भारतीय क्रिकेट में स्पिन के जादूगर बिशन सिंह का निधन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज स्पिनर बिशन सिंह बेदी का 77 साल की उम्र में निधन हो गया है। बिशन सिंह बेदी ने 1966 से 1979 तक टेस्ट क्रिकेट खेला. बिशन सिंह बेदी ने 22 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी की है.
बिशन सिंह बेदी भारतीय क्रिकेट टीम के पहले वनडे मैच में मिली जीत के हीरो थे। 1975 विश्व कप में बेदी ने ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ अपने 12 ओवर के स्पेल में कुल 8 मेडन डाले थे।भारतीय क्रिकेट में स्पिन की जब भी चर्चा चलती है, तो उसमें सबसे पहले बिशन सिंह बेदी, ईरापल्ली प्रसन्ना, भगवत चंद्रशेखर और वेंकट राघवन वाली स्पिन चौकड़ी का नाम आता है.
इस चौकड़ी का प्रमुख हिस्सा रहे बिशन सिंह बेदी अब हमारे बीच नहीं रहे. पर इस लेफ्ट आर्म स्पिनर की यादें हमेशा क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में बनी रहेंगी. बेदी एक बेहतरीन लेफ्ट आर्म स्पिनर के तौर पर तो लोकप्रिय थे ही, वह साफगोई के साथ अपनी बात रखने के लिए भी मशहूर थे. करीब एक दशक पहले तक वह दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर होने वाले कई मैचों के दौरान आकर बाउंड्री के पास कुर्सी पर बैठ जाते थे जहां उनसे मिलने वालों का तांता लगा रहता था. बेदी ने भारत के लिए 67 टेस्ट खेलकर 266 विकेट लिये.
उनकी खास बात उनका बेहद किफायती होना था. टेस्ट क्रिकेट में उनकी इकॉनमी रेट 2.14 हुआ करती थी. उनके दौर में एकदिवसीय क्रिकेट बहुत लोकप्रिय नहीं था. पर उन्होंने 10 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और उनके नाम सात विकेट हैं. बेदी एकदिवसीय मैच में भारत को पहली जीत दिलाने वाली टीम का हिस्सा रहे. भारत ने यह जीत 1975 के विश्व कप में पूर्वी अफ्रीका के खिलाफ हासिल की थी. उस दौर में विश्व कप के मैच 60-60 ओवर के हुआ करते थे. इस मैच में बेदी ने 12 ओवरों में आठ मेडन फेंके थे और सिर्फ छह रन देकर एक विकेट निकाला था. उन्होंने 370 प्रथम श्रेणी मैच खेलकर 1560 विकेट निकाले. इसमें भी उनकी इकॉनमी रेट 2.24 रही.
बेदी साहब अपने से बड़ों को बेहद सम्मान दिया करते थे. वह 1960-1970 के दशक में भारतीय क्रिकेट की जान माने जाने वाली स्पिन चौकड़ी के अहम सदस्य थे. पर वह हमेशा चौकड़ी के बाकी तीन गेंदबाजों को आर्टिस्ट मानते थे. इस चौकड़ी ने साथ में 98 टेस्ट खेले और 853 विकेट निकाले. इन भारतीय स्पिनरों की खूबी यह थी कि वे घरेलू मैदानों की ही तरह विदेश में भी विकेट चटकाते थे. बेदी के परफेक्शन का जवाब नहीं था. वह बेजान विकेट पर भी सफल रहते थे. उन्हें आर्म बॉल का विशेषज्ञ माना जाता था. यही नहीं, वह गति और फ्लाइट में बदलाव से हमेशा ही प्रभाव छोड़ने में सफल हो ही जाते थे.
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