स्टाम्पों की कालाबाजारी व भष्टाचार को खत्म किया जाये: नरेन्द्र वर्मा

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-निर्धारित दर से अधिक मूल्य पर मिलने वाले स्टापों से जनता परेशान

श्रीनारद मीडिया, लक्ष्‍मण सिंह, बाराबंकी (यूपी):

बाराबंकी। जिला न्यायालय व तहसील में 10 रूपये वाला स्टाम्प खुलेआम 30-50 रूपये में खुलेआम बिक रहा है किन्तु शासन प्रशासन कुम्भकर्णी नींद में हो रहे हैं। वहीं उपभोक्ताओं का हाल बेहाल है। उक्त विचार जिला बार एसोसिएशन, बाराबंकी के पूर्व महामंत्री नरेन्द्र कुमार वर्मा ने जारी बयान में कही।
श्री वर्मा ने आगे बताया कि एक तरफ जनता करौना काल में आर्थिक रूप से परेशान है वहीं दूसरी तरफ अपनी जान माल की रक्षा हेतु कोर्ट में चल रहे मुकदमों में अन्य आवश्यकताओं में शपथपत्र लगाए जाते हैं जिसमे 10 रूपये के स्टाम्प पर शपथ पत्र बनता है। मजबूरन 10 वाला स्टाम्प 30 से लेकर 50 रुपये में खरीदना पड़ता है।

खुलेआम भरस्टाचार हो रहा है कुछ लोग सादे वाटर मार्क पर 10 रु की कोर्ट फीस टिकट लगाकर काम चला रहे हैं लेकिन वह साक्ष्य में ग्रहय नही है। वर्तमान सरकार दिखावे के लिए भष्टाचार को खत्म करने के लिये झूठा प्रचार प्रसार कर रही है। ऐसी स्थिति में इस समस्या का तत्काल निराकरण जनहित में कराया जाना आवश्यक है। अन्यथा जनता को मजबूरन आगामी विधानसभा चुनाव में अपने मत को सही प्रयोग करके वर्तमान सरकार को सही जगह पहुंचा देगी। एक तरफ स्टाम्प व नोटरी टिकट की कमी बताकर अवैध वसूली का खेल खुलेआम चल रहा है।

जिला प्रशासन सब कुछ जानकार भी अंजान। इस सम्बंध में जब स्टाम्प वेण्डरों से पूछा गया कि इतना महंगा स्टाम्प क्यों बेच रहे हो इस पर स्टाम्प वेण्डरों द्वारा बताया गया कि जब स्टाम्प बाबू हम लोगों से अधिक रूपया लेकर स्टाम्प दे रह हैं तब हम कहां से सस्ता बेचे। स्टांप पेपर विक्रेता सभी स्टांप पेपरों को कीमत से ज्यादा में बेच रहे हैं। 10 रुपये के स्टांप पेपर को 50 रुपये तक में देते हैं, क्योंकि इसका सबसे ज्यादा उपयोग शपथ पत्र बनवाने में होता है। वैसे ये 100 रुपये के स्टांप पेपर को 500 रुपये में बेचते हैं। जिला कोषागार में खुलेआम लूट मची है।

कई स्टांप वेंडरों ने छोटे स्टांप पेपरों की कालाबाजारी शुरू कर दी है। दस रुपये के स्टांप 30 से 50 रुपये में दिए जा रहे हैं। हाल यह है कि सरकार द्वारा शुरू की गई ई-स्टांपिंग प्रणाली भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। छोटे स्टांप पेपरों की किल्लत दूर होने का नाम ही नहीं ले रही है। जिला मुख्यालय पर रजिस्ट्री कार्यालय से लेकर तहसीलों तक यही स्थिति है।

कचहरी, तहसील व रजिस्ट्री कार्यालय में इन दिनों स्टांप पेपर व नोटरी टिकट ब्लैक में बिक रहे हैं। आम आदमी को 100 रुपये के स्टांप की अक्सर जरूरत पड़ती है। कम मात्रा में स्टांप पेपर होने का हवाला देकर सबसे अधिक 100 रुपये के स्टांप की कालाबाजारी 500 रूपये तक की जा रही है।

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