भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने थामा तृणमूल का दामन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आखिरकार तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए भाजपा से नाराज चल रहे बंगाल के बैरकपुर से सांसद अर्जुन सिंह (BJP Barrackpore MP Arjun Singh) ने रविवार को पार्टी को अलविदा कह दिया। उन्होंने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) में घर वापसी कर ली। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banerjee) के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी (MP Abhishekh Banerje) का हाथ पकड़कर अपने समर्थकों के साथ कोलकाता में उन्होंने तृणमूल का झंडा थामा। इस दौरान अभिषेक ने उनका पार्टी में स्वागत किया। दबंग छवि वाले और बंगाल में प्रमुख हिंदीभाषी नेता के तौर पर पहचान रखने वाले अर्जुन सिंह भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी थे।
भाजपा पर साधा निशाना, कहा- एसी घर में बैठकर नहीं होती है राजनीति
इधर, तृणमूल में शामिल होते ही सिंह ने भाजपा पर निशाना साधा। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वे कुछ लोगों के बहकावे में आकर भूलवश भाजपा में चले गए थे, लेकिन अब अपने घर में लौट आए हैं। उन्होंने बंगाल में भाजपा नेतृत्व की आलोचना करते हुए कहा कि एसी घर में बैठकर सिर्फ फेसबुक से राजनीति नहीं चलती है। उन्होंने तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए कहा कि आगामी दिनों में वह देश में बड़ी राजनीतिक लड़ाई का नेतृत्व करेंगी।
भाजपा ने कहा- तृणमूल के अत्याचार से अर्जुन सिंह ने किया है सरेंडर
वहीं, सिंह के घर वापसी पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद दिलीप घोष ने कहा कि भाजपा में शामिल होने के बाद तृणमूल ने उनपर बहुत केस लाद दिया था और उनका कई व्यवसाय भी बंद हो गया था। तृणमूल के अत्याचार से तंग आकर उन्होंने सरेंडर किया है।
नड्डा से मुलाकात भी नरम नहीं पड़े तेवर
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर अर्जुन सिंह तृणमूल छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। वे बैरकपुर सीट से पार्टी के टिकट पर निर्वाचित होकर संसद पहुंचे। वहीं, पिछले कुछ समय से वे पार्टी से लगातार नाराज चल रहे थे। पिछले दिनों उन्होंने जूट उद्योग की बदहाली को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। इसके बाद से ही उनकी घर वापसी को लेकर अटकलें तेज हो गई थी। पार्टी व केंद्र सरकार के खिलाफ बगावती तेवर के बीच भाजपा नेतृत्व ने उन्हें मनाने की भी कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनीं। जूट मुद्दे पर केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने उनके साथ बैठक की थी और उनकी एक प्रमुख मांग भी मानी थी, परंतु उनके तेवर नरम नहीं पड़े।
हाल में राज्य नेतृत्व पर निशाना साधे जाने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उन्हें बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया था और बैठक की थीं। इन सबके बीच उन्होंने तृणमूल का दामन थामकर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है।
पार्टी में ठीक से काम नहीं करने देने का लगाया आरोप
बता दें कि इससे पहले सिंह ने शुक्रवार को राज्य नेतृत्व पर आरोप लगाया था कि संगठन में एक वरिष्ठ पद पर रहने के बावजूद उन्हें ठीक से काम नहीं करने दिया जा रहा। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी ने हमें एक कुर्सी दी है, लेकिन उसमें पैर नहीं है, कलम दी है, लेकिन उसमें स्याही नहीं है। इससे पहले उनके घर वापसी की अटकलें उस वक्त और तेज हो गईं जब शनिवार को बैरकपुर में उनके संसदीय क्षेत्र में तृणमूल में वेलकम का पोस्टर भी कई जगहों पर चिपका हुआ मिला था।
इस पोस्टर में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की भी तस्वीर थीं। इसके साथ ही शनिवार को सिंह ने एक ट्वीट भी किया था जिसमें लिखा- सुना है आज समंदर को खुद पे गुमान आया है, चलो कश्ती लेते हैं जहां तूफान आया है। उनके तेवर को देखते हुए राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज थीं। आखिरकार उनके तृणमूल में शामिल होने के बाद सभी अटकलों पर विराम लग गया है।
बंगाल में अब तक भाजपा के दो सांसद व पांच विधायक हो चुके तृणमूल में शामिल
बता दें कि बंगाल में पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा के कई नेता पार्टी छोड़कर तृणमूल में शामिल हो चुके हैं। अर्जुन सिंह को लेकर यहां अब तक पार्टी के दो लोकसभा सांसद व पांच विधायक तृणमूल में शामिल हो चुके हैं। सिंह से पहले आसनसोल से भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो पिछले साल सितंबर में तृणमूल में शामिल हो गए थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित होने के बाद सबसे पहले वरिष्ठ नेता मुकुल राय ने पार्टी छोड़कर जून, 2021 में तृणमूल में घर वापसी की थी।
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