भाजपा आज अपना 44वां स्थापना दिवस मना रही है

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जन संघ से इस नयी पार्टी का जन्म हुआ. 1984 में बीजेपी ने लोकसभा की दो सीट जीतने में कामयाब रही थी.  भाजपा ने उस समय पहली बार अपना जीत का खाता खोला था. उसके बाद बीजेपी की स्थिति लगातार अच्छी होती गई

1984 में दो सीट जीतने के बाद बीजेपी की शक्ति लोकसभा में लगातार बढ़ती गई. 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 85 सीटों पर जीत दर्ज की. उसके बाद 1991 में 120, 1996 में 161, 1999 में बीजेपी को 182 सीटें मिलीं. हालांकि 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान का सामना करना पड़ा और पार्टी को केवल 138 सीटें ही मिलीं. उसके बाद कुछ दिनों तक बीजेपी का ग्राफ नीचे गिरता गया और 2009 के चुनाव में बीजेपी को केवल 116 सीटें ही हासिल हुईं.

2014 में नरेंद्र मोदी की अगुआई में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रच डाला और लोकसभा की 543 सीटों में अकेले 282 सीटों पर जीत दर्ज की. पहली बार बीजेपी को अकेले दम पर लोकसभा में बहुमत मिली. फिर नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी ने 2019 का चुनाव लड़ा, जिसमें पार्टी ने ट्रिपल सेंचुरी जड़ दिया और अकेले 303 सीटों पर कब्जा जमा लिया. नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. अब 2024 में उनकी अगुआई में बीजेपी लोकसभा चुनाव का ताल ठोक रही है. पीएम मोदी सहित बीजेपी पार्टी ने इस बार अकेले 370 सीट जीतने का दावा ठोका है, जबकि सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर 400 से अधिक सीट जीतने का दमखम दिखाया है.

आखिर भारतीय जनता पार्टी की शुरुआत कैसे हुई? बीजेपी को शुरुआती दिनों में किस नाम से जाना जाता था. दरअसल महात्मा गांधी की हत्या के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने हिंदू महासभा से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद उन्होंने 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की. इसके संस्थापक सदस्य थे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफसर बलराज मधोक और दीनदयाल उपाध्याय. उस समय इस पार्टी को दीपक चुनाव चिह्न आवंटित किया गया था. मुखर्जी के निधन के बाद जनसंघ के कई लोग अध्यक्ष बने. 1967 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय इसके अध्यक्ष बने थे. उसके बाद 1972 में अटल बिहारी बाजपेयी और फिर 1977 में लाल कृष्ण आडवाणी ने अध्यक्ष पद को संभाला.

1977 में जनसंघ का जनता पार्टी में विलय

1977 में भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया था. दरअसल उस समय पहली बार केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी. जिसमें अन्य दलों को शामिल होने के लिए विलय करने की शर्त रखी गई थी. शर्तों के आधार पर जनसंघ का भी जनता पार्टी में विलय हो गया. मोरारजी देसाई की सरकार में बाजपेयी जी को विदेश मंत्री और लाल कृष्ण आडवाणी को सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया.

हालांकि गठबंधन की सरकार अधिक दिनों तक नहीं चल पाई और 1979 में मोरारजी सरकार गिर गई. उसके बाद अगले ही साल यानी 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की गई. इस दिन को चुनने के पीछे कारण था कि 6 अप्रैल को ही महात्मा गांधी ने नमक कानून तोड़ा था. अटल बिहारी बाजपेयी बीजेपी के पहले अध्यक्ष रहे. लगातार 6 साल तक बाजपेयी जी ने बीजेपी की बागडोर संभाली. उसके बाद लाल कृष्ण आडवाणी बीजेपी की अध्यक्ष बनाए गए.

1984 में बीजेपी ने दो सीटों पर लहराया परचम

1980 में पार्टी की स्थापना होने के 4 साल तक बीजेपी को एक भी सीट लोकसभा में नसीब नहीं हुई थी. लेकिन 1984 में बीजेपी ने दो सीट पर जीत दर्ज कर इतिहास रच डाला. इस चुनाव में मजेदार बात ये रही कि दोनों सीटों पर न तो बाजपेयी जी जीते थे और न ही लाल कृष्ण आडवाणी ने जीती थी. बल्कि गुजरात के मेहसाणा से अमृतलाल कालिदास पटेल ने जीत दर्ज की थी और आंध्र प्रदेश के हनामकोंडा से चंदूपाटिया जंगा रेड्डी ने जीत दर्ज की थी.

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