‘अनंत किला’ फतह करने में चूक गई भाजपा,क्यों ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार विधानसभा के दोनों सीटों के चुनाव परिणाम आ गए हैं. गोपालगंज में बीजेपी ने लालू यादव के घर में जीत दर्ज की. जबकि मोकामा में छोटे सरकार यानी अनंत सिंह की पत्नी ने जीत दर्ज की है. मोकामा में आरजेडी प्रत्याशी व अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी 16752 वोटों से विजयी हुई है तो गोपालगंज से बीजेपी की प्रत्याशी व यहां से दिवंगत विधायक सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी 2183 वोटों से विजयी हुई है. सियासत के जानकर बीजेपी और राजद के इस जीत के अलग-अलग नजरिये से देख रहे हैं.
अनंत सिंह का जादू मोकामा में फिर से चला
मोकामा विधानसभा सीट को लेकर कहा जाता है कि यहां दो दलों की बीच नहीं बल्कि अनंत बनाम अन्य के बीच चुनाव होते हैं. शायद यही वजह है कि 2005 से कभी जेल से कभी बाहर रहकर अनंत सिंह वहां से जीतते आए है. इस बार अनंत सिंह जेल में इस वजह से उनकी पत्नी नीलम देवी को राजद ने प्रत्याशी बनाया था.
इस बार के चुनाव में भी ऐसा प्रतित हो रहा था चुनाव किसी पार्टी के बीच में नहीं, बल्कि दो बाहुबलियों के बीच हो रही थी. अनंत सिंह यहां निर्दलीय भी जीतने की कुबत रखते हैं. बीते तीन दशक से मोकामा में केवल और केवल अनंत सिंह का जादू देखने को मिला है. 2005 से लेकर अभी तक अनंत सिंह विधायक रहे हैं. अब उनकी पत्नी नीलम देवी यहां से विधायक चुनी गईं हैं.
क्या भूमिहारों ने बीजेपी को नहीं दिया वोट
मोकामा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां भूमिहारों की आबादी 50 से 60 प्रतिशत तक है. माना जाता है कि भूमिहारों का वोट जिस भी नेता को मिलता है. वह यहां से बड़े आराम से चुनाव जीत जाता है. राजद प्रत्याशी नीलम देवी ने सोनम देवी को 16752 वोटों से हराया है. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि बीजेपी को भूमिहारों को पूरा वोट नहीं मिला.
राजनीतिक के जानकार बताते हैं कि बीजेपी समर्थकों को उम्मीद थी कि इस बार पार्टी यहां से किसी साफ छवी के नेता को टिकट दे सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस वजह से भी बीजेपी की कोर वोटरों ने बीजेपी प्रत्याशी सोनम देवी को वोट नहीं दिया.
मोकामा में बीजेपी का संगठन न के बराबर
बता दें कि बीजेपी और जेडीयू का जब एनडीए गठबंधन होता था तब ये सीट या तो जेडीयू या फिर लोजपा के कोटे में जाती थी. इस वजह से मोकामा में बीजेपी का संगठन उतना सक्रिय नहीं है. जीतना राजद और जदयू का है. अब बात चिराग पासवान की तो जीत हार के अंतर को देखकर समझा जा सकता है कि यहां चिराग फैक्टर ने काम नहीं किया. हालांकि चिराग पासवान ने खुलकर बीजेपी प्रत्याशी सोनम देवी के पक्ष में वोट मांगा था.
राजद की नीलम देवी मोकामा से जीतीं
मोकामा उपचुनाव में राजद की नीलम देवी ने भाजपा की सोनम देवी को 16,741 वोटों से हराया. नीलम देवी पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी हैं और इसबार महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार बनायी गयी थीं. मोकामा का परिणाम सामने आया तो लोगों ने इसे अनंत सिंह की जीत माना.
बाहुबली अनंत सिंह का दबदबा बरकरार
दरअसल, मोकामा की राजनीति में लंबे समय से बाहुबली अनंत सिंह के नाम का सिक्का चला है. अपने समर्थकों के बीच उनकी छवि रॉबिनहुड वाली है. मोकामा की राजनीति कुछ ऐसी है कि यहां लंबे अरसे से बाहुबलियों का ही दबदबा रहा है.
मोकामा में बाहुबलियों की बल्ले-बल्ले
मोकामा की राजनीति में पिछले 30 सालों से बाहुबलियों का ही कब्जा रहा है. अनंत सिंह यहां से 2005 से ही लगातार चुनाव जीतते रहे. उन्होंने जब जिस दल का हाथ पकड़ा, उसे जीत नसीब हुई. जब राजद और जदयू साथ हुए तो अनंत सिंह निर्दलीय मैदान में उतरे और जीत दर्ज की थी. अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह भी यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं.अनंत सिंह को आज भी लोग यहां छोटे सरकार के नाम से जानते हैं.
मोकामा पर रहा इन बाहुबलियों का कब्जा…
अनंत सिंह व दिलीप सिंह के अलावे बाहुबली सूरजभान सिंह ने भी मोकामा पर कभी राज किया. वहीं अभी के उपचुनाव में उनके करीबी रहे बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम सिंह को ही भाजपा ने टिकट थमाया था. इसबार मोकामा में भाजपा ने 27 साल बाद उम्मीदवार उतारा था लेकिन उसके बाद भी मोकामा में जीत का अंतर घटा और बीजेपी को 63,003 वोट मिले. इसमें बाहुबली सूरजभान सिंह के ताबड़तोड़ जनसंपर्क का भी असर दिखा. लेकिन मोकामा का ‘अनंत किला’ सियासी गलियारे में मजबूती से खड़ा है.