बिहार के विवेक बने असिस्टेंट कमांडेंट, तीसरे प्रयास में मारी बाज़ी
पिता बोले- अब भी यकीन नहीं हो रहा
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क:
कहते हैं अपनी असफलताओं से सीख लेनी चाहिए, इससे हार नहीं मानना चाहिए. इस उदाहरण को गाठ बांध पूर्णिया के इस लाल ने कमाल कर दिया है. तीसरे प्रयास में यूपीएससी सीएपीएफ में सफलता पाई हैं. वह बेहद ही साधारण परिवार का लड़का है. पिता टेंट संचालक हैं. बेटे की सफलता के बाद पिता ने कहा कि उन्होंने सपनों में भी नहीं सोचा था कि बेटा इतनी बड़ी परीक्षा में सफलता हासिल कर अधिकारी बनेगा.
विवेक वैभव ने यूपीएससी परीक्षा में सफल होकरअसिस्टेंट कमांडेंट बनने में सफलता पाई है. प्रारंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल के ग्वालपाड़ा आसाम में हुई. इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए इन्होंने दिल्ली में रहकर पढ़ाई की. जिसके बाद इन्होंने अपने लगातार कड़ी मेहनत वह सफलता के प्रयास से यूपीएससी सीएपीएफ में 165 रैंक लाकर असिस्टेंट कमांडेंट के लिए चयनित हुए हैं. पूर्णिया के विवेक वैभव कहते हैं कि उन्होंने आज तक कभी भी घड़ी देखकर पढ़ाई नहीं.
हालांकि उन्होंने कहा कि रोजाना 10 से 12 घंटे मन से पढ़ाई किया करते थे. इसके अलावा सोशल मीडिया के जरिए भी थोड़ी बहुत पढ़ाई की.तीसरे प्रयास में पाई सफलता विवेक ने अपनी सफलता के बारे में कहा कि अब तक एक-दो नहीं बल्कि तीसरे बार यह परीक्षा दी. तीसरे प्रयास में इसमें सफलता पाई है. इस सफलता को पाने के बाद परिवार वालों में भी काफी खुशी देखी जा रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें इस सफलता के बाद विभाग के द्वारा जो भी जिम्मेदारियां मिलेगी उस जिम्मेदारियों का वो पूर्णता ख्याल रखते हुए देश हित और समाज के लिए काम करेंगे।
ये रहा उनका सपना
विवेक वैभव कहते हैं कि उनका बचपन से ही सपना रहा कि वह पढ़ लिख कर एक बड़ा गजेटेड ऑफिसर बने. जिससे देश की सेवा कर सके. उनका सपना सच साबित हो गया. उन्होंने अपनी सफलता का सारा श्रेय मेहनत और मेहनत के पीछे माता-पिता और बड़ी बहनों के सहयोग को दिया. विकास वैभव वैसे युवाओं को भी टिप्स दे रहे हैं, जो यूपीएससी की परीक्षा में कड़ी मेहनत के बावजूद भी असफल हो जाते हैं. ऐसे युवक-युवतियों से उन्होंने अपील करते हुए कहा कि मन से पढ़ाई करें और सच्चे दृढ़ संकल्प के साथ अगर आप पढ़ाई करते हैं तो निश्चित ही सफलता मिलेगी. देर से हो लेकिन दुरुस्त होगा.
कभी नहीं सोचा था बेटा इतना बड़ा अधिकारी बनेगाविवेक वैभव के पिता विमल कुमार पासवान कहते हैं कि बेटा की सफलता पर खुशी का ठिकाना नहीं है.अब भी पूरी तरह यकीन नहीं हो रहा है.उन्हें कुछ भी नहीं दिखता.हालांकि वह कहते हैं सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि उसका बेटा इतना बड़ा अधिकारी बनेगा. पिता पूर्णिया में ही टेंट का व्यापार करते हैं. वहीं उनकी मां भी अपने बेटों को तरक्की के रास्ते पर ले जाने के लिए हर संभव प्रयास किया. वहीं उनकी दोनों बड़ी बहनें भी अपने भाई को सफलता की शिखर तक पहुंचने में पूरी तरह से मदद की. भाई की सफलता को देख पूरा परिवार काफी खुश है.
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