सभी बालिकाओं को एचपीवी के टीके लगवाना चाहिए। क्योंकि टीके लेने से कम उम्र की युवतियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफ़ी तेज़ी से विकसित हो जाती है। जिस कारण एचपीवी संक्रमण का खतरा काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है। लेकिन 09 से 14 आयुवर्ग तक की किशोरियों के लिए इस टीके की 02 खुराक छह माह के अंतराल पर लगाना होगा।

 

शहर के पांच सरकारी और निजी उच्च विद्यालयों का किया गया चयन: डीआईओ
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि बिहार के महिलाओं में होने वाली सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए 09 से 14 वर्ष उम्र की किशोरियों का एचपीवी टीकाकरण अभियान संचालित करने के लिए आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। शहर के पांच सरकारी और निजी उच्च विद्यालयों का चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जिसमें प्रत्येक विद्यालय से 20 बच्चियों को टीकाकृत किया जाना है। यानी कि आगामी 01 अक्टूबर को 100 किशोरियों को सदर अस्पताल बुलाया गया है। लेकिन टीकाकरण सत्र से पहले आठ सदस्यीय टीम को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाना है। इसके लिए राज्य मुख्यालय के दिशा निर्देश में एक चिकित्सा पदाधिकारी, चार स्टाफ नर्स और तीन एएनएम को प्रशिक्षित करने के लिए पटना भेजा गया है। हालांकि 09 से 14 आयुवर्ग की किशोरियों को एचपीवी टीकाकरण कराने की अनुशंसा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सर्वाइकल कैंसर से बचाव को लेकर टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समिति गठित टीम द्वारा की गई हैं। गर्भाशय या बच्चेदानी के मुंह का कैंसर को हम लोग सर्वाइकल कैंसर के नाम से जानते हैं। क्योंकि यह एक गंभीर बीमारी के रूप में उभर कर सामने आया है। हालांकि पूरी दुनिया में होने वाले प्रत्येक पांच सर्वाइकल कैंसर के मरीजों में से एक भारत में है। जो कैंसर मृत्यु दर का प्रमुख कारण हैं। लेकिन 40 से 60 आयुवर्ष की महिलाओं में कैंसर से होने वाली सभी मृत्यु का लगभग 17 प्रतिशत है। जबकि पूरे भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग चार लाख नए सर्वाइकल कैंसर के मरीज़ इस बीमारी से पीड़ित हैं। जिसमें सर्वाइकल कैंसर भारत में अकेले कैंसर के वैश्विक बोझ का एक चौथाई हिस्सा है।

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